BSP Supremo Mayawati: लोकसभा चुनाव से पहले सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. 2024 का मुकाबला National Democratic Alliance (NDA) बनाम India National Developmental Inclusive Alliance (I-N-D-I-A) के बीच में होने के कारण कई ऐसे दलों पर लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं, जो अभी किसी गुट में शामिल नहीं हुए हैं. इस बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने दोनों ही गठबंधनों से दूरी बनाई हुई है.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने बुधवार को साफ किया कि आखिर वह दोनों गठबंधनों से क्यों अलग हैं. उन्होंने कहा कि बसपा चुनाव की तैयारियों में पूरी तरह से जुट गई है. मायावती ने लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा की. पार्टी यूपी सहित किसी भी राज्य में अन्य दलों से गठबंधन नहीं करेगी. इस तरह यूपी की सभी 80 सीटों पर बसपा प्रत्याशी उतारे जाएंगे.
इसके पहले तीन राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी बसपा अकेले चुनाव लड़ेगी. हालांकि, हरियाणा और पंजाब में क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरेगी.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अपने जैसी जातिवादी और पूंजीवादी सोच रखने वाली पार्टी के साथ गठबंधन करके फिर से सत्ता में आने की सोच रख रही है. इसके साथ ही एनडीए फिर से सत्ता में आने का दावा ठोक रहा है. लेकिन, इनकी कार्यशैली यही बताती है कि इनकी नीति और सोच लगभग एक जैसी ही रही है. इसी वजह से बसपा ने इनसे दूरी बनाई है.
मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनाव अब बहुत नजदीक आ गया है, जिसके चलते सत्ताधारी गठबंधन और विपक्षी गठबंधन इंडिया की बैठकों का दौर चल रहा है. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी भी कहीं पीछे नहीं है. पूरे देश में लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर जिला स्तर और प्रदेश स्तर पर पार्टी की बैठकों का दौर जारी है.
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि हम संगठन को मजबूत करने पर फोकस कर रहे हैं. एक तरफ सत्ता पक्ष का एनडीए फिर सरकार बनाने के लिए अपनी दलीलें दे रहा है, वहीं विपक्ष के गठबंधन के अपने दावे हैं. वह इस बार चुनाव में अपनी सरकार बनाने और सत्ता पक्ष को मात देने के लिए उनकी नीतियों और कार्यशैली का खुलकर विरोध कर रहा है.
मायावती ने कहा कि इन सियासी परिस्थितियों के बीच बसपा भी पीछे नहीं है. उन्होंने कांग्रेस पर हमलावर होते हुए कहा कि आजादी के बाद से लंबे समय के अपने शासन काल के दौरान वह जातिवादी और पूंजीवादी मानसिकता से ग्रसित रही है. अगर कांग्रेस ने इसे त्यागकर देश में आमजन और कमजोर वर्ग के हित में काम किया होता, तो कांग्रेस कभी सत्ता से बाहर नहीं होती.