कपास दुनिया भर में सबसे कम विकसित, विकासशील और विकसित अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण है. विश्व कपास दिवस का आयोजन पहली बार वर्ष 2019 में किया गया था.
7 अक्टूबर, 2019 को पहला कपास दिवस मनाया गया था. जिसकी पहल चार देशों बेनिन, बुर्किना फासो, चाड और मलिक ने की थी. तब से लेकर हर साल यह दिन मनाया जाने लगा. 2019 में, इन देशों के प्रस्ताव के बाद, WTO ने पहली बार विश्व कपास दिवस का आयोजन किया
World Cotton Day को संयुक्त राष्ट्र, विश्व खाद्य संगठन, संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन, अंतरराष्ट्रीय व्यापार केंद्र और अंतरराष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति द्वारा मनाया जाता है.
विश्व कपास दिवस अंतरराष्ट्रीय समुदाय और निजी क्षेत्र को ज्ञान साझा करने और कपास से संबंधित गतिविधियों और उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक साझा मंच प्रदान करता है.
इस दिन कपास की महत्वपूर्ण भूमिका, इसके उपयोग के लाभ, और यह कैसे आर्थिक विकास में मदद करता है, के बारे में जागरूकता बढ़ाने का उद्देश्य होता है
भारत विश्व में कपास का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. भारत में करीब 6.12 मिलियन मीट्रिक टन कपास पैदा होती है, जो पूरी दुनिया में पैदा होने वाले कपास का करीब 25 फीसदी है
विश्व कपास दिवस 2023 की थीम ‘खेत से लेकर फैशन तक, सभी के लिए कपास को उचित और टिकाऊ बनाना’ है . इस थीम का उद्देश्य हितधारकों को एकजुट करना और आर्थिक विकास, कृषि विकास, व्यापार और गरीबी में कमी में कपास क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में और अधिक जागरूक करना है.
दुनिया के कुछ सबसे गरीब देशों में कपास एक महत्वपूर्ण फसल के रूप में काम करती है, जो लोगों को रोजगार प्रदान करती है और रहने की स्थिति में सुधार लाती है. यह कई अविकसित देशों में एक प्रमुख धन फसल है.
सिंथेटिक सामग्रियों के विपरीत, कपास तेजी से नष्ट हो जाता है, प्लास्टिक प्रदूषण को कम करता है और स्वच्छ वातावरण में योगदान देता है.
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