Mathura-Vrindavan Holi 2024: मथुरा की होली, जिसे ब्रज की होली के नाम से भी जाना जाता है, ये पूरे विश्वभर में प्रसिद्ध है. मथुरा में ‘फाग’ उत्सव बसंत पंचमी के अवसर पर शुरू होता है. ब्रज में विभिन्न प्रकार के होली समारोहों में से सबसे प्रसिद्ध है बरसाना की ‘लट्ठमार होली’, राधारानी के महल में ‘लड्डू होली’, गोकुल की ‘छड़ीमार होली’, रावल का ‘हुरंगा’, होलिका दहन और विभिन्न तरह के रंगीन होली उत्सव. विश्वभर से लोग ब्रज की होली देखने के लिए मथुरा आते हैं, जिसमें लठमार होली और लड्डू होली विशेष रूप से सबकी पसंदीदा होती है. फुलेरा दूज से ही ब्रज में होली की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. ऐसे में जानिए कौन-कौन से दिन होंगे ब्रज की होली के लिए खास.
होलाष्टक के पहले दिन फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को बरसाना की गोपियां नंदगांव में फाग उत्सव का निमंत्रण देती हैं. उस शाम राधारानी के मंदिर में फाग निमंत्रण की स्वीकृति का संदेश मिलने पर लड्डू होली मनाई जाती है. इसके बाद फाल्गुन शुक्ल नवमी को बरसाना की लट्ठमार होली होती है, जिसमें नंदगांव के पुरुषों का लाठियों और रंगों से स्वागत किया जाता है. फुलेरा दूज फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आती है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण फूलों की होली मनाते हैं.
17 मार्च, रविवार को, बरसाना के राधारानी मंदिर में फाग निमंत्रण उत्सव मनाया जाएगा है, जिसमें लड्डू होली उत्सव मनाया जाता है. बरसाना के लाड़ली जी मंदिर से नंदगांव फाग महोत्सव के निमंत्रण भेजे जाते हैं. इसके बाद शाम को नंदगांव से एक टोली निमंत्रण स्वीकार करने का संदेश लेकर लाडली जी के मंदिर पहुंचती है. स्वीकृति के संकेत के रूप में, उन्हें खाने के लिए लड्डू दिए जाते हैं और लड्डू होली मनाई जाती है.
बरसाना की लट्ठमार होली के अगले दिन नंदगांव की लट्ठमार होली मनाई जाती है. नंदगांव के लोग, जिन्हें हुरयारे के नाम से जाना जाता है, होली उत्सव में भाग लेने के लिए लठमार बरसाना आते हैं. गोपियां उन्हें रंगों से सजाती हैं और लाठियों से उनका स्वागत करती हैं.
20 मार्च यानी बुधवार को, वृन्दावन में फूलवाली होली मनाई जाएगी. इसके अतिरिक्त, मथुरा, जिसे श्री कृष्ण जन्मभूमि भी कहा जाता है, में रंगभरी एकादशी के साथ होली उत्सव मनाया जाता है. इस दिन भक्त भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं और उन्हें अबीर और गुलाल चढ़ाते हैं. होली का यह उत्सव काशी में भी मनाया जाता है.
इस वर्ष, होलिका दहन 24 मार्च को निर्धारित है. होलिका दहन पारंपरिक रूप से फाल्गुन पूर्णिमा पर भद्रा के बिना शुभ समय के दौरान होता है. हालांकि इस बार भद्रा के कारण शाम को होलिका दहन का कोई शुभ मुहूर्त नहीं है. इसके चलते देर रात होलिका दहन होगा.
25 मार्च को यानी होलिका दहन के अगले दिन, रंगों की होली देश भर में मनाई जाएगी. रंग पंचमी, जो चैत्र माह के ढलते चरण के पांचवें दिन आती है, होली उत्सव के समापन के लिए मनाई जाएगी.