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जेएसएलपीएस से जुड़ आत्मनिर्भर बनीं फुलझरी, मत्स्य पालन व कुक्कुट पालन समेत करती हैं ये व्यवसाय

फुलझरी ने बताया कि अपने परिवार के पालन पोषण के लिए वह होटल चलाती थी. बाद में महिला समूह से प्ररित होकर जेएसपीएसएल से जुड़ी. इसके बाद मत्स्य पालन और कुक्कुट पालन योजना के तहत मिलने वाली सुविधा का लाभ लिया

जिले की महिलाएं विभिन्न महिला समूहों से जुड़ कर स्वावलंबन की राह पर चल पड़ी हैं. कई महिलाएं, जो घरो की दहलीज से बाहर नहीं निकलती थीं. आज वे अपनी कामयाबी की बदौलत चर्चित हो गयी हैं. ऐसी महिलाएं, गांव के अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत भी बन चुकी हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत कर अपने परिवार को बेहतर रूप से चलाने में अपने पति का भी साथ दे रही हैं. जिले के सेन्हा प्रखंड क्षेत्र के बदला पंचायत की रहनेवाली 36 वर्षीय फुलझरी देवी जेएसपीएसएल से जुड़कर छोटे व्यवसाय की शुरुआत की.

फुलझरी ने बताया कि अपने परिवार के पालन पोषण के लिए वह होटल चलाती थी. बाद में महिला समूह से प्ररित होकर जेएसपीएसएल से जुड़ी. इसके बाद मत्स्य पालन और कुक्कुट पालन योजना के तहत मिलने वाली सुविधा का लाभ लिया. फुलझरी बताती है कि मत्स्य पालन एवं कुक्कुट पालन का काम शुरू करने के साथ ही वह दिन रात मेहनत करने लगी थी.

उसकी सफलता रंग लायी और दोनों व्यवसाय में वह कामयाबी हासिल की. फुलझरी बताती है कि अब वह इन्ही दो व्यवसाय से 60 हजार रुपये से ज्यादा की आमदनी महीने में कर लेती है. जब पैसे आने लगे तो उसने अपने व्यवसाय को बढ़ायी. उसने भाड़े पर चलाने के लिए एक स्कॉर्पियो खरीदी और भाड़े पर चला रही है. आर्थिक स्थिति सुधरते ही उसे अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की सोच आई. आज अपने दो बच्चों को निजी विद्यालय में पढ़ा रही है.

फुलझरी बताती है कि 2004 में होटल का व्यवसाय तब शुरू की थी. जब उसे घर चलाना मुश्किल हो गया था. परिवार के लिए दो वक्त की रोटी की जुगाड़ के लिए छोटा से होटल की शुरुआत की थी, लेकिन महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद वह महिलाओं को मिलने वाली सरकारी योजना का लाभ ली.

आज वह सफल महिला मानी जाती है. फुलझरी बताती है कि 2015 में वह जेएसएलपीएस से जुड़ी और समूह को मिलने वाली आर्थिक सहायता के रूप में उसे आरएफ और सीआईएफ से राशि प्राप्त हुई. उसी से वह होटल को भी नया लुक दी और मत्स्य और कुक्कुट पालन भी शुरू की. वह 2017 में 10 हजार रुपये का ऋण महिला मंडल से ली. फुलझरी बताती है कि उसका निजी तालाब है. वहां मछली जीरा डालने के बाद जब पहली बार मछली मारी गई तो 90 हजार रुपये की आमदनी मछली से हुई. इसके बाद फुलझरी पीछे मुड़कर नहीं देखी. निरंतर प्रयासरत रही और आगे बढ़ती गयी.

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