Prayagraj Azad Park History: प्रयागराज उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक प्रमुख शहर है. यह भारत की सबसे पवित्र नदी संगम स्थलों में से एक है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदी एक साथ मिलती हैं. प्रयागराज को प्राचीन काल में “इलाहाबाद” के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ है “देवों का नगर”. भारत के आजादी के बाद 2018 में शहर का नाम “प्रयागराज” रखा गया. इसके अलावा इसका भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है, जिसके कारण यह पर्यटकों के बीच लोकप्रिय बना है. आज हम आपको बताएंगे आजाद पार्क के इतिहास के बारे में.
प्रयागराज आजाद पार्क (Prayagraj Azad Park) का नाम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक चंद्रशेखर आजाद के नाम पर रखा गया है. यह एक महत्वपूर्ण पार्क है जो प्रयागराज (इलाहाबाद के पुराने नाम से भी जाना जाता है) में स्थित है. इस पार्क का इतिहास महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक प्रमुख स्थान रहा है.
स्थापना: प्रयागराज आजाद पार्क की स्थापना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुई. इसे 1947 में बनाया गया था.
नामकरण: इस पार्क का नाम महानायक चंद्रशेखर आजाद के नाम पर रखा गया था.
स्वतंत्रता संग्राम स्थल: प्रयागराज आजाद पार्क भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है. यहां आंदोलनकारियों ने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और सत्याग्रह किए थे.
आजादी के पुरस्कार: प्रयागराज आजाद पार्क में भारतीय स्वतंत्रता के महानायक चंद्रशेखर आजाद को समर्पित एक विशेष स्थान है. यहां उन्हें सम्मानित करने के लिए समारोह और पुरस्कार समारोह आयोजित किए जाते हैं.
प्रयागराज आजाद पार्क आज भी स्थानीय और पर्यटकों के बीच एक प्रसिद्ध स्थल है. जहां लोग शांति और ध्यान का आनंद लेते हैं और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान दिए गए समर्थन को याद करते हैं.
चंद्रशेखर आजाद, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वीर शूरवीर थे. उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन में अपना बहुमुखी योगदान दिया. चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा नामक स्थान पर हुआ था. उनका असली नाम चंद्रशेखर तिवारी था, लेकिन उनके योग्य आदर्शवादी सोच के कारण उन्हें “आजाद” के नाम से भी जाना जाता है. आजाद ने अपने जीवन में गरीबी, निष्कर्मभाव और भारत की आजादी के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी.
आजाद की विद्रोही कार्रवाई में मुख्य रूप से ककोरी ट्रेन हिंसा और ककोरी कांड नामक घटना शामिल थी. 9 अगस्त 1925 को आजाद और उनके सहयोगियों ने ककोरी ट्रेन को लूटने का प्रयास किया, जिसमें ब्रिटिश सरकार के राजकोष से सामग्री चुराने की कोशिश की गई थी. यह कार्यक्रम विफल हो गया और आजाद को बाद में गिरफ्तार किया गया.
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चंद्रशेखर आजाद ने इलाहाबाद के चौक में 27 फरवरी 1931 को आत्मघाती हमला किया था. उन्होंने ब्रिटिश सरकार के सैन्य पर अभियोग लगाने के चलते अपने ही गोलियों से आत्महत्या कर ली. उनकी मृत्यु एक वीरता पूर्वक योगदान के रूप में जानी जाती है और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों में से एक के रूप में उन्हें स्मरण किया जाता है. आपको बताते चलें आजाद पार्क का नाम पहले अल्फ्रेड पार्क था लेकिन चंद्रशेखर आजाद की शहादत के बाद इसका नाम बदलकर आजाद पार्क कर दिया गया.