Makar Sankranti 2023: सनातन धर्म में सभी संक्रांतियों में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य ग्रह मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति होती है. इस बार यह दिन और भी खास होने वाला है क्योंकि शनि ग्रह भी मकर राशि में प्रवेश करने जा रहा है. इस दिन सूर्य और शनिदेव (Surya Shani Gochar) का मिलन होगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन दान-पुण्य करने और खिचड़ी खाने का विशेष महत्व होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन खिचड़ी क्यों खाई और खिलाई जाती है? दरअसल, इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है. आज हम आपको बता रहे हैं कि इस दिन खिचड़ी खाने की परंपरा कैसे शुरू हुई और क्या है खिचड़ी खाने का महत्व और फायदे.
कहा जाता है कि खिलजी से युद्ध के दौरान नाथ योगी बहुत कमजोर हो गए थे और भूख के कारण सभी की तबीयत बिगड़ने लगी थी. गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी एक साथ पकाकर सबको खिलाया. इससे नाथ योगियों को ऊर्जा मिली और उनके स्वास्थ्य में भी सुधार हुआ. कहा जाता है कि तभी से खिचड़ी बनाने की परंपरा चली आ रही है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति के दिन जो खिचड़ी बनाई जाती है उसका संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है. खिचड़ी में प्रयोग होने वाले चावल का संबंध चंद्रमा से, उड़द की दाल का शनि देव से, हल्दी का संबंध गुरु देव से और हरी सब्जियों का संबंध बुध देव से होता है. इसके अलावा घी का संबंध सूर्य देव से है. इसलिए मकर संक्रांति की खिचड़ी को बेहद खास माना जाता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने के साथ ही किसी ब्राह्मण को दान भी देना चाहिए. इस दिन उन्हें घर बुलाकर खिचड़ी खिलाएं और इसके बाद कच्ची दाल, चावल, हल्दी, नमक और हरी सब्जियां दान करें. कहा जाता है कि खिचड़ी खाने से सेहत बढ़ती है और सेहत अच्छी रहती है. इसके सेवन से रोग दूर भागते हैं और व्यक्ति को ऊर्जा प्राप्त होती है.