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Premanand Ji Maharaj: बेटी के घर पानी पीने से क्या सही में लगता है पाप?

Premanand Ji Maharaj: इस लेख में आपको यह बताया जा रहा है कि जब एक महिला ने महाराज जी से यह पूछा कि अगर माता-पिता बेटी के घर पानी पी लें, तो उन्हें सच में पाप लगता है क्या? इस सवाल का महाराज जी ने क्या उत्तर दिया.

Premanand Ji Maharaj: हर व्यक्ति के मन में कुछ ना कुछ ऐसे सवाल होते हैं, जिनका उत्तर जानना उनके लिए बहुत मुश्किल हो जाता है और वो हमेशा ऐसे इंसान या संत-महात्मा का सानिध्य पाना चाहते हैं, जो उनकी बातों को ध्यानपूर्वक सुने और उनके प्रश्नों का ऐसा उत्तर दे सके, जिससे उन्हें संतोष की प्राप्ति हो और वो अपने जीवन और भक्ति के मार्ग में आगे बढ़ सकें. कई भक्त ऐसे होते हैं, जिन्हें प्रेमानंद जी महाराज से मिलकर अपने जटिल प्रश्नों का सहज उत्तर मिल जाता है. इस लेख में आपको यह बताया जा रहा है कि जब एक महिला ने महाराज जी से यह पूछा कि अगर माता-पिता बेटी के घर पानी पी लें, तो उन्हें सच में पाप लगता है क्या? इस सवाल का महाराज जी ने क्या उत्तर दिया.

बेटी के घर का पानी पीना सही या गलत?

प्रेमानंद महाराज जी से जिस भी भक्त को मिलने का मौका मिलता है, वो उनसे मिलकर अपने प्रश्नों का उत्तर जानने का प्रयास करते हैं. महाराज जी भी आध्यात्मिक और सांसारिक प्रश्नों का बहुत अच्छी तरह से उत्तर देते हैं. महाराज जी के सत्संग के खत्म होने के बाद एक महिला ने उनसे अपने सांसारिक जीवन से जुड़ा एक प्रश्न किया, जो यह था कि समाज में लोग यह मानते हैं कि माता-पिता को अपनी बेटी के घर का पानी भी नहीं पीना चाहिए और अगर वो ऐसा करते हैं तो वो पाप के भागी बन सकते हैं. अपने प्रश्न को आगे बढ़ाते हुए महिला ने यह भी बताया कि उसकी माता की तबीयत ठीक नहीं रहती है और वह अपनी माता की सेवा करना चाहती है, लेकिन उनकी मां, पाप लगने के डर से उसके घर आना नहीं चाहती है, ऐसे में उसे क्या करना चाहिए.

महाराज जी ने सुझाया यह उपाय

महिला के प्रश्न को सुनकर महाराज जी ने कहा कि शास्त्रों में पुत्र और पुत्री में कोई अंतर नहीं किया गया है, यह सनातन धर्म की पूज्य भावना है कि उसमें स्त्रियों को पूज्य रूप में देखा जाता है, इसलिए लोग बेटी के घर में पानी पीने को भी पाप मानते हैं, लेकिन ऐसा विचार रखना उचित नहीं है क्योंकि माता-पिता की सेवा करने का जितना हक बेटे को है, उतना ही हक बेटी को भी है. माता-पिता चाहें तो अपनी बेटी के घर में अपना पूरा जीवन बिता सकते हैं, इसमें किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं है और अगर उनकी तबीयत खराब है ,तो बेटी का यह हक और कर्तव्य दोनों है कि वो उनकी सेवा करे.

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माता-पिता की सेवा ही है परम धर्म

महिला के प्रश्नों का उत्तर देते हुए, महाराज जी ने यह बात भी कही कि वर्तमान समय में माता-पिता अपने आखिरी दिन काट रहे होते हैं और उनके बच्चे आपस में संपत्ति को लेकर झगड़ा करते रहते हैं, ऐसे युग में अगर कोई बच्चा अपने माता-पिता की सेवा के लिए आतुर दिखाई पड़ता है, तो यह बहुत खुशी की बात है और हर बच्चे को यह समझना चाहिए कि माता-पिता की सेवा करना ही उनका परम धर्म है.     

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