Gobar Ganesh On Diwali:भारत में दीपावली का पर्व न केवल रोशनी और खुशियों का प्रतीक है, बल्कि इसमें देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का भी विशेष महत्व है. विशेषतौर पर लक्ष्मी पूजा के समय गोबर के गणेश का निर्माण कर, पान के पत्ते पर रखकर पूजा की जाती है. इस परंपरा के पीछे गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व छिपा है. आइए जानें कि क्यों और कैसे बनाई जाती है गोबर के गणेश जी की प्रतिमा और क्या है इसकी पूजा विधि.
गोबर के गणेश का महत्व
गोबर को पवित्र और शुद्ध माना जाता है. प्राचीन भारतीय संस्कृति में गोबर का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व सदियों से माना जाता रहा है. गोबर से बनी चीजें नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर, सकारात्मकता और समृद्धि को आकर्षित करती हैं. इसके अलावा, गोबर का उपयोग जैविक और पर्यावरण के अनुकूल होने के कारण भी विशेष महत्व रखता है. माना जाता है कि गोबर के गणेश जी की पूजा से समृद्धि और सफलता का आशीर्वाद मिलता है, और जीवन में आने वाली रुकावटें दूर होती हैं.
गोबर के गणेश बनाने की विधि
लक्ष्मी पूजा से पहले गोबर के गणेश जी की मूर्ति घर पर बनाना काफी शुभ माना जाता है. इसे बनाना भी आसान होता है और इसके लिए ज्यादा सामग्री की जरूरत नहीं होती है.
आवश्यक सामग्री
- शुद्ध गाय का गोबर
- पानी
- पान का पत्ता
- हल्दी, कुमकुम
- चावल
- फूल
- गंगाजल (पवित्रीकरण के लिए)
बनाने की प्रक्रिया
1. सबसे पहले शुद्ध गाय के गोबर को लेकर उसमें थोड़ा पानी मिलाकर मिक्स कर लें, ताकि वह आसानी से आकार में ढल सके.
2. गोबर को गूंथकर छोटे-छोटे गोल आकार में मोल्ड करें और धीरे-धीरे उसे भगवान गणेश के स्वरूप में आकार दें.
3. भगवान गणेश की प्रतिमा को अच्छी तरह से सूखा लें ताकि वह मजबूत हो जाए.
4. अब पान का पत्ता लें और इसे गंगाजल से शुद्ध कर लें. फिर इस पर गोबर के गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें.
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पूजा की विधि
लक्ष्मी पूजा के समय, गोबर के गणेश जी को पान के पत्ते पर रखकर विधि-विधान से पूजा की जाती है.
1. सबसे पहले गणेश जी की प्रतिमा पर हल्दी, कुमकुम और चावल अर्पित करें.
2. फिर फूलों का अर्पण करें और अगरबत्ती तथा दीपक जलाएं.
3. गणेश जी की पूजा के साथ ही मां लक्ष्मी का आवाहन करें और उनसे समृद्धि तथा खुशहाली का आशीर्वाद प्राप्त करें.
4. ध्यान रहे कि गोबर के गणेश जी की पूजा के दौरान मन से सच्ची श्रद्धा होनी चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है.
गोबर के गणेश की विसर्जन प्रक्रिया
लक्ष्मी पूजा के बाद, गोबर के गणेश की प्रतिमा को पानी में विसर्जित किया जाता है. माना जाता है कि इससे सभी नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और व्यक्ति के जीवन में सुखद सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. विसर्जन से पहले गणेश जी को फिर से गंगाजल से स्नान कराकर आभार व्यक्त किया जाता है.
लक्ष्मी पूजा पर गोबर के गणेश बनाकर उन्हें पान के पत्ते पर स्थापित करना हमारे जीवन में भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है. यह परंपरा भारतीय संस्कृति की गहराई और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता को भी दर्शाती है.
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