फाइलेरिया: एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याकार्यक्रम की सफलता के लिए सहयोगी संस्था सहित सभी कर्मियों का मिला भरपूर सहयोग किशनगंज.जिले के ठाकुरगंज प्रखंड में 10 अगस्त से 05 सितंबर तक आयोजित सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम का समापन सफलता के साथ हुआ, जिसमें जिले की अधिकांश आबादी ने फाइलेरिया (हाथी पांव) जैसी घातक बीमारी से बचाव के लिए दवा का सेवन किया. स्वास्थ्य विभाग की देखरेख में आयोजित इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य फाइलेरिया की रोकथाम करना और इसके फैलाव को नियंत्रित करना था. अभियान के दौरान कुल 93 .78 % लोगों को कराई गई फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन. इस आशय कि जानकारी जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने दी. उन्होंने बताया कि ठाकुरगंज प्रखंड कि कुल जनसंख्या 3,60,222 में से 3,06,189 को फाइलेरिया रोधी दवा के रूप में अल्बेंडाजोल और डीईसी दवाओं का सेवन कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. इनमें से कुल 2,87,152 लोगों को आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के सहयोग से फाइलेरिया कि दवा का सेवन करवाया गया. इस दौरान दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, एक सप्ताह के अंदर मां बनने वाली महिलाओं और गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को फाइलेरिया कि दवा का सेवन नहीं करवाया गया. उन्होंने बताया कि इस वर्ष पहली बार शुरू के तीन दिनों तक जिला भर के विभिन्न स्कूलों में बूथ लगाकर बच्चों और शिक्षकों को फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन करवाया गया. इसकी वजह से इस वर्ष मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान 14 दिनों से बढ़कर 17 दिनों का हो गया. इसके अलावा इस वर्ष पहली बार जिला के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा बूथ लगाकर वहां इलाज के लिए आने वाले सभी लोगों को फाइलेरिया के बारे में जागरूक करते हुए उनको फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन करवाया गया.
फाइलेरिया: एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या
सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बतया की फाइलेरिया, जिसे हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है, एक गंभीर संक्रामक रोग है, जो मच्छरों के काटने से फैलता है. इस बीमारी का प्रमुख कारण वुचेरेरिया बैन्क्रॉफ्टी नामक परजीवी है, जो मनुष्यों के लिम्फेटिक तंत्र को प्रभावित करता है. यह रोग शरीर के अंगों में सूजन पैदा कर देता है, जिससे पीड़ित व्यक्ति के हाथ, पैर या जननांग असामान्य रूप से बड़े हो जाते हैं. फाइलेरिया बीमारी पीड़ित के जीवन को न सिर्फ शारीरिक रूप से प्रभावित करती है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी उनके जीवन पर भारी प्रभाव डालती है. बीमारी के गंभीर मामलों में रोगी अपने दैनिक कार्य करने में असमर्थ हो जाता है, जिससे उसकी आय का स्रोत समाप्त हो जाता है.
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