मकान बनवाते समय हम कई बातों को इग्नोर कर देते हैं, जिनका सीधा-सीधा संबंध वास्तु से होता है. इसलिए मकान निर्माण का नक्शा बनवाते समय ही वास्तु नियमों का ख्याल रखें. कमरों, खिड़कियों व अन्य निर्माण का स्थान वास्तु शास्त्र की दृष्टि से उचित होना चाहिए, अन्यथा वास्तु दोष होने पर उसके परिणाम बाद में भुगतने में पड़ते हैं. पानी टंकी, सेप्टिक टैंक, सबमर्सिबल पंप का स्थान भी वास्तु शास्त्र की दृष्टि से उचित होना चाहिए. जमीन का ऊंचा-नीचा होना भी घर की सुख-समृद्धि को प्रभावित करता है. मकान का निर्माण शुरू करते समय ही किसी अच्छे वास्तु शास्त्री से संपर्क कर लेना सही होता है ताकि आगे चलकर किसी तरह की परेशानी न हो.
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घर में तुलसी का पौधा अवश्य होना चाहिए. इसे जमीन में लगाएं या ऐसी व्यवस्था न हो तो गमले में अवश्य लगाएं.
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मकान बनाते समय इस बात का ख्याल रखें कि दो मंजिले मकान में दरवाजे के ऊपर दरवाजा होना चाहिए.
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रसोईघर मुख्यद्वार के ठीक सामने नहीं बनवाना चाहिए.
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मकान के सभी कोने समकोण बनवाने चाहिए, अन्यथा कोण दोष होता है.
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टायलेट की सीट इस प्रकार रहना चाहिए कि बैठते समय व्यक्ति का मुंह उत्तर या दक्षिण की तरफ रहे.
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मकान के दक्षिण व पश्चिम दिशा में कम से कम खिड़कियां रखनी चाहिए.
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किसी मकान में खिड़कियों की संख्या भी मायने रखती है. खिड़कियां इवेन नंबर में होनी चाहिए.
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शयन कक्ष में किसी भी देवी देवता की पेंटिंग नहीं लगानी चाहिए.
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वहीं बीम के नीचे न सोएं.
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शयनकक्ष में पलंग इस प्रकार रखें कि सोते समय सिर दक्षिण या पूर्व दिशा की ओर रहे.
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मकान पेंट करवाना हो तो इस बात का ख्याल रखें कि काले एवं लाल रंग का प्रयोग मकान में नहीं करना चाहिए.
छत की ढलान पूर्व-ईशान दिशा की तरफ करवानी चाहिए. इसके अतिरिक्त यह ढलान आप उत्तर दिशा की ओर भी कर सकते हैं. यह माना जाता है कि प्रकृति में पॉजिटिव एनर्जी का प्रवाह पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर होता है, इसलिए पूर्व एवं उत्तर दिशा में मकान की खिड़की इस प्रकार बनवानी चाहिए की इन दोनों दिशाओं से ही ज्यादा से ज्यादा सकारात्मक ऊर्जा आपके घर में प्रवेश कर सके.
भूमिगत टैंक ईशान कोण अथवा उत्तर दिशा में बनवाना चाहिए. वहीं सबमर्सिबल बोरिंग भी इसी दिशा में लगवानी चाहिए. इसके अलावा पानी स्टोर करने के लिए ओवरहेड टैंक छत पर पश्चिम में या वायव्य में बनाना चाहिए.
मकान के बाहर नैऋत्य कोण में नीची भूमि या गड्ढा नहीं होना चाहिए. इस तरह का वास्तु दोष घर के मुखिया की असमय मृत्यु की वजह बन सकता है. ऐसी मान्यता है. इसके अलावा यह वास्तु दोष परिवार के सदस्यों में अनिद्रा की स्थिति, कारोबार में घाटा व अन्य समस्याओं की वजह बनता है.
मकान के भूखंड के दक्षिण पश्चिम भाग में अधिकाधिक निर्माण करने चाहिए. पूर्वोत्तर की दिशा में पोर्टिको या आंगन बनवा सकते हैं क्योंकि इस दिशा को यथासंभव खाली रहने देना चाहिए. इस दिशा के खाली रहने से मकान में धन-धान्य की कमी नहीं होती और व्यक्ति का जीवन समृद्धशाली होता है.
ईशान कोण, अग्नि या नैऋत्य कोण में टायलेट नहीं बनवाना चाहिए. नैऋत्य कोण में सैप्टिक टेंक या किसी भी प्रकार का गड्ढा नहीं होना चाहिए. कहा जाता है कि मकान के इस दिशा में टॉयलेट बनवाने से मानसिक स्थिति ठीक नहीं होती. बच्चों में प्रतिभा का विकास अच्छी तरह से नहीं होता. परिवार के सदस्य अनिर्णय की स्थिति में रहते हैं. साथ ही इस तरह का वास्तु दोष आर्थिक परेशानी भी लाता है. घर गृहस्थी में समस्याएं आती हैं. रोग-व्याधि का सामना करना पड़ता है.
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किसी भी मकान को बनाते समय इस बात का ध्यान जरूर रखा जाना चाहिए कि दक्षिण व पश्चिम की दिशा भारी होनी चाहिए इसलिए इन दिशाओं की दीवारें मोटी बनवाएं. भारी सामान इन्हीं दिशाओं में रखा जाना चाहिए. इन दिशाओं में पेड़ भी लगा सकते हैं.
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