Places to visit on Janmashtami 2024: भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान विष्णु के आठवें अवतार प्रभु श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस दिन पूरे भारतवर्ष में आस्था, उमंग और उल्लास का अद्भुत संयोजन देखने को मिलता है. देश के विभिन्न हिस्सों में जन्माष्टमी मनाने का तरीका भी अलग होता है.
एक ओर जहां द्वारका, मथुरा, वृंदावन, पुरी और उडुपी में जन्माष्टमी के दिन मंदिरों में विशेष पूजन अनुष्ठान का आयोजन होता है. वहीं दूसरी ओर मुंबई में जन्माष्टमी के दिन दही हांडी का आयोजन होता है. दही हांडी में मुंबई के अलग-अलग मंडली धूम मचाती है. इस दिन मुंबई की गलियों में हर्षोल्लास के साथ जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है.
क्यों खास है दही-हांडी का आयोजन
मुंबई में जन्माष्टमी के त्योहार का बेहद खास और अनमोल हिस्सा है दही हांडी उत्सव. जन्माष्टमी के दिन पूरे महाराष्ट्र में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. इस पावन त्योहार पर मनाई जाने वाली परंपरा है दही हांडी उत्सव. यह पौराणिक परंपरा प्रभु श्रीकृष्ण के मक्खन के प्रति प्रेम और लगाव को दर्शाती है. दही हांडी का उत्सव आपको भगवान कृष्ण द्वारा बचपन में मक्खन चुराने के लिए की गई शरारतों की याद दिलाता है. मुंबई में अलग-अलग मंडली के द्वारा दही हांडी उत्सव का आयोजन किया जाता है. इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक इस उत्सव का हिस्सा बनने मुंबई आते हैं. मुंबई का सबसे प्रसिद्ध और सबसे पुराने दही हांडी कार्यक्रम का आयोजन श्री सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल द्वारा किया जाता है. इस दिन पूरे मुंबई का नजारा कृष्ण भक्ति की आस्था और उल्लास में डूबा नजर आता है.
दही हांडी उत्सव में ऊंचाई पर एक दही की हांडी बांध दी जाती है. जिसे तोड़ने के लिए विभिन्न मंडली आपस में टकराते हैं. मंडली के सभी लोग मिलकर एक मानव श्रृंखला बनाते हैं, जिसके ऊपर चढ़कर एक गोविंदा बना युवक दही की हांडी को तोड़ता है. जो मंडली सबसे पहले दही की हांडी को तोड़ती है, वो दही हांडी प्रतियोगिता की विजेता बन आकर्षक पुरस्कार जीतती है. दही हांडी का कार्यक्रम देखना एक रोमांचक अनुभव है. इस उत्सव के दौरान पूरी मुंबई में गो गो गो गोविंदा… और गोविंदा आला रे… जैसे स्वर गूंजते हैं.
भव्य होता है नजारा
दही हांडी उत्सव के दौरान मुंबई शहर का नजारा बेहद भव्य होता है. गोकुलाष्टमी या जन्माष्टमी के पावन अवसर पर हवा में ऊंचाई पर लटकते दही से भरे मिट्टी के बर्तन को तोड़कर इस परंपरा को निभाया जाता है.
युवाओं की टीम एक दूसरे पर चढ़कर मानव पिरामिड बनाती है और दही की हांडी तोड़ती है. हांडी तोड़ने पर जो सामग्री नीचे गिरती है, उसे प्रसाद माना जाता है. जन्माष्टमी का यह रंग मुंबई को कृष्ण भक्ति से सराबोर कर देता है.
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