Lucknow: मध्य कमान अपने गौरवशाली इतिहास को संजोए हुए सोमवार को 60 स्थापन दिवस मना रहा है. इस मौके पर स्मृतिका युद्ध स्मारक पर शहीदों का नमन कर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. मध्य कमान की स्थापना 1 मई 1963 में की गई थी. तब से लेकर अब तक ये छह लाख से अधिक पूर्व सैनिकों का घर बन चुका है. अनुमान के मुताबिक भारतीय सेना में मध्य कमान के 35 प्रतिशत सैनिक अपनी भागीदारी रखते हैं.
चीन को डोकलाम विवाद के दौरान सबक सिखाने से लेकर युद्ध कौशल और प्रशिक्षण में मध्य कमान मील का पत्थर साबित कर चुका है. देश में विषम परिस्थितियों में सीमा पर ढाल बनने की बात हो या फिर संकट के समय लोगों की सुरक्षा का मामला, मध्य कमान ने हर बार अपने आपको उम्मीदों से कहीं ज्यादा बेहतर साबित किया है.
मध्य कमान की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1942 में हुई थी. तत्कालीन परिस्थितियों के मद्देनजर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सन 1946 में मध्य कमान को समाप्त कर दिया गया. देश को आजादी मिलने के बाद लखनऊ में पूर्वी कमान की स्थापना की गई. इसके बाद 1962 के भारत और चीन के युद्ध के दौरान लखनऊ सैन्य गतिविधियों का अहम केंद्र रहा. तब युद्ध की तैयारियों को लेकर अहम बैठकें, प्लानिंग आदि सभी लखनऊ स्थित इसी पूर्वी कमान मुख्यालय से किया गया था.
1962 के युद्ध के बाद रक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया कि देश की सीमा पर सैन्य परिस्थितियों के मद्देनजर पूर्वी कमान को यहां से शिफ्ट करने की जरूरत है. इसके साथ ही पश्चिमी सेक्टर को बैकअप देने के लिए लखनऊ में मध्य कमान की स्थापना का अहम निर्णय किया गया. इसके बाद 1 मई 1963 को पूर्वी कमान को शिफ्ट कर लखनऊ में मध्य कमान की स्थापना की गई. लेफ्टिनेंट जनरल कंवर बहादुर सिंह इस नवीन मध्य कमान के पहले सेना कमांडर थे.
इस तरह लखनऊ मध्य कमान का केंद्र बना. काफी समय तक मध्य कमान में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्य आते थे. वहीं अब हिमाचल प्रदेश भी मध्य कमान का हिस्सा है. मध्य कमान के क्षेत्र में 18 महत्वपूर्ण रेजिमेंटल सेंटर और 18 ट्रेनिंग सेंटर आते हैं. इसके अलावा माउंटेन और इंफेंट्री डिवीजन के साथ उत्तर भारत और मध्य भारत फार्मेशन मुख्यालय भी है.
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मध्य कमान का फॉरमेशन सूर्य है इसलिए मध्य कमान को सूर्य कमान भी कहते हैं. मध्य कमान की स्थापना के बाद से ही इसके जवान हर कसौटी पर खरा उतरते आए हैं. तिब्बत और नेपाल से सटी चीन सीमा के साथ बंगाल की खाड़ी में भी मध्य कमान के जवान मजबूती से डटे रहते हैं. उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदाएं हो या फिर कोरोना संक्रमण काल में ऑक्सीजन की आपूर्ति कर लोगों की जान बचाने का मिशन, मध्य कमान के जवानों ने हर कदम पर अपने शौर्य का परचम लहराया है.
बीते कुछ वर्षों में मध्य कमान के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहे गए दमखम को देखें तो उसकी ऑपरेशनल तैयारियों का ही नतीजा था कि डोकलाम विवाद के बाद चीन को करारा जवाब दिया गया. चीन चाहकर भी सीमा पर अतिक्रमण नहीं कर सका और उसका मंसूबे धरे के धरे रह गए. इसके बाद मध्य कमान का ऑपरेशन एरिया बढ़ाकर हिमाचल प्रदेश से सटी चीन की सीमाओं तक कर दिया गया. अब मध्य कमान में आठ राज्य हो गए हैं, जबकि पहले सात राज्य थे.
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक थल सेना वायु सेना और नौसेना को मिलाकर भविष्य की लड़ाई के लिए बन रही थिएटर कमांड में मध्य कमान की अहम जिम्मेदारी होगी. मध्य कमान के गौरवशाली इतिहास और इसके प्रदर्शन को देखते हुए यह निर्णय किया गया है. कहा जा रहा है कि मध्य थिएटर कमांड को चीन की चुनौती का सामना करने के लिए थल सेना के रेजीमेंट और वायु सेना की स्क्वाड्रन को जोड़कर बनाया जाएगा. ये मध्य कमान के लिए एक और बड़ी उपलब्धि होगी.