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Subhash Chandra Bose Jayanti 2022:साधु के वेश में यूपी में रहते थे नेता जी,जानें ऐसे ही अन्य रोचक फैक्ट्स

Subhash Chandra Bose Jayanti 2022: ऐसा माना जाता था कि सुभाष चंद्र बोस विमान दुर्घटना में जिंदा बच गए थे और एक 'साधु' का वेश बनाकर यूपी में रहते थे. लोग उन्हें गुमनामी बाबा के नाम से जानते थे.

Subhash Chandra Bose Jayanti 2022: सुभाष चंद्र बोस के भारत की स्वतंत्रता में योगदानों को कभी नहीं भूला जा सकता. उसने योगदान अथाह हैं. देश प्रेम की पराकष्ठा उन्हें और लोगों से बिल्कुल अलग बनाती है. उनका व्यक्तित्व अथाह गहराई, गहन ज्ञान, अविश्वसनीय बुद्धिमत्ता और तेजस्वी था. सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर पढ़ें उनके जीवन से जुड़े 10 महत्वपूर्ण फैक्ट्स.

1. नेताजी सुभाष चंद्र बोस: ‘देशभक्तों के बीच प्रिंस’के नाम से जाने जाते थे.

2. सुभाष चंद्र बोस ने महात्मा गांधी को ‘देशभक्तों का देशभक्त’ कहा, भले ही दोनों ने दो अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराएं साझा की हों. यह एक दिलचस्प तथ्य है जो एक बार फिर नेताजी के बड़े दिल को उजागर करता है.

3. देशभक्तों की बात करें तो बोस स्वयं एक आध्यात्मिक देशभक्त थे. नेताजी का मानस स्वामी विवेकानंद और श्री रामकृष्ण परमहंस से काफी प्रभावित था. वह 15 वर्ष के थे जब उन्हें पहली बार स्वामी विवेकानंद के कार्यों का पता चला, जिसके बाद आध्यात्मिकता के प्रति उनका शाश्वत झुकाव प्रकट हुआ और उनके भीतर एक क्रांति कई गुना बढ़ गई. उनका मानना ​​था कि दोनों आध्यात्मिक गुरु एक अदृश्य व्यक्तित्व के दो पहलू हैं.

4. इस महान स्वतंत्रता सेनानी को 1921 से 1941 की अवधि के दौरान 11 बार कैद किया गया था. जेल में रहते हुए उन्होंने 1930 में कलकत्ता के मेयर का पद ग्रहण किया था.

5. जर्मनी में आजाद हिंद रेडियो स्टेशन की स्थापना नेताजी ने की थी. ‘जय हिंद’, ‘दिल्ली चलो’, ‘मुझे खून दो और मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ जैसे वाक्यांश नेताजी द्वारा गढ़े गए थे.

6. कहा जाता है कि जब नेताजी ने भारत की आजादी के लिए समर्थन जुटाने के लिए जर्मनी में अपना समय बिताया, तो उन्होंने एमिली शेनकी से शादी की थी जो एक ऑस्ट्रियाई महिला थीं. और प्रसिद्ध जर्मन अर्थशास्त्री अनीता बोस उनकी बेटी थीं.

7. 1941 में जब वे नजरबंद थे तब उन्होंने अपने भेष बदलकर भागने की योजना बनाई थी अपने साथी सिसिर बोस के साथ. दिन-रात पुलिस द्वारा निगरानी की जा रही थी, यह नेताजी के दिमाग की उपज थी कि भागने को किसी ऐसी चीज की आड़ में होने दिया जाए जो असामान्य नहीं लगती. कुछ ऐसा जो हर दिन होता है. इस प्रकार, चाचा सुभाष के लिए एक ट्रांजिस्टर ट्यून करने का कारण बताते हुए, सिसिर प्रतिदिन नेताजी से मिलने आते थे और अंत में नेताजी की दूरदर्शिता के साथ उनकी भव्य भागने की योजना को साकार किया.

8. नेताजी ने 1941 में तत्कालीन इतालवी विदेश मंत्री गैलियाज़ो सियानो से मुलाकात की थी, जिन्होंने उनके साथ स्वतंत्रता की घोषणा के मसौदे पर चर्चा की थी. उस दौरान बोस अपनी पत्नी के साथ करीब 6 हफ्ते रोम में रहे थे.

9. नेताजी की मृत्यु रहस्य में डूबी हुई है, और इससे हम सभी वाकिफ हैं. 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में विमान दुर्घटना की बहुचर्चित खबरों के बाद, ऐसा माना जाता था कि सुभाष चंद्र बोस एक ‘साधु’ का वेश बनाकर यूपी में रहते थे. लोग उन्हें गुमनामी बाबा के नाम से जानते थे.

10. नेताजी मेधावी छात्र थे. भारतीय सिविल सेवा परीक्षा को पास करने के बावजूद, उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए सरकारी पद से इस्तीफा दे दिया. उन्हें उनके गुरु चित्तरंजन दास द्वारा पेश किए गए ‘फॉरवर्ड’ अखबार के संपादक के रूप में जाना जाता था. ‘स्वराज’, फिर भी उनके द्वारा एक और अखबार शुरू किया गया था. 1935 में नेताजी की ‘द इंडियन स्ट्रगल’ नाम की किताब प्रकाशित हुई थी.

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