Maha Kumbh 2025: दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक संगम महाकुंभ का आगाज होने में 2 दिनों से भी कम समय बचा हुआ है. प्रयागराज में 12 सालों बाद लगने वाले महाकुंभ का शुभारंभ 13 जनवरी से होने वाला है, जो कि 26 फरवरी, 2025 तक चलेगा. कयास ये लगाया जा रहा है कि इस बार महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने देश-दुनिया के करीब 40 करोड़ श्रद्धालु आने वाले हैं, जिनमें से एक एप्पल के सह-संस्थापक दिवंगत स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी महाकुंभ का हिस्सा रहेंगी. इस दौरान प्रयागराज की पवित्र धरती पर पॉवेल साध्वी बनकर दो सप्ताह तक कल्पवास भी करेंगी. ऐसे में आइए जानते हैं कि कल्पवास क्या है और कल्पवास के नियम क्या हैं.
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महाकुंभ में पॉवेल का रहेगा प्रवास
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, लॉरेन पॉवेल जॉब्स के ठहरने का प्रबंध निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद के शिविर में हुआ है. उम्मीद जताई जा रही है कि यहीं से वह महाकुंभ के दौरान अलग-अलग अनुष्ठानों में भाग लेने के साथ संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 13 जनवरी को वह महाकुंभ का हिस्सा बनेंगी और उनका प्रवास 29 जनवरी तक रहेगा.
क्या है कल्पवास?
सनातन धर्म में कल्पवास की परंपरा सदियों से चली आ रही है. कल्पवास का जिक्र रामायण, महाभारत और हिन्दू धर्म के विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. यह माना जाता है कि कल्पवास करने से इंसान को इच्छानुसार फल मिल जाता है. साथ ही जो व्यक्ति कल्पवास करता है वह जन्मों-जनम के बंधन से मुक्ति हो जाता है. हिन्दू शास्त्रों के मुताबिक कल्पवास की सबसे कम अवधि एक रात की हो सकती है. इसके अलावा, कल्पवास 3 रात, 3 महीना, 6 महीना, 12 साल और पूरी जिंदगी भी किया जा सकता है. मान्यता यह है कि कल्पवास करने से मिलने वाला फल 100 साल तक बिना अन्न ग्रहण किए गए तप से प्राप्त फल के बराबर होता है. हालांकि, कल्पवास बहुत ही कठिन होता है.
कल्पवास करने के ये हैं नियम
- सत्य बोलना
- हिंसा न करना
- इंद्रियों पर नियंत्रण रखना
- सभी जीवों को लेकर दया भाव रखना
- ब्रह्मचर्य का निर्वहन करना
- बुरी आदतों का त्याग करना
- ब्रह्म मुहूर्त में जागना
- रोजाना 3 बार पवित्र नदी में स्नान करना
- दान करना
- पितरों का पिंडदान करना
- तप करना
- संकल्प के क्षेत्र से बाहर न जाना
- निंदा न करना
- साधुओं की वेशभूषा धारण करना
- सिर्फ एक समय भोजन करना
- जमीन पर सोना आदि
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