22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Trimbakeshwar Jyotirlinga:महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर में विराजे है त्रिदेव

महाराष्ट्र के 5 ज्योतिर्लिंगों में से एक त्र्यंबकेश्वर मंदिर में भगवान शिव, श्री हरि विष्णु एवं परम पिता ब्रह्म एक साथ विराजे हुए है, सावन एवं महाशिवरात्रि के विशेष अवसर पर यहां शिव भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलती है.

Nashik, Maharashtra: महाराष्ट्र के नासिक के आध्यात्मिक शहर में स्थित, त्र्यंबकेश्वर मंदिर(Trimbakeshwar Temple) भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का एक प्रमाण है. यह पवित्र स्थल महाराष्ट्र के पांच ज्योतिर्लिंगों में से एक है और भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत महत्व रखता है, पवित्र नदी गोदावरी के उद्गम स्थल के रूप में प्रसिद्ध, त्र्यंबकेश्वर के दर्शन मात्र से भक्त अभिभूत हो उठते है.

त्र्यंबकेश्वर मंदिर का महत्व

Trimbakeshwar Jyotirlinga
Trimbakeshwar jyotirlinga, nasik, maharashtra (image source- social media)

त्र्यंबकेश्वर मंदिर(Trimbakeshwar Temple) भगवान शिव को समर्पित है, जिन्हें यहां त्र्यंबक के रूप में पूजा जाता है, एक अनोखा लिंग जिसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक तीन छोटे लिंग शामिल हैं. यह विशिष्ट विशेषता त्र्यंबकेश्वर को अन्य ज्योतिर्लिंगों से अलग बनाती है. भक्तों का मानना ​​है कि इस लिंग की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.   

ऐतिहासिक और पौराणिक जड़ें

Mahakaleshwar Jyotirlinga 1 2
Trimbakeshwar jyotirlinga:महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर में विराजे है त्रिदेव 4

त्र्यंबकेश्वर मंदिर किंवदंतियों और इतिहास से भरा हुआ है, विशेष रूप से ऋषि गौतम की कहानी.  

सतयुग में, यह भूमि कई ऋषियों के लिए एक तपोभूमि थी, उनमें से एक ऋषि गौतम थे, जो अपनी पत्नी अहिल्या के साथ यहां रहते थे.भयंकर सूखे के दौरान, ऋषि गौतम ने भगवान वरुण से प्रार्थना की, जिन्होंने उन्हें पानी की अटूट आपूर्ति वाला एक तालाब प्रदान किया. इस दिव्य उपहार ने ऋषि को फसल उगाने और अन्य ऋषियों को भोजन देने की अनुमति दी, जिसने अंततः कुछ ऋषियों को ईर्ष्या होने लगी.

ऋषियों ने गौतम ऋषि पर गौहत्या का आरोप लगाया. अपराध बोध से ग्रसित होकर, गौतम ऋषि ने भगवान शिव की तपस्या की, भगवान शिव ने गंगा को धरती पर उतरने का निर्देश दिया. तब फिर मां गंगा ने यह शर्त रखी कि जहां भगवान शिव विराजेंगे वही निवास करेगी तब वे यहां बहेगी.  

तब भगवान शिव यहां त्र्यंबकेश्वर रूप में त्रिदेव के साथ विराजे. तब से मां गंगा अपने गोदावरी रूप में ब्रह्मगिरी पर्वतमाला से निरतर बही जा रही है. यह नदी, जिसे शुरू में दक्षिण गंगा के रूप में जाना जाता था, अब गोदावरी और गौतमी के नाम से प्रसिद्ध है.

वास्तुकला का चमत्कार

Trimbakeshwar Jyotirlinga 1
Trimbakeshwar jyotirlinga, nasik, maharashtra (image source- social media)

वर्तमान में मराठा शासक नाना साहेब पेशवा द्वारा 18वीं शताब्दी में निर्मित त्र्यंबकेश्वर मंदिर एक वास्तुशिल्प चमत्कार के रूप में खड़ा है. श्रीमंत राव साहेब ने बाद में मंदिर परिसर का विस्तार किया, विशेष रूप से पवित्र कुशावर्त कुंड के आसपास, जिससे इसकी पहुंच और आकर्षण बढ़ गया. मंदिर का डिज़ाइन पारंपरिक मराठा वास्तुकला को दर्शाता है, जिसमें जटिल नक्काशी और एक शांत वातावरण है जो आगंतुकों को आकर्षित करता है.

तीर्थ यात्रा का अनुभव

त्र्यंबकेश्वर की तीर्थ यात्रा एक आध्यात्मिक यात्रा है, मंदिर हरे-भरे हरियाली और शांत ब्रह्मगिरी पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जो चिंतन और भक्ति के लिए एक शांत वातावरण प्रदान करता है. मंदिर परिसर गतिविधि का एक हलचल भरा केंद्र है, खासकर महाशिवरात्रि एवं सावन (Sawan) के पावन महीने के त्योहार के दौरान, जब हजारों भक्त भगवान शिव और देवी पार्वती के दिव्य मिलन का जश्न मनाने के लिए इकट्ठा होते हैं.

Also read: Sawan 2024:3600 फीट ऊंचाई पर स्थित है परशुराम महादेव मंदिर

Brihadeshwar Temple: आखिर 1000 साल पुराना बृहदेश्वर मंदिर कैसे खड़ा है बिना नीव के?

MP के मंदसौर में है अष्टमुखी पशुपतिनाथ का मंदिर, एक ही समय में आठ अलग रूपों में देते है दर्शन

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें