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Happy Subhash Chandra Bose Jayanti 2023 Speech: सुभाष चंद्र बोस जयंती आज, भाषण, स्पीच, स्लोगन यहां देखें

Subhash Chandra Bose Jayanti 2023 Speech Bhashan: सुभाष चंद्र बोस की जयंती आज, 23 जनवरी को , सोमवार को है. इस अवसर पर विभिन्न स्कूल, कॉलेज, संस्थानों में अलग-अलग तरह के कार्यक्रम, भाषण, स्पीच, कविता, स्लोगन लिखो प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं. यहां देखें स्पीच, भाषण, कविताएं के फार्मेट..

Subhash Chandra Bose Jayanti 2023 Speech, Bhashan: भाषण की शुरुआत ऐसे करें… मुख्य अतिथि, प्रिंसिपल, शिक्षकों और मेरे प्यारे दोस्तों के लिए सुप्रभात. मैं आप सभी को नेता जी सुभाष चंद्र बोस जयंती जिसे पराक्रम दिवस भी कहते हैं कि शुभकामनाएं देता हूं. आज, मुझे पराक्रम दिवस पर कुछ बोलने का मौका मिला है इसमें मैं अपने आपको सम्मानित महसूस करता हूं. देश की स्वतंत्रता में नेता जी सुभाष चंद्र बोस के योगदानों को भुला नहीं जा सकता.

सुभाष चंद्र बोस जयंती भाषण 2023 (Essay on Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti Speech 2023)

127 साल पहले 23 जनवरी को एक बच्चे ने जन्म लिया, स्वतंत्रता सेनानी बना और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान दिया जिसे आज भी याद किया जाता है. वे एक कर्मठ व्यक्ति थे जिन्होंने देश के युवाओं को एक साथ आने और स्वतंत्रता के लिए लड़ने का खुले तौर पर आह्वान किया. उन्होंने अपने विचारों और शिक्षाओं से भी लाखों लोगों को प्रेरित किया. और वो कोई और नहीं बल्कि सुभाष चंद्र बोस हैं. उनके योगदान का सम्मान करने के लिए हर साल 23 जनवरी को पूरा देश सुभाष चंद्र बोस जयंती मनाता है.

जय हिंद

सुभाष चंद्र बोस जयंती 2023 निबंध (Essay on Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti Speech 2023)

सुभाष चंद्र बोस भारत के महान नेताओं में से एक थे. वे नेताजी के नाम से प्रसिद्ध हैं. उन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए. नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक में हुआ था. उनके पिता एक प्रसिद्ध वकील थे. नेताजी एक मेधावी छात्र थे जिन्होंने मैट्रिक की परीक्षा में दूसरा स्थान प्राप्त किया था. उन्होंने अपना B.A ऑनर्स 1918 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में पूरा किया. बाद में वे सितंबर 1919 में आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए.

जय हिंद

छात्रों के लिए सुभाष चंद्र बोस जयंती भाषण 2023 (Essay on Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti Speech 2023)

नेताजी को भारतीय सिविल सेवा के लिए चुना गया था लेकिन वे इंग्लैंड में रहकर ब्रिटिश सरकार की सेवा नहीं करना चाहते थे. इसलिए, उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना शुरू कर दिया. आजाद हिंद फौज की स्थापना सुभाष चंद्र बोस ने की थी. उन्होंने ‘जय हिंद’ शब्द गढ़ा. उनके करिश्मे और शक्तिशाली व्यक्तित्व ने कई लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में प्रेरित किया और भारतीयों को प्रेरित करना जारी रखा. ऐसा माना जाता है कि 18 अगस्त 1945 को एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी, हालांकि नेताजी अब इस दुनिया में नहीं हैं, फिर भी उनका नाम हमेशा चमकता रहेगा. उन्हें हमेशा देश के महानतम शहीदों में गिना जाएगा.

जय हिंद

सुभाष चंद्र बोस जयंती भाषण 2023 (Essay on Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti Speech 2023)

सुभाष चंद्र बोस ने कहा था कि स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए केवल पुरुष, धन और सामग्री ही काफी नहीं है. उनके अनुसार बहादुरी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है और यह व्यक्ति की प्रेरक शक्ति से ही आती है. नेताजी भारत के एक सच्चे वीर नायक थे जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए अपना घर और आराम हमेशा के लिए छोड़ दिया और असंख्य युवाओं को अपनी वीरता, साहस और देशभक्ति से प्रेरित किया. सुभाष चंद्र बोस कार्रवाई में विश्वास करते थे और खुले तौर पर देश के युवाओं को एक साथ आने और स्वतंत्रता के लिए लड़ने का आह्वान करते थे. मेरे प्यारे दोस्तों, हम नेताजी से सीखते हैं कि जब हमें अपनी ताकत दिखाने की जरूरत होती है, तो हमें कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए और चीजों को मजबूती से संभालना चाहिए.

जय हिंद

सुभाष चंद्र बोस पर 10 लाइन (10 Lines on Netaji Subhash Chandra Bose)

सुभाष चंद्र बोस एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे.

उनका जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था.

उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती देवी था.

वे लोकप्रिय रूप से ‘नेताजी’ के नाम से जाने जाते थे.

नेताजी ने शुरू किया ‘स्वराज’ अखबार

नेताजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष थे.

नेताजी ने आजाद हिंद फौज और भारतीय राष्ट्रीय सेना का गठन किया.

उनके प्रसिद्ध नारे हैं “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा, जय हिंद और दिल्ली चलो”

नेताजी ने ‘द इंडियन स्ट्रगल 1920-1942’ पुस्तक लिखी.

कहा जाता है कि 18 अगस्त 1945 को एक विमान दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु हो गई थी.

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