World COPD Day 2024 : बढ़ता प्रदूषण श्वसन संबंधी कई समस्याएं पैदा कर रहा है. क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) एक ऐसी ही समस्या है, जो दुनियाभर में बड़ी ही तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रही है. इसी के चलते दुनिया भर में लोगों के बीच क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल नवंबर के तीसरे बुधवार को विश्व सीओपीडी दिवस मनाया जाता है. इस बार यह विशेष दिन 20 नवंबर को मनाया जा रहा है. विशेषज्ञों के मानें तो सीओपीडी के कारण दुनियाभर में हर साल 15 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है. वहीं भारत में प्रतिवर्ष 5 लाख लोग इस बीमारी के चलते अपनी जान गंवा बैठते हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप खांसी व बलगम जैसे साधारण लक्षणों वाली गंभीर समस्या सीओपीडी के प्रति सजग रहें…
जानें क्या है सीओपीडी
सीओपीडी फेफड़ों व श्वसन से संबंधित एक ऐसी समस्या है, जिसके मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है और ऑक्सीजन उनके शरीर में पूरी तरह नहीं पहुंच पाती. आमतौर पर सांस लेने पर ऑक्सीजन खून के अंदर मिल जाती है और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर चली जाती है, लेकिन सीओपीडी इस प्रक्रिया में अवरोध उत्पन्न करती है. सीओपीडी की गंभीर अवस्था कॉरपल्मोनेल की समस्या पैदा कर सकती है, जिसमें हृदय पर दबाव पड़ता है. कॉरपल्मोनेल के लक्षणों में एक लक्षण पैरों और टखनों में सूजन आना है.
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भारत में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण
- दुनियाभर में 329 मिलियन लोग सीओपीडी से पीड़ित.
- भारत में प्रतिवर्ष सामने आते हैं सीओपीडी के 10 मिलियन से अधिक मामले.
- हार्ट अटैक के बाद देश में सीओपीडी के कारण होती हैं सबसे अधिक मौतें.
- बीमारी का पता लगने तक मरीज के खराब हो चुके होते हैं करीब 50 प्रतिशत फेफड़े
- सीओपीडी से होनेवाली 90% मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं.
जानें क्या है इस समस्या के मुख्य कारण
सीओपीडी का सबसे अहम कारण लगातार बढ़ता प्रदूषण है. इसके अलावा धूम्रपान की लत, गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ व जहरीली गैसे, चूल्हे से निकलनेवाला धुंआ, धूल, मिट्टी, डस्ट का सांस के साथ शरीर के अंदर जाना व्यक्ति को इस समस्या का शिकार बना देता है.
ये लक्षण हैं खतरनाक
बढ़ता प्रदूषण किसी न किसी रूप में सभी को नुकसार पहुंचा रहा है. लेकिन आपको सामान्य कामकाज के दौरान सांस की तकलीफ या घबराहट होती है, तो आप सीओपीडी का शिकार हो सकते हैं. इसके अलावा सीने में जकड़न, कफ के साथ लगातार खांसी आना, बार-बार श्वसन संबंधी संक्रमण होना, शरीर में ताकम की कमी महसूस होना, अनायास वजन कम होना, सूजे हुए टखने एवं थकान इस समस्या का लक्षण हो सकता है.
इन बातों का रखें ख्याल
- बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग करें.
- अपने आप को पूरे दिन हाइड्रेटेड रखें और भरपूर मात्रा में पानी पीएं.
- धुएं के संपर्क में न आएं.
- घर में साफ-सफाई के दौरान मास्क लगाएं या वहां न रहें.
- भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें.
अपनाएं बचाव के उपाय
सीओपीडी की समस्या से बचने के लिए बेहतर होगा कि आप तंबाकू, धूम्रपान व शराब का सेवन न करें. स्पाइरोमेट्री से अपने फेफड़ों की जांच जरूर कराएं. तेज सर्दी से बचे. अपने वजन की निगरानी करें. पौष्टिक भोजन लें और व्यायाम करें. चिकित्सक की सलाह के अनुसार नियमित दवाइयां लें.
नहीं है इस समस्या का कोई उपचार
सीओपीडी का अभी तक कोई इलाज संभव नहीं हो पाया है. हां, मगर वक्त रहते किया गया उपचार रोग की प्रगति को धीमा कर सकता है. इससे ग्रसित व्यक्ति को इनहेलर का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है. साथ ही मेडिकेशन, इंट्रावीनस अल्फा-1 ऐन्टीट्रिप्सिन अग्युमेंटेशन थेरेपी, फ्लू एवं न्यूमोकोकल वैक्सीन आदि के माध्यम से इसे नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता है. समस्या के अति गंभीर होने पर डॉक्टर सर्जरी (फेफड़े का प्रत्यारोपण) की सलाह भी देते हैं.
बचाव के लिए आजमा सकते हैं कुछ घरेलू उपाय
- संतुलित भोजन लें, जिसमें फल और सब्जी शामिल हों. प्रदूषण के दुष्प्रभावों से निपटने के लिए गर्म और घर में बना भोजन ही खाएं.
- गुड़ का सेवन शरीर से दूषित पदार्थों को दूर करने में मदद करता है.
- भाप लें, इससे शरीर को हानिकारक पदार्थों को हटाने में मदद मिलती है.
- तुलसी और अदरक की चाय भी सीओपीडी मरीजों के लिए फायदेमंद साबित होती है.
- घर के अंदर हवा को शुद्ध करने वाले पौधे लगाएं.
- प्राणायाम एवं अनुलोम-विलोम करें.