Vat Savitri Vrat: भारतीय संस्कृति का प्रकृति से गहरा नाता है. सनातन धर्म में पेड़-पौधों का विशेष महत्व है. तुलसी, बरगद और केले आदि कई पेड़-पौधों को पूजनीय माना गया है. हिंदू धर्म में कई ऐसे तीज-त्योहार बताए गए हैं जिनमें पेड़-पौधों की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. आज हम आपको भारतीय संस्कृति के कुछ ऐसे त्योहारों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन पर मुख्य रूप से पेड़-पौधों की पूजा की जाती है.
वट सावित्री व्रत पर क्यों की जाती है बरगद की पूजा
जैसा कि इस व्रत के नाम से ही स्पष्ट है. वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) में मुख्य रूप से वट यानि बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है. वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ अमावस्या को मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं द्वारा रखा जाता है. बरगद के पेड़ के नीचे ही सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण बचाए थे. हिंदू मान्यताओं के अनुसार बरगद के पेड़ में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है.
सोमवती अमावस्या पर किस पेड़ की पूजा की जाती है
अगर अमावस्या तिथि सोमवती अमावस्या यानी सोमवार को पड़ती है तो इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व होता है. इस दिन पीपल के पेड़ पर 108 बार जल और अन्य सामग्री चढ़ाई जाती है. पीपल के पेड़ में कई देवताओं का वास माना जाता है, यही वजह है कि यह देव वृक्षों की श्रेणी में आता है.
किस दिन केले के पेड़ की पूजा का महत्व है
केले के पेड़ का धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है. दक्षिण भारत में केले के पत्तों पर ही खाना खाया जाता है. जिससे स्वास्थ्य की दृष्टि से भी कई फायदे होते हैं. केले के पेड़ में भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति का वास माना जाता है. इसलिए गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा की जाती है. इसकी पूजा करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होने लगते हैं.
आंवले के पेड़ का क्या महत्व है
हिंदू धर्म में आंवले के पेड़ को भी पूजनीय माना जाता है. पंचांग के अनुसार कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की नवमी को आंवला नवमी या अक्षय नवमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन लोग आंवले के पेड़ की पूजा करते हैं. पूजा के बाद पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने का भी विधान है.
किस दिन होती है तुलसी की पूजा
हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत पूजनीय और पवित्र माना जाता है. शास्त्रों में तुलसी के पौधे को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है. इसकी नियमित पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. देवउठनी एकादशी के दिन माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से कराने की परंपरा है. इस दिन माता तुलसी का श्रृंगार किया जाता है. और पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा की जाती है.