गुप्तेश्वर महादेव मंदिर: नर्मदा नदी के किनारे एक पहाड़ी पर एक शांत गुफा में बसा गुप्तेश्वर महादेव मंदिर(Gupteshwar Mahadev Mandir) न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि भारत की प्राचीन आध्यात्मिक कला की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. यह मंदिर, जिसे दुनिया का पहला शिवलिंग माना जाता है, आध्यात्मिक शांति और प्रकृति की गोद में स्थित है. यह मंदिर खरगोन जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर मंडलेश्वर में दारुकावन में स्थित है.
ऋषि के श्राप से मुक्ति पाने के लिए की थी स्थापना
स्थानीय किंवदंतियों और ऐतिहासिक आख्यानों के अनुसार, गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग की स्थापना किसी और ने नहीं बल्कि भगवान शिव और माता पार्वती ने की थी. ऐसा कहा जाता है कि हजारों साल पहले, उन्होंने एक ऋषि के श्राप को तोड़ने के लिए इस शिवलिंग का निर्माण किया था, इस प्रकार यह मंदिर दैवीय हस्तक्षेप और आध्यात्मिक महत्व के स्थान के रूप में चिह्नित हुआ.
यह शिवलिंग रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का उप-लिंग भी माना जाता है. इसकी उत्पत्ति की कहानी का एक और आकर्षक पहलू यह है कि भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान रेत से इसका निर्माण किया था, यह वह समय था जब उन्होंने नर्मदा तट पर त्रिपुरी तीर्थ के पवित्र क्षेत्र में समय बिताया था. मंदिर का नाम, “गुप्तेश्वर”, जिसका अर्थ है “छिपे हुए भगवान”, शिवलिंग के लंबे समय तक अनदेखे रहने को दर्शाता है.
कई वर्षों तक, शिवलिंग गुफा के भीतर छिपा रहा, बाहरी दुनिया को इसकी जानकारी नहीं थी. इसकी अंतिम खोज ने आध्यात्मिक महत्व के एक छिपे हुए रत्न को प्रकाश में लाया, जो दूर-दूर से भक्तों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है. मंदिर की यात्रा अपने आप में एक अनुभव है, जहां गुफा और आसपास की पहाड़ी एक शांत विश्राम प्रदान करती है.
बोल बम यात्रा: भक्ति की यात्रा
गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के लिए सबसे महत्वपूर्ण अवधियों में से एक श्रावण (जुलाई-अगस्त) का महीना है, जिसके दौरान वार्षिक “बोल बम यात्रा” होती है. इस यात्रा में हज़ारों भक्त भगवान शिव को अर्पित करने के लिए गंगा से पवित्र जल लेकर “बोल बम” का नारा लगाते हुए तीर्थयात्रा पर निकलते हैं. इस दौरान माहौल भक्ति और उत्सव से भरा होता है, मंदिर और उसके आस-पास की गतिविधियां चहल-पहल से भरी होती हैं.
वैसे तो मंदिर साल भर पहुंचा जा सकता है, लेकिन श्रावण मास में बोल बम यात्रा के साथ एक अनूठा अनुभव मिलता है.
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