Jharkhand Tourism: झारखंड में मौजूद ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल इसे पर्यटन केंद्र के रूप में उभार रहे हैं. यहां कई ऐसे प्राचीन मंदिर, इमारतें और संरचनाएं मौजूद हैं, जो लोगों का धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्र बनी हुई हैं. झारखंड के दुमका के मलूटी मंदिर से लेकर देवघर के बाबा धाम तक और तमाड़ के देवड़ी मंदिर से लेकर रांची के पहाड़ी मंदिर तक हर प्राचीन मंदिर समृद्ध इतिहास का प्रतीक है. झारखंड में मौजूद इन्हीं प्राचीन मंदिरों में एक है, आमरेश्वर धाम जो दर्शनीय स्थल है. इस पवित्र धाम को अंगराबाड़ी के नाम से भी जाना जाता है. यहां सावन के मौके पर शिवलिंग की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. अगर आप भी सावन में रांची घूमने आ रहे हैं, तो जरुर विजिट करें आमरेश्वर धाम.
Sawan 2024: कहां है आमरेश्वर धाम
झारखंड के खूंटी जिले में मौजूद है आमरेश्वर धाम मंदिर. राजधानी रांची से करीब 45 किलोमीटर दूर आमरेश्वर धाम मंदिर भक्तों के बीच काफी लोकप्रिय है. यहां आप आसानी से रेल, हवाई और सड़क मार्ग से आ सकते हैं. इसका निकटतम रेलवे स्टेशन हटिया जंक्शन है. श्रावण मास में श्रद्धालु पैदल भी बाबा पर जल चढ़ाने आते हैं. अंगराबाड़ी प्रांगण में कई हिंदू देवी-देवताओं के मंदिर हैं.
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Sawan 2024: इस कारण नाम पड़ा आमरेश्वर धाम
खूंटी के अंगराबाड़ी में मौजूद है मशहूर आमरेश्वर धाम. झारखंड का मिनी बाबा धाम कहा जाने वाला आमरेश्वर धाम का इतिहास करीब 100 साल पुराना है. वैसे तो सालों भर इस मंदिर में श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है. लेकिन श्रावण मास में इसका महत्व बढ़ जाता है, यहां दूर-दूर से लोग बाबा पर जलार्पण करने आते हैं. इस दौरान कई लोग कांवर यात्रा कर पैदल आमरेश्वर धाम तक पहुंचते हैं. माना जाता है आमरेश्वर धाम में मौजूद स्वयंभू शिवलिंग प्राचीन शिवलिंगों में से एक है, जो आम के पेड़ के नीचे सुशोभित था. इस कारण शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने मंदिर का नाम आमरेश्वर धाम रख दिया. अंगराबाड़ी में सावन के पावन महीने में भक्तों का तांता लगा रहता है. श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक आमरेश्वर धाम झारखंड का प्रमुख दर्शनीय और धार्मिक स्थल है.
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