20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Jyotirao Phule Death Anniversary: महात्मा ज्योतिराव फुले की पुण्यतिथि आज, महिला शिक्षा का उठाया था बीड़ा

महात्मा ज्योतिराव फुले की आज पुण्यतिथि है. आज 28 नवंबर के दिन ही एक अथक समाज सुधारक और शिक्षाविद्, न्याय और सभी के लिए शिक्षा की दिशा में प्रेरित करने वाले ज्योतिराव फुले की मौत हो गई थी.

Mahatma Jyotirao Phule Death Anniversary: हर साल 28 नवंबर को सामाजिक सुधार के प्रतीक महात्मा ज्योतिबा फुले की पुण्यतिथि मनाई जाती है. ज्योतिराव गोविंदरोआ फुले देश के सबसे महत्वपूर्ण दार्शनिकों और लेखकों में से एक माना जाता है. ज्योतिराव गोविंदराव फुले महाराष्ट्र के एक जाति-विरोधी समाज सुधारक, सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक थे, जिन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले के साथ भारत में महिला शिक्षा का बीड़ा उठाया था. महिलाओं को सशक्त बनाने के साथ-साथ अस्पृश्यता और जाति व्यवस्था के प्रति उनके प्रयासों को याद करने के लिए 28 नवंबर को उनकी पुण्य तिथि मनाई जाती है.

ज्योतिराव फुले का जन्म कहां हुआ था

ज्योतिराव फुले का जन्म 1827 में पुणे में माली जाति के एक परिवार में हुआ था. माली परंपरागत रूप से फल और सब्जी उत्पादक के रूप में काम करते थे. फुले का नाम भगवान ज्योतिबा के नाम पर रखा गया था. उनका जन्म ज्योतिबा के वार्षिक मेले के दिन हुआ था.

ज्योतिराव फुले ने कहां से की शिक्षा पूरी

ज्योतिराव फुले ने 1847 में अपनी शिक्षा पूरी की और 1840 में सावित्रीबाई से शादी की. उन्होंने अपनी पत्नी को शिक्षित किया जिसके बाद वह देश की पहली महिला शिक्षक बनीं. ज्योतिभाई फुले ने महिला शिक्षा और विधवा पुनर्विवाह की वकालत की और कन्या भ्रूण हत्या से निपटने के लिए नवजात शिशुओं के लिए आश्रय गृह खोलने में सफल रहे.

ज्योतिराव फुले का योगदान

उनकी प्रसिद्ध पुस्तकों में गुलामगिरी, शेतकार्याका असुद, स्लेवरी, सेलेक्टेड राइटिंग ऑफ ज्योतिराव फुले और कई अन्य पुस्तकें शामिल हैं, जिनमें उनके जीवन संघर्ष और देश के प्रति योगदान शामिल हैं. 1874 में, फुले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना की, जिसका उद्देश्य महिलाओं, दलितों, शूद्रों आदि सहित समाज के अल्पसंख्यक या दबे हुए समूहों के अधिकारों पर ध्यान केंद्रित करना था. उन्होंने जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता का विरोध किया और इन दबे हुए वर्गों के अधिकारों के लिए अभियान चलाया.

कब हुई फुले की मृत्यु

28 नवंबर 1890 को महात्मा फुले की मृत्यु हो गई. उनकी मृत्यु के बाद भी उनकी विरासत जारी रही. उल्लेखनीय समाज सुधारक और लेखक को श्रद्धांजलि देने के लिए देश में कई स्मारक बनाए गए हैं जैसे विधान भवन में पूर्ण लंबाई वाली प्रतिमा, पुणे में महात्मा फुले संग्रहालय, अहमदनगर जिले में महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ, महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिखलखंड विश्वविद्यालय और कई देश के विभिन्न हिस्सों में और भी जो सुधारक के अपरिवर्तित आदर्शों के रूप में आज भी कायम हैं.

Also Read: ‘B’ Letter Name Personality: इस अक्षर के नाम वाले लोगों के अंदर कूट-कूट कर भरा होता है रोमांस और…

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें