Vidur Niti: हम सभी जीवन में किसी न किसी पर विश्वास करते हैं लेकिन क्या हर किसी पर भरोसा करना ठीक है? क्या हर किसी को विश्वास के योग्य समझा जा सकता है? ये बात हमें सोचने पर विवश कर देती हैं. हम अपनी भावनाओं में बहकर दूसरों पर भरोसा कर लेते हैं, लेकिन सामने वाला व्यक्ति इसका फायदा उठा लेता हैं जिसका परिणाम बहुत घातक होता हैं.
भरोसा कब करना चाहिए?
भरोसा तब ही करना चाहिए जब हमें सामने वाले व्यक्ति की सच्चाई और इरादों के बारे में ठीक से पता हो. इसके लिए आपको व्यक्ति के व्यवहार का पूरा ज्ञान होना चाहिए. इसके लिए आप व्यक्ति को जितना अधिक लंबे समय से जानते होंगे उतना अच्छा होगा क्योंकि अनुभव कभी झूठ नहीं बोलता है उसके साथ आपका बिताए गए समय का अनुभव आपको बताएगा कि उस व्यक्ति पर विश्वास करना चाहिए या नहीं, उदाहरण के लिए, परिवार के सदस्यों और सच्चे दोस्तों पर विश्वास करना आसान होता है क्योंकि हम उन्हें लंबे समय से जानते हैं. जबकि अजनबी लोगों सतर्क रहना जरूरी होता है. क्योंकि हम उन्हे जानते.
विश्वासपत्र पर भी ज्यादा भरोसा करना या निर्भर होना सही नहीं
अगर हम किसी पर अत्यधिक विश्वास कर लेते हैं, तो सामने वाला इसका फायदा उठा सकता हैआपकी कमजोरी उसे पता होती है इसका लाभ कोई भी उठा सकता है. ज्यादा विश्वास करके किसी को कोई चीज बता देना आपके भय का कारण बन सकता है. यह आपको बार-बार परेशान कर सकता है. सामने वाला व्यक्ति इस बात का फायदा उठा सकता है और हम मानसिक तनाव और असुरक्षा के जाल में भी फंस सकते हैं साथ ही वहआपको आपके मूल्य उद्देश्यों से भटका सकता है. इसलिए कुछ बातों को ना बताना ही सही होता है.
अत्यधिक भरोसे के भारी नुकसान उठाने पड़ सकते हैं
बहुत ज्यादा विश्वास भय को जन्म देता है. यदि हम अत्यधिक विश्वास का अर्थ है कि हम सामने वाले की हर बात को बिना परखे सही मान लेते हैं. जिसके बाद वह व्यक्ति इसका फायदा उठा कर आपसे गलत कदम भी उठवा सकता है. इससे कई बार हमें चोट पहुंच सकती है और मन में डर भी बैठ सकता है कि कहीं वह व्यक्ति हमें धोखा न दे. इसलिए अपने विश्वास को सीमित रखना चाहिए. और ऐसी चीजें बताने से बचना चाहिए जिसका फायदा उठाकर कोई हमारा इस्तेमाल कर लें.
विश्वास करने से पहले व्यक्ति को कई बार परखें
जीवन में संतुलन का होना जरूरी है. यही बात विश्वास पर भी लागू होती है. किसी पर विश्वास करना गलत नहीं लेकिन गलत इंसान पर भरोसा करने से बचिए. लेकिन अंधे विश्वास से बचना चाहिए. संतुलित विश्वास रखने से आप खुद को सुरक्षित रखेंगे, बल्कि आपके रिश्ते भी मजबूत रहेंगे. जो व्यक्ति आपके कठिन समय में आपका साथ देता है, जो आपके बारे में सच्चाई से बात करता है, वही आपके भरोसे के योग्य है. हमेशा याद रखें कि व्यवहार से ही व्यक्तित्व का पता चलता है.
विदुर नीति से सम्बन्धित ज्ञान की बाते जानने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें
Also Read: Vidur Neeti: शत्रु को मित्र बनाना सबसे बड़ी मूर्खता है जानिए क्या कहता है विदुर नीति
विदुर नीति के अनुसार हर किसी पर भरोसा क्यों नहीं करना चाहिए?
विदुर नीति के अनुसार, हर व्यक्ति पर भरोसा करना उचित नहीं है क्योंकि कुछ लोग भरोसे के लायक नहीं होते और इससे हानि हो सकती है. यहां तक कि भरोसेमंद व्यक्ति पर भी अति विश्वास से बचना चाहिए, क्योंकि संतुलित विश्वास आपकी सुरक्षा और समझदारी का परिचायक है.
विदुर नीति में भरोसे के मामले में संतुलन क्यों जरूरी है?
विदुर नीति के अनुसार, भरोसे में संतुलन बनाए रखना जरूरी है ताकि धोखे और निराशा से बचा जा सके. अत्यधिक विश्वास कई बार हानिकारक हो सकता है, इसलिए सोच-समझकर ही किसी पर भरोसा करना चाहिए.