Overthinking: आज की इस दौड़-भाग वाली जिंदगी में हर किसी पर बेस्ट रिजल्ट देने का दबाव बना हुआ है, और इसी कारण सभी बहुत स्ट्रेस में रहने लगे हैं. चाहे परिवार हो, काम हो, या फिर रिलेशनशिप, लोग हर छोटी-छोटी चीजों के बारे में बहुत सोचते है. क्या आपने कभी ऐसा महसूस किया है कि किसी चीज के बारे में बहुत सोच रहे हो, पर इससे कुछ पॉजिटिव रिजल्ट नहीं मिल पाता. ऐसी मानसिक स्थिति को ओवरथिंकिंग के नाम से जाना जाता है. अगर आप भी ऐसी स्थिति में फंसे हुए है तो आइए जानते है ओवरथिंकिंग क्या होता है और ऐसा क्यों होता है.
ओवरथिंकिंग क्या है?
ओवरथिंकिंग एक ऐसी मानसिक समस्या है जब व्यक्ति किसी घटना, समस्या, और स्थिति के बारे में हद से ज्यादा सोचने लगता है. हालांकि किसी समस्या का उपाय ढुंडने के लिए उस चीज के बारे में सोचना बेहद महत्त्वपूर्ण है पर लोग ऐसी स्थिति में इतना सोचने लगते है कि मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ उनके सामाजिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर दिखने लगता है.
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क्या है ओवरथिंकिंग का कारण?
पुराने ट्रॉमा
कई बार ऐसा होता है कि बीते हुए समय में हम कुछ बुरी घटना का अनुभव करते है, और उस घटना के ट्रॉमा से कभी उभर नहीं पाते. ऐसे में हम कोशिश करते है कि हम दोबारा उस स्थिति में ना फंसे, और उस स्थिति से बचने कि कोशिश में हम ओवरथिंकिंग करने लगते है.
असफल होने का डर
व्यक्ति को हमेशा इस बात का डर लगा रहता है कि वे जो काम कर रहे है वह सही या गलत, और उस काम में उनको सफलता मिलेगी या नहीं. इस कारण लोग ओवरथिंकिंग करने लगते है और अपने काम में सफल नहीं हो पाते.
परफेक्शन की चाहत
कई बार लोग हर काम को अच्छी तरह से, परफेक्शन के साथ करने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ते, और कई बार इसी कारण वे गलती करने से भी डरते है. उनके इस डर के कारण वह ओवरथिंक करने लगते है और काम अच्छी तरह से पूरा नहीं हो पाते.
आत्मविश्वास ना होना
आत्मविश्वास की कमी के वजह से लोग इस सोच में रह जाते है कि वे उस काम के लायक है या नहीं. व्यक्ति अपने फैसलों पर संदेह करने लगता हैं और ओवरथिंकिंग का शिकार हो जाता है.