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Patna News: वेलेंटाइन डे आज, पहले दोस्त फिर बने अच्छे हमसफर, जानते हैं कुछ ऐसे कपल्स की कहानी

Patna News: आज वेलेंटाइन डे है. वेलेंटाइन डे यानी प्यार, विश्वास, सहयोग और समर्पण का खास दिन. प्यार किसी एक दिन का मोहताज नहीं होता है, लेकिन वेलेंटाइन डे का इंतजार हर कपल को रहता है.

Patna News: जीवन में एक-दूसरे का साथ निभाने का वादा, तो ज्यादातर कपल्स करते हैं लेकिन समाज में कुछ ऐसे भी उदाहरण हैं, जो अपने प्यार का इजहार अपने पार्टनर को करियर में सहयोग कर करते हैं. एक-दुसरे की हिम्मत बनते हैं और सपोर्ट करते हैं. इजहार-ए-इश्क के इस खास मौके पर पढ़िए ऐसे कपल्स की कहानी, जिन्होंने एक-दूसरे को सहयोग कर अपने करियर को नयी दिशा दी और खास मुकाम हासिल किया.

इश्क के जज्बात. एक-दूसरे को दिया करियर बनाने में साथ

Ravi Pratibha 1
प्रतिभा व रवि गुप्ता

हर परिस्थितियों में हमने दिया एक-दूसरे का साथ

प्रतिभा व रवि गुप्ता

जक्कनपुर के रहने वाले दंपति प्रतिभा कुमारी और रवि कुमार गुप्ता की शादी के तीन साल पूरे हो गये हैं. प्रतिभा कहती हैं, जब मेरी सगाई हुई थी, तब रवि जॉब की तैयारी कर रहे थे. सगाई के बाद हमारे बीच बात शुरू हो गयी थी. जॉब नहीं मिलने की वजह से रवि काफी परेशान थे और उन्हें लग रहा था कि शादी के बाद जिम्मेदारियां बढ़ेंगी और बिना नौकरी इन जिम्मेदारियों को संभालना आसान नहीं होगा. उस वक्त मैंने उनसे यह कहा था कि हर परिस्थिति में हम दोनों मिलकर काम करेंगे और परेशानियों को दूर करेंगे. हालांकि मैं लकी रही कि रवि की नौकरी हमारे शादी के तुरंत बाद हो गयी और उनका चयन झारखंड मिल्क फेडरेशन में एग्जीक्यूटिव के पद पर हुई. नौकरी के लिए उन्हें यहां से जाना पड़ा और मैं यहीं रही. परिवार के साथ. इस दौरान दोनों ने एक-दूसरे के पास आते-जाते रहे जब तक चीजे सेट नहीं हो गयीं.

Shipra Niraj 1
डॉ शिप्रा सोनी व नीरज

जब परिवार सपोर्टिव हो, तो आप कुछ भी कर सकती हैं

डॉ शिप्रा सोनी व नीरज

कृष्णा अपार्टमेंट के रहने वाली डॉ शिप्रा सोनी व उनके पति नीरज की शादी के 21 साल पूरे हो चुके हैं. शिप्रा कहती हैं, मैं बहुत लकी हूं कि मेरे पति और उनके घरवाले काफी सपोर्टिव हैं. शादी के समय मैं ग्रेजुएट थी और पति दिल्ली में प्राइवेट जॉब में कार्यरत थे. एक साल तक तो मैं घर पर ही रही लेकिन इसके बाद पति ने कहा कि एकेडमिक में इतने अच्छे अंक है, तुम अपनी पढ़ाई जारी रखो. उन्होंने मुझे इसके लिए मोटिवेट किया और मैंने 2005 में पीजी में दाखिला ले लिया. सास ने भी पूरा सहयोग किया और किचन की जिम्मेदारी संभाल ली. सभी के सहयोग से मैंने सीटेट निकाला, पीएचडी पूरी की, अभी पोस्ट डॉक्टरल फैकल्टी के तौर पर पीयू में पढ़ा रही हूं. परिवार और करियर के बीच बैलेंस करना आसान नहीं होता है, लेकिन अगर आपको सपोर्ट करने वाला परिवार मिल जाये तो आप हर चुनौती को पार लेती हैं. आज मेरे बच्चे और मेरे पूरे परिवार को मुझ पर गर्व है.

Sachin Richa 1
सचिन व ऋचा

मेरी पत्नी की रेसिपी ने दिया बिजनेस का आइडिया

सचिन व ऋचा

पाटलिपुत्र कॉलोनी के रहने वाले सचिन कुमार और ऋचा की अरेंज मैरेज 2009 में हुई थी. सचिन कहते हैं, 2008 में मैं मुंबई से अपनी नौकरी छोड़कर अपने घर मधुबनी आ गया. पर, मेरे माता-पिता व रिश्तेदार इस निर्णय से खुश नहीं थे. उसी वक्त ऋचा से मेरी शादी की बात चल रही थी, तो मेरी उनसे एक छोटी से मुलाकात हुई थी. तब मैंने उन्हें बताया था कि मैं नौकरी छोड़ चुका हूं और खुद का बिजनेस सेट करना चाहता हूं, इसमें आपको कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ? हालांकि उन्होंने मेरा साथ दिया और 2009 में मेरी शादी हो गयी. एक दिन एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बिजनेस के सिलसिले में नेपाल जाना हुआ, तो जाने से पहले ऋचा ने खुद से बनाया सत्तू देते हुए कहा कि सिर्फ पानी मिलाकर पी लेना है. इससे मुझे आइडिया मिला और फिर हम दोनों ने मिलकर स्टार्टअप की नींव रखी. आज यह प्रोडक्ट उसकी मेहनत का नतीजा है. उसके साथ बिना यह सफर कभी पूरा नहीं हो पाता.

Vikram Veena
विक्रम राज व वीणा

हमने मिलकर परिवार की जिम्मेदारियों को निभाया

विक्रम राज व वीणा

शिवपुरी के रहने वाले विक्रम राज और वीणा पिछले 19 साल से एक-दूसरे की सफलता और असफलता के साक्षी रहे हैं. विक्रम कहते हैं, जब मैं एमबीए की पढ़ाई कर रहा था उसी दौरान मेरी शादी की बात वीणा से चल रही थी. उस वक्त वीणा प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका थी. शादी के बाद वीणा ने लगातार मुझे प्रेरित किया और हर सहयोग दिया, जिससे मैंने अपनी पढ़ाई पूरी की नौकरी लिया. कुछ महीनों के बाद जब नौकरी लगी, तो इसका पैकेज बहुत अच्छा नहीं था. बावजूद इसके दोनों ने मिलकर घर संभाला. जॉब, घर और परिवार की जिम्मेदारियां वीणा से बखूबी निभायी. अगर हमारे बीच कभी कुछ मतभेद भी होता, तो वह तुरंत बात कर उसे सुलझाने लगती थी. दो साल के लंबे स्ट्रगल के बाद मुझे मेरी नौकरी में एक बेहतर मुकाम हासिल हुआ जिसके बाद वीणा ने नौकरी छोड़ कर बेबी का ख्याल रखना शुरू किया. हम दोनों एक-दूसरे के मोरल सपोर्ट बन कर हर चुनौती को पार की और इसकी वजह से पहले हम दोस्त और फिर अच्छे हमसफर बनें.

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