आजकल के कई बच्चों में निगेटिविटी और डिप्रेशन के सिंपटम्स देखने को मिल रहे हैं. ऐसे हालात के लिए सीधे तौर पर पैरेंटिंग के तौर-तरीके जिम्मेदार हैं. पैरेंटिंग आसान नहीं है तो ज्यादा मुश्किल भी नहीं है. सिर्फ आपको अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और उसे पूरा करने के लिए कुछ कोशिशें करनी होंगी. ये कोशिशें आपके बच्चे के बेहतर फ्यूचर की नींव बनेंगी. आपकी उम्मीद बच्चों से है तो बच्चों की उम्मीदें आपसे ही जुड़ी हैं. उन उम्मीदों को पूरा करके ही आप एक रिस्पांसिबल पैरेंट बन सकते हैं. बच्चे आप के साथ घुल-मिल जाएं और आपको अपना दोस्त बनाएं इस दिशा में मेहनत करना जरूरी है.
माता-पिता दोनों को ही बच्चे को समय देना चाहिए. जिम्मेदारियों को बांटना ज्यादा अच्छा रहता है. म्युचुअल अंडरस्टैंडिंग से घर के काम के साथ बच्चे को दिए जाने वाले समय का भी ख्याल रखें. पत्नी-पत्नी में एक बिजी हो तो दूसरा उसकी जवाबदेही को पूरा कर सकता है और बच्चे के साथ पूरा समय दे सकता है.
बच्चे आपके बिहेवियर से ही सीखते हैं. आप जैसे भी हों, बच्चे के सामने आदर्श बनें. ऐसी कोई गतिविधि नहीं करें जो आप अपने बच्चे के बिहेवियर में नहीं चाहते हो. बच्चे आपकी सभी गतिविधियों से सीखते हैं और उसे ही सही मानने लगते हैं. उन्हें अच्छा सिखाएं.
पति-पत्नी में मनमुटाव भी हो तो बच्चों के सामने न झगड़ें. अपने इशुज अकेले में बैठकर सुलझाएं, जब बच्चे आपके इर्द-गिर्द न हों या जब वे सो रहे हों. आपका ऑड बिहैवियर उन्हें आक्रामक और निगेटिव बना सकता है.
पैरेंटिंग में इगो की कोई जगह नहीं होती. यह आपसी समझ से बेहतर होती है. ऐसा कभी न सोचें कि मैं ही क्यों ज्यादा समय दूं या मैं ही क्यों घर के कामों में एफर्ट दिखाउं. आगे बढ़कर जीवनसाथी के कामों में हाथ बटाएंगे तो एक-दूसरे के काम आसान होंगे और बच्चों को भी पर्याप्त समय दे पाएंगे.
Also Read: नए साल में लें सेहत के ये रेजोल्युशंस, पूरे साल आपको रखेंगे हेल्दीबच्चों को आपसे असीमित उम्मीदें होती हैं. सबसे ज्यादा इस वो चाहते हैं कि आप उन्हें ज्यादा से ज्यादा समय दें. उनकी इन उम्मीदों पर खरा उतरें. इस बात का हमेशा ख्याल रखें कि बच्चों के मन में निराशा का भाव न पनपें. रिसर्च बताते हैं कि बच्चों की मानसिक दशा जितनी अच्छी रहती है, वो उतने ही सफल बनते हैं.
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