हिंदू धर्म में दैनिक दिनचर्या में पूजा-पाठ को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. ऐसा माना जाता है कि हर दिन पूजा करने से मानसिक शांति मिलती है और इससे लोगों को अपने-अपने जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा भी मिलती है.
कहा जाता है कि सही समय पर किया गया सही काम आपको सर्वोत्तम परिणाम देता है और अगर नहीं तो सारे प्रयास बेकार हो जाते हैं. दैनिक आधार पर पूजा करने के लिए भी यही सच है. वैसे तो हम दिन में किसी भी समय पूजा कर सकते हैं, लेकिन एक खास समय होता है जब हमें पूजा करने से बचना चाहिए. जानिए दिन में इस खास समय पर क्यों नहीं करनी चाहिए पूजा.
Also Read: सर्दी के मौसम में गरम नहीं, बल्कि ठंडे पानी से नहाने पर मिलते हैं कई स्वास्थ्य लाभ, जानें क्या है वो
अक्सर आपने देखा होगा कि दोपहर के समय मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं. इतना ही नहीं हम अपने घर में भी दोपहर के समय भगवान के मंदिर में पूजा नहीं करते हैं. इस प्रथा के पीछे एक अहम वजह है. हिंदू धर्मग्रंथों में पूजा-पाठ को लेकर कई नियम बनाए गए हैं. उन्हीं नियमों में से एक नियम यह भी है कि दोपहर के समय भगवान की पूजा नहीं करनी चाहिए. कहा जाता है कि इस नियम का पालन करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. आइए जानते हैं किन कारणों से दोपहर में नहीं करनी चाहिए भगवान की पूजा.
सुबह-सुबह पूजा करने का सबसे अच्छा समय माना जाता है, क्योंकि इस समय हमारा शरीर और मन दोनों ही अपने शुद्धतम स्तर पर होते हैं. इससे हम अपना सारा ध्यान और भक्ति भगवान की पूजा में केंद्रित कर सकते हैं. इस प्रकार और इस समय पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.
Also Read: इन मंत्रों का जाप आपके जीवन से करेगा दुखों का नाश, मिलेगा स्वास्थ्य लाभ और होगा कल्याण
जब भी हम अपने घर में कोई शुभ कार्य करने वाले होते हैं तो हम शुभ समय का इंतजार करते हैं. इसके पीछे कारण यह है कि सही समय पर की गई पूजा को देवता स्वीकार करते हैं. अर्थात अन्य समय में की गई पूजा का लाभ हमें नहीं मिल पाता, क्योंकि देवता उन प्रार्थनाओं को स्वीकार नहीं करते. दोपहर का समय भी ऐसा ही होता है जब हमारे द्वारा की गई प्रार्थना या पूजा को देवता स्वीकार नहीं करते हैं.
ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति को दिन में कम से कम पांच बार भगवान की पूजा करनी चाहिए. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में 4.30 से 5 बजे के बीच, दूसरी पूजा सुबह 9 बजे, तीसरी पूजा दोपहर 12 बजे तक, चौथी पूजा शाम 4 से 6 बजे के बीच और पांचवीं पूजा रात के 9 बजे. से पहले करनी चाहिए.
Also Read: Personality Traits: दूसरों से खुद को दूर रखते हैं ऐसी हैंडराइटिंग वाले लोग, अपनी लिखावट से जानें व्यक्तितव गुण
ऐसा माना जाता है कि दोपहर के समय पूजा करना फलदायी नहीं होता है क्योंकि उस समय पूजा करने का फल नहीं मिलता है. इसका कारण यह है कि दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच का समय भगवान विश्राम करते हैं और इस समय की गई पूजा भगवान द्वारा स्वीकार नहीं की जाती है. इस समय को अभिजीत मुहूर्त कहा जाता है जो कि पितरों का समय होता है. इसलिए भगवान इस पूजा या प्रार्थना को स्वीकार नहीं करते. शास्त्र यह भी कहते हैं कि व्यक्ति को शाम 4 बजे तक पूजा करने से बचना चाहिए क्योंकि यह नारायण का समय होता है जब व्यक्ति पितरों को तर्पण करता है. आप शाम 5 बजे के बाद दीपक जलाकर पूजा कर सकते हैं. दरअसल, पहले के समय में पूजा दिन में 2 या 3 बार की जाती थी, लेकिन अब सभी ने अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण इसे सुबह तक ही सीमित कर दिया है.
Also Read: नाभि में तेल लगाने से मिलते हैं कई समस्याओं के समाधान, जानें नेवल थेरेपी के फायदों के बारे में
चूंकि वर्तमान जीवनशैली हममें से अधिकांश को दिन में पांच बार पूजा करने की अनुमति नहीं देती है, इसलिए भगवान का आशीर्वाद पाने के लिए दिन में कम से कम दो बार पूजा करने की सलाह दी जाती है, एक बार सुबह और फिर शाम को.
Also Read: Christmas Day 2023: क्या सच में होते हैं सांता क्लॉज? जानने के लिए देखें वीडियो