Dinkar’s Hindi Diwas Poem: “हिंदी का गौरव” रामधारी सिंह दिनकर (Ramdhari Singh Dinkar) की एक प्रसिद्ध कविता है, जिसमें उन्होंने हिंदी भाषा की महत्ता और उसके गौरव का बखान किया है. दिल को छूं जानें वाली दिनकर जी की यह कविता हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करने के उनके विचारों को प्रदर्शित करती है. उन्होंने हिंदी को केवल एक भाषा नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर और भारत की आत्मा का प्रतीक माना. आइए उनकी इस प्रसिद्ध कविता के कुछ अंश देखें:
“हिंदी का गौरव”
हिंदी हमारी मातृभाषा,
हिंदी भारत की अभिलाषा.
हिंदी गौरव राष्ट्र का,
यह भाषा है हम सबका.
जिसने सबको साथ जोड़ा,
नदियों जैसा रूप है इसका.
सब भाषाएं प्यारी हैं,
पर हिंदी सबसे न्यारी है.
नहीं किसी से द्वेष है इसका,
नहीं किसी से नफरत.
प्यार और मेल-मिलाप सिखाए,
दुनिया में बढ़ाए हिम्मत.
अपनी कविताओं में, दिनकर ने हिंदी का महिमामंडन किया और देश के विविध सांस्कृतिक धागों को जोड़ने की इसकी क्षमता पर जोर दिया. उन्होंने हिंदी को राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बताते हुए इसके मान्यता और विकास की वकालत करते हुए अपने विचारों को जोश के साथ व्यक्त किया. उनकी प्रसिद्ध कविता ‘हिंदी का गौरव’ इन भावनाओं को प्रतिध्वनित करती है, जिसमें उन्होंने भाषा की शक्ति और समृद्धि पर प्रकाश डाला है.
दिनकर ने अपनी इस कविता के माध्यम से हिंदी की व्यापकता और उसकी अद्वितीयता को उजागर किया. उनका मानना था कि हिंदी न केवल संवाद का साधन है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है. “हिंदी का गौरव” हिंदी की गरिमा और उसकी सामाजिक-सांस्कृतिक भूमिका का उत्सव है, जो हमें अपने भाषाई धरोहर पर गर्व करने की प्रेरणा देता है.
Also Read: Hindi Diwas Poem: हिन्दी दिवस पर सुनियें रामधारी सिंह दिनकर की ये कविता
Also Read:रामधारी सिंह दिनकर जयंती: संघर्ष भरा बचपन और राष्ट्रकवि के बारे में जानिए दिलचस्प बातें..
Also Read: जानें कौन थे राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर, 48वीं पुण्यतिथि पर उनके जीवन की फिर से एक झलक