हिंदू धर्म में तुलसी का बहुत महत्व है. इसके धार्मिक महत्व के अलावा, यह कई स्वास्थ्य समस्याओं के खिलाफ प्रभावी माना जाता है. मेडिकल साइंस में तुलसी को औषधि का दर्जा दिया जाता है और इसका प्रयोग भी किया जाता है. तुलसी सबसे सस्ता पौधा है फिर भी कई घरों में यह सूख जाता है. कई कारण हैं जिनकी वजह से तुलसी का पौधा जीवित नहीं रह पाता है, लेकिन आप नीचे दिए गए सुझावों का पालन करके उन्हें मरने से रोक सकते हैं.
सही गमले का उपयोग
यदि आप गमले में तुलसी का पौधा लगा रहे हैं तो सही पौधे का चयन अवश्य करें। तुलसी के पौधे के लिए चौड़े मुंह वाला गमला पसंद किया जाता है. इसके अलावा, गमले के नीचे एक से अधिक छेद होने चाहिए ताकि अतिरिक्त पानी निकल जाए और पौधा नमी रहित रहे.
पानी की मात्रा बनाए रखें
गमले में लगे तुलसी के को बहुत अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन गर्मी के मौसम में, अत्यधिक गर्मी के कारण इसे सूखने से बचाने के लिए आपको इसे दिन में कम से कम 3 बार पानी देना सुनिश्चित करना चाहिए. पौधे को गमले के आकार के अनुसार पानी देते रहें.
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अत्यधिक नमी से बचें
तुलसी के पौधे नमी वाली परिस्थितियों में नहीं पनपते. इसलिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि तुलसी के पौधों में नमी जमा न हो नही तो पत्तियां गिरने लगेंगी. आप तुलसी के पौधे से 15 से 20 सेमी की दूरी पर मिट्टी खोदकर इस समस्या का समाधान कर सकते हैं. जब जड़ों में नमी दिखाई देने लगे तो उन्हें सूखी मिट्टी और रेत से भर दें.
फंगल संक्रमण को रोकें
तुलसी के पौधों में फंगल संक्रमण होने का खतरा होता है जो अक्सर अधिक नमी के कारण होता है. आप नीम के बीज के पाउडर का छिड़काव करके इसे रोक सकते हैं. संक्रमण से बचाने के लिए आप इस पाउडर को मिट्टी में भी मिला सकते हैं. अगर आपको नीम का पाउडर नहीं मिल रहा है तो आप नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं. फंगल संक्रमण से बचाव के लिए हर 15 दिन में इस पानी को मिट्टी में मिला दें.
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नियमित छंटाई
छंटाई नई पत्तियों की वृद्धि सुनिश्चित करती है और इसलिए नियमित अंतराल पर तुलसी के पौधों की छंटाई करने की सलाह दी जाती है.