New Year 2023: ‘पुराने साल की ठिठुरी हुई परछाइयां सिमटीं, नये दिन का नया सूरज उफुक पर उठता आता है.’ अली सरदार जाफरी के इस शेर के मानिंद हम नये साल में प्रवेश कर गये हैं. गहरे कुहासे के बाद आने वाली सुबह जैसा सुकून लेकर आती है, साल 2023 भी कुछ इसी तरह का एहसास लेकर आया है. इस एहसास में उम्मीदे हैं, आशाएं हैं और उत्साह है. यह साल एक उजास बनकर सभी के जीवन में बना रहे.
परिवर्तन ही कालप्रवाह की मुख्य पहचान होती है. भारत-भूमि प्रकृति की अन्यतम लीला-स्थली के रूप में विकसित हुई, जहां सृष्टि के रस, रूप, गंध और रंग की समृद्धि अपनी विविधताओं के साथ सतत नवीनता का स्वागत करती रहती है. इतिहास गवाह है कि कठिनाइयों के बीच अपनी प्रतिरोध-क्षमता के साथ भारतीय समाज प्रगति की नयी ऊंचाइयों को छूने को उद्यत रहता है. इसका ताजा प्रमाण यह है कि कोविड जैसी घातक महामारी के साथ युद्ध स्तर पर लड़ने के बाद सन बाइस में आर्थिक स्थिति में सुधार दर्ज कर भारत विश्व की प्रमुख आर्थिक व्यवस्थाओं में स्थान बना रहा है, जबकि अनेक देश अभी भी अनिश्चितता के दौर में हैं.
स्वाधीनता की 75वीं सालगिरह को ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ रूप में मनाते हुए देश ने अमृतकाल की पच्चीस वर्षों की अवधि में आत्मनिर्भरता के लिए संकल्प लिया है. औपनिवेशिक व्यवस्थाओं के प्रचलन के चलते कई अर्थों में हमारी दृष्टि परमुखापेक्षी होती गयी थी. आशा है नये संकल्प के साथ हम अपनी आंतरिक देश शक्ति को पहचानेंगे और देश की अस्मिता के अनुकूल सामर्थ्य बढ़ा पाने में कामयाब हो सकेंगे. यह तभी संभव होगा, जब समाज, विशेषकर युवा वर्ग की ऊर्जा का इस दिशा में सार्थक निवेश हो. यद्यपि सहिष्णुता और सौहार्द विश्व के इस विशालतम गणतंत्र की अब तक की यात्रा के पाथेय रहे हैं, तथापि विविधताओं को साथ लेकर चलना सरल नहीं रहा है.
संघर्ष, प्रयास और चुनौतियों से गुजरते हुए आज भारत तकनीकी और वैज्ञानिक गतिविधियों की दृष्टि से तेजी से आगे बढ़ रहा है. डिजिटल लेन देन, 5-जी टेलीकॉम सेवा, सोशल मीडिया के क्षेत्र में तेजी और सामरिक शक्ति में बढ़त हासिल हुई है. साथ ही सामाजिक, भौतिक और आर्थिक अवसंरचना (इंफ्रास्ट्रक्चर) को सुदृढ़ बनाने के लिए भी लगातार प्रयास किये जा रहे हैं. कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद स्थितियां सामान्य की ओर आगे बढ़ रही हैं. देश में समान नागरिक संहिता का प्रस्ताव चर्चा में है. अगले वर्ष देश को नया संसद भवन मिलेगा. सांस्कृतिक दृष्टि से देश में अनेक कार्य संपन्न हुए. न्याय और कानून के क्षेत्र में भी कई बड़े फैसले लिये गये, जिनके दूरगामी प्रभाव होंगे. युवा वर्ग के लिए रोजगार की व्यवस्था की दिशा में भी उल्लेखनीय प्रयास किया गया. पर भ्रष्टाचार, प्रदूषण, आतंक, क्षेत्रवाद और किस्म-किस्म के भेदभाव हमारे विकास के मार्ग में रोड़े बने हुए हैं. इसी तरह बेरोजगारी, जातिवाद, महंगाई असमानता, गरीब-अमीर के बीच की खाई, शिक्षा और स्वास्थ्य तक आम जन की पहुंच की समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं.
गौरतलब है कि 15 नवंबर, 2022 को हमारी धरती की आबादी आठ अरब पहुंच गयी. यह भी ज्ञात हुआ है कि भारत की जनसंख्या जिस तरह बढ़ रही है, साल 2023 में चीन से ज्यादा हो जायेगी. पर अच्छी बात यह है कि जनसंख्या में युवा वर्ग का अनुपात अधिक है. आज भारत विश्व का युवतम देश है. भारत की पचास प्रतिशत जनसंख्या पचीस वर्ष की आयु के नीचे है और 65 प्रतिशत से अधिक 35 वर्ष के नीचे है. 13 से 35 आयु वर्ग में 66 प्रतिशत जनसंख्या आती है. आज औसत भारतीय की आयु 29 वर्ष है, जबकि चीन में 37 वर्ष और जापान में 48 वर्ष है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत 2030 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश हो जायेगा. भारतीय श्रम शक्ति 8 मिलियन प्रतिवर्ष की दर से अगले दशक में बढ़ेगी. देश में युवा वर्ग पर सभी की नजर जाती है. जरूरी है कि युवा वर्ग में नेतृत्व की योग्यता, समस्या-समाधान की क्षमता, सृजनात्मकता, सहयोग और सहनशीलता की भावना, डिजिटल कौशल और नैतिक मूल्य विकसित हों.
युवा वर्ग से देश को बड़ी आशाएं हैं. नयी शिक्षा नीति छात्र-छात्राओं की प्रतिभा को निखारने के लिए अनेक प्रावधानों के साथ लागू की जा रही है. इसमें रुचियों की विविधता, अवसरों की उपलब्धता, मूल्यांकन पद्धति में सुधार, मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा और भारतीय संस्कृति के साथ जुड़ाव पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. आज का समय बौद्धिक उद्दीपन, आवागमन और संचार की सुविधा की दृष्टि से नये और समृद्ध परिवेश को रच रहा है. आज के बच्चों, किशोरों और युवाओं की बौद्धिक परिपक्वता, प्रतिभा, जीवन में संभावनाओं के प्रति नजरिया और उद्यमिता की प्रवृत्ति अप्रत्याशित रूप से भरोसा जगाने वाली है. उचित परामर्श और अवसर की व्यवस्था द्वारा इस अमूल्य पूंजी की रक्षा और संवर्धन देश के दीर्घकालिक महत्व का होगा.
(लेखक महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति हैं.)