Mahashivratri 2024: कल यानि 8 मार्च को देशभर में महापर्व महाशिवरात्रि का महापर्व मनाया जाएगा. इस पर्व की खास बात यह है कि कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती एक दूसरे के साथ शादी के बंधन में बंधे थे. ऐसे में महाशिवरात्रि के खास अवसर पर यह जानें कि कैसे और कहां हुई थी भगवान शिव और माता पार्वती की शादी.
कैसे हुई थी भगवान शिव और माता पार्वती की शादी?
पौराणिक कथाओं के अनुसार यह कहा गया है कि भगवान शिव से शादी करने के लिए माता पार्वती को कठिन तपस्या करनी पड़ी थी तभी भगवान शिव विवाह के लिए राजी हुए थे. माता पार्वती की तपस्या देख कर महादेव ने माता पार्वती को किसी बड़े राजकुमार से विवाह करने को कहा था लेकिन माता पार्वती ने भगवान शिव की इस राय को स्वीकार नहीं किया. माता पार्वती ने कहा कि वो शादी सिर्फ भगवान शिव से ही करेंगी. माता पार्वती की जिद सुन कर भोलेनाथ खुश हो गए और वे शादी करने के लिए राजी हो गए.
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शिव की बारात देख हैरान हो गए थे माता पार्वती के परिवार वाले
कथाओं के अनुसार जब भगवान शिव बारात लेकर आएं थे तो उनके बारात में भूत-प्रेत, डाकिनीयां, चुड़ैल भी शामिल थे. इस बारात में बारातियों ने मिलकर भगवान शिव पर भस्म लगा दिया था और साथ ही उन्हें हड्डियों की माला भी पहना दी थी. जब बारात माता पार्वती के घर पहुंची तो माता पार्वती के परिवार वाले सभी भगवान शिव और उनकी बारातियों को देख कर डर गए थे. इस डर से माता पार्वती की मां ने दोनों की शादी कराने से इनकार कर दिया था. इस बात को जानकर माता पार्वती ने शिव से निवेदन किया कि वे अपने बारातियों के साथ रीति-रिवाजों के अनुसार सज-धज कर आएं. भगवान शिव ने इस बात को स्वीकारा और वो दूल्हे जैसे सज-धज कर गए थे. इसके बाद ही सभी देवी-देवताओं के आशीर्वाद से शिव-पार्वती की शादी ब्रह्म देव की उपस्थिति में हुई थी.
ब्रह्मा भगवान ने कराई थी शिव-पार्वती की शादी
हिन्दू धर्म में जब भी कोई शादी होती हैं तो उसमें एक पुजारी होते हैं जो शादी में मंत्र पढ़ कर सारे रस्मों रिवाजों से वर-वधू की शादी को सम्पन्न करवाते हैं. ऐसे ही शिव-पार्वती के शादी में भगवान ब्रह्मा पुजारी थे जिन्होंने सारे रस्मों रिवाजों के साथ दोनों की शादी कराई थी. इस शादी में भगवान विष्णु भी शामिल थे.
कहां हुई थी शादी?
कथाओं के अनुसार ये कहा गया है कि भगवान शिव और माता पार्वती की शादी त्रियुगीनारायण मंदिर में हुई थी जो कि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग गांव में स्थित है. यह मंदिर 1,980 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित है और साथ ही यह मंदिर सोनगंगा और मंदाकिनी का जहां मिलन होता है उस जगह विराजमान हैं. बता दें, कि इस मंदिर में हर साल हजार से ज्यादा लोग आकर शादी करते हैं. ऐसे में अगर आप चाहते हैं कि आपकी शादी भी इस मंदिर में हो तो आप अपनी शादी की तिथि अनुसार बुकिंग कर के मंदिर में शादी कर सकते हैं.
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