Vastu Tips: जब एक नवजात शिशु जीवन में आता है, तो कई उत्सव मनाए जाते हैं, मिठाइयां बांटी जाती हैं और भी बहुत कुछ किया जात है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बच्चे के विकास के लिए एक और चीज बहुत जरूरी है? वह है वास्तु शास्त्र. जी हां, वास्तु शास्त्र में नवजात शिशु के लिए कमरे को डिजाइन करने के दिशा-निर्देश बताए गए हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार डिजाइन किया गया कमरा बचे के लिए अच्छा माना जाता है और ये नवजात बच्चे को किसी भी प्रकार की नेगेटिविटी से बचाता है, साथ ही उसके अच्छे भविष्य की नीव भी रखता है. आइए जानते है आखिर वस्तु के अनुसार बच्चे का कमरा कैसा होना चाहिए.
कमरे का स्थान और दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार नवजात शिशु का कमरा उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए. इन दिशाओं को शुभ माना जाता है क्योंकि ये नेचुरल लाइट को आने देते हैं और पाजिटिव एनर्जी को भी आकर्षित करते हैं. इसके अलावा, दक्षिण-पश्चिम दिशा में बच्चों के कमरे बनाने से बचें, क्योंकि यह बहुत ज्यादा नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है जो शिशुओं के जीवन में समस्याएं पैदा कर सकता है.
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पालने की जगह
पालने को हमेशा बच्चे के सिर की तरफ दक्षिण या पूर्व दिशा की ओर रखें. यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने और उसे अंदर आने देने के लिए जानी जाती है ताकि बच्चे को अच्छी नींद आए. इसके अलावा, पालने को बीम के नीचे रखने से बचें क्योंकि इससे बहुत ज्यादा दबाव और परेशानी का एहसास हो सकता है.
रंग और सजावट
आप हल्के नीले, हल्के पीले, हरे, या पेस्टल शेड्स जैसे सॉफ्ट रंगों का उपयोग कर सकते हैं. ये रंग शांति और स्थिरता को आकर्षित करते हैं. गहरे और जीवंत रंगों के इस्तेमाल से बचने की कोशिश करें क्योंकि बच्चों के लिए खराब माहौल बना सकते हैं.
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लेआउट
केवल वही फर्नीचर रखें जो बिल्कुल जरूरी हो, और कमरे को भीड़भाड़ वाला न बनाएं, क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा को अंदर आने से रोक सकता है. बच्चे को सेफ रखने के लिए फर्नीचर को गोल रखें, नुकीले फर्नीचर के इस्तेमाल से बचे.