Augharnath Mandir: मेरठ महानगर में श्री बाबा औघड़नाथ शिव मंदिर एक प्राचीन सिद्धिपीठ है. इस मन्दिर में स्थापित लधुकाय शिवलिंग स्वयंभू, फलप्रदाता तथा मनोकामनायें पूर्ण करने वाले औघड़दानी शिवस्वरूप हैं. इसी कारण इसका नाम औघड़नाथ शिव मन्दिर पड़ गया.
1857 के स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित है इस मंदिर का इतिहास
मंदिर का ऐतिहासिक महत्व इस तथ्य से है कि इसने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. मंदिर में शिव लिंग के अलावा, राधा कृष्ण और देवी दुर्गा के मंदिर भी हैं. मुख्य रूप से शिव मंदिर होने के कारण, औघड़नाथ मंदिर में महाशिवरात्रि और पूर्णिमा जैसे अवसरों पर सैकड़ों भक्तों की भीड़ उमड़ती है.
यहीं फूंका गया था 1857 की क्रांति का बिगुल
इसी मंदिर से 1857 की क्रांति का बिगुल फूंका गया था. जानकारों की मानें तो बंदूक की कारतूस में गाय की चर्बी का इस्तेमाल होने के बाद सिपाही उसे मुंह से खोलकर इस्तेमाल करने लगे थे. तब मंदिर के पुजारी ने उन जवानों को मंदिर में पानी पिलाने से मना कर दिया. ऐसे में पुजारी की बात सेना के जवानों को दिल पर लग गई. उन्होंने उत्तेजित होकर 10 मई 1857 को यहां क्रांति का बिगुल बजा दिया. जानकारों के मुताबिक औघड़नाथ शिव मंदिर में कुएं पर सेना के जवान आकर पानी पीते थे. इसी ऐतिहासिक कुएँ पर बांग्लादेश के विजेता तत्कालीन मेजर जनरल श्री जगजीत सिंह अरोड़ा के कर कमलों द्वारा स्थापित शहीद स्मारक क्रान्ति के गौरवमय अतीत का ज्वलन्त प्रतीक है, जहाँ आज भी प्रति वर्ष 10 मई को भारत वर्ष स्वतंत्रता सेनानी इकटठे होकर शहीदो को अपनी पुष्पंजली अर्पित करते है. तथा सम्मेलन करते है.
पुराने लोग जानते है कि 1944 तक प्रशिक्षण केन्द्र से लगा हुआ वृक्षो के जंगल में छोटा-साफ शिव मन्दिर व उसके पास में कुआं (प्याऊ के रूप) विद्यमान था धीरे-धीरे मन्दिर के उत्थान के विचार से देवधिदेव महादेव प्रलयंकर भगवान शकर की इच्छा एवं प्रेरणा जानकर अक्तूबर 1968 को सायं 5 बजे नवीन मन्दिर का शिलन्यास वैद मंत्रो की तुमुल ध्वनि के मध्य ब्रह्मलीन ज्योतिषीठाधीशवर अनन्तश्री विभूषित जगत गुरू शंकराचार्य कृष्णबोधाश्रम जी के कर कमलो द्वारा सम्पन्न हुआ प्रगति क्रम-परम्परा मे चार वर्ष पश्चात् 13 फरवरी 72 मे नई देव प्रतिमाओं का प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव हुआ.
औघड़नाथ मंदिर का समय
औघड़नाथ का मंदिर सप्ताह के सभी दिन खुला रहता है. कोई भी व्यक्ति किसी भी दिन सुबह 5 बजे से शाम 10 बजे तक दर्शन कर सकता है.
औघड़नाथ मंदिर कहां स्थित है
औघरनाथ मंदिर मेरठ कैंट, मेरठ, उत्तर प्रदेश 250001, भारत पर स्थित है.
औघड़नाथ मंदिर के बारे में रोचक तथ्य
परिसर में हाल ही में निर्मित कृष्ण मंदिर के साथ-साथ धार्मिक कार्यों, भजनों आदि के लिए एक बड़ा हॉल भी शामिल है.
औघड़नाथ मंदिर कहानियों और आख्यानों का खजाना है जिसने भारत के ताने-बाने को आकार दिया है.
मंदिर में 1857 के विद्रोह के शहीदों के सम्मान में एक स्मारक भी बनाया गया है.
औघड़नाथ मंदिर मेरठ में एक स्वयंभू शिवलिंग मौजूद है. इसे एक आधुनिक संस्करण द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है.
भक्तों का मानना है कि उनकी पूजा से शिव को प्रसन्न करके वे आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं.
औघड़नाथ मंदिर के आसपास घूमने की जगह
-
सरकारी स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय
-
पारिस्थितिक पार्क
-
भगत चौराहा
-
मुस्तफा महल
औघड़नाथ मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय
मेरठ के अधिकांश पर्यटन स्थलों की तरह औघड़नाथ मंदिर में भी साल भर जाया जा सकता है. हालांकि, सर्दियों के मौसम को मंदिर में जाने का सबसे अच्छा समय माना जाता है. अक्टूबर के महीने में शुरू होने वाली, मेरठ में गर्मियाँ और मानसून की तुलना में सर्दियाँ अधिक सुहावनी होती हैं. इस समय के दौरान, सुहावना मौसम यात्रियों को शहर का पूरी तरह से पता लगाने की अनुमति देता है. फरवरी के महीने में सीजन खत्म हो जाता है.
औघड़नाथ मंदिर कैसे पहुंचे
मंदिर बसों या ऑटो-रिक्शा द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है क्योंकि यह मेरठ शहर के केंद्र के करीब है.
हवाई जहाज द्वारा
इस क्षेत्र का निकटतम हवाई अड्डा इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो लगभग 100 किमी दूर है.
ट्रेन से
आप मेरठ कैंट रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं जो मंदिर से सिर्फ 2.5 किमी दूर है.
सड़क द्वारा
2 मुख्य बस टर्मिनल हैं, अर्थात् भैंसाली बस टर्मिनल और सोहराब गेट बस टर्मिनल, जहाँ से उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) की बसें पूरे राज्य और आसपास के शहरों के लिए चलती हैं.