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अब डीजल अनुदान के भरोसे धान की रोपनी

प्रखंड के किसानों को मौसम एक बार फिर से दगा दे रही है. बारिश के आस में किसान आसमान में टकटकी लगाये हैं. ऐसे में किसानों को अपने अपने खेतों में पंपसेट से पटवन कर धान की रोपनी करनी पड़ रही है. हालांकि मौसम के सख्ती के बाद बिहार सरकार व कृषि विभाग ने किसानों को राहत दी है

संवाददाता गुठनी. प्रखंड के किसानों को मौसम एक बार फिर से दगा दे रही है. बारिश के आस में किसान आसमान में टकटकी लगाये हैं. ऐसे में किसानों को अपने अपने खेतों में पंपसेट से पटवन कर धान की रोपनी करनी पड़ रही है. हालांकि मौसम के सख्ती के बाद बिहार सरकार व कृषि विभाग ने किसानों को राहत दी है. सरकार द्वारा किसानों को डीजल अनुदान देने की घोषणा की गई है. इससे किसानों को राहत मिलेगी. बताया जा रहा है कि खरीफ फसलों को डीजल पंपसेट से पटवन करने के लिए किसान अनुदान देगी. इसके लिए अब किसान आवेदन भी कर सकते हैं. कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रखंड में 5 हजार 300 सौ हेक्टेयर में धान की खेती होती है. इसके अलावा अन्य फसलों में भी किसानों को डीजल अनुदान का लाभ दिया जाएगा. 75 रूपये प्रति लीटर के दर से दिया जाएगा अनुदान कृषि विभाग द्वारा किसानों को एक लीटर डीजल पर 75 रूपये का अनुदान देगा. अधिकतम तीन पटवन के लिए किसानों को अनुदान की राशि दी जायेगी. एक एकड़ के लिए अधिकतम 2250 रूपये का अनुदान विभाग देगी. वहीं एक किसान को अधिकतम आठ एकड़ तक के लिए डीजल अनुदान की राशि दी जाएगी. यह अनुदान की राशि रैयत व गै ररैयत दोनों को देगी. किसानों को डीजल अनुदान के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा. किसानों को डीजल खरीदते समय करवाना होगा रजिस्ट्रेशन नंबर अंकित प्रखंड कृषि पदाधिकारी विक्रमा मांझी ने बताया कि डीजल अनुदान के लाभ लेने के लिए किसानों को अपने नजदीकी पेट्रोल पंप जहां पर अनुदान लिया हो. वहां से डीजल की खरीदारी करने पर रसीद लेने के दौरान किसानों को अपना रजिस्ट्रेशन नंबर भी अंकित करवाना होगा. आवेदन के आधार पर होगा सत्यापन किसानों द्वारा दिए गए आवेदन के बाद कृषि समन्वयकों द्वारा सत्यापन किया जाएगा. सत्यापन किए जाने के बाद अनुदान की राशि किसानों के खाते में भेजी जाएगी. आगामी तीस अक्टूबर तक सिंचाई के लिए क्रय किए गए डीजल का रसीद मान्य होगा. धान के खेतों में पड़ने लगीं दरारें, बढ़ीं किसानों की परेशानियां बड़हरिया. सावन का महीना व बारिश का दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं. खेतों व सड़कों पर उड़ती धूल से मौसम की दगाबाजी का पता चलता है. किसानों ने जिन खेतों में जैसे-तैसे पानी भरकर धान की रोपनी की थी, उसमें दरारें पड़ गई हैं. इन दरारों के चौड़ी होने से किसानों की धड़कनें भी तेज होती जा रही हैंं. पौधों के सूखकर नष्ट होने का खतरा बढ़ गया है. पानी के अभाव में हजारों हेक्टेयर खेत खाली पड़े हैं, उनमें रोपनी नहीं हो पा रही है. किसान बृजकिशोर सिंह कहते हैं कि बारिश न होने लगायी गयी फसल सूख रही है. धान के बिचड़े सूखने लगे हैं. प्रगतिशील किसान मुकेश कुमार कहते हैंं कि क्षेत्र में एक पखवाड़े से बारिश नहीं होने व तेज धूप से धान की फसलें सूख रही हैं. जिनके पास सिंचाई का निजी साधन है, वो किसी तरह से सिंचाई कर रहे हैं. जिनके पास सिंचाई का कोई साधन नहीं है, उन किसानों की फसलों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. अभी भी क्षेत्र के 40 से 50 प्रतिशत खेतों में धन रोपनी बाकी है. क्षेत्र के अधिकांश किसान फसलों की सिंचाई के लिए निजी व राजकीय नलकूप पर निर्भर हैं. राजकीय नलकूप प्रायः मृतप्रायः हैं. किसान डीजल इंजन चलाकर खेतों में सिंचाई करने को मजबूर हैं..

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