Lucknow: दिल से संबंधित बीमारियों की बात करें तो एक समय था जब आम तौर पर यह समस्या बुजुर्गों में दिखायी देती थी. लेकिन, अब कम उम्र के लोग भी इसका शिकार हो रहे हैं. युवाओं में हृदय रोग (Heart Disease) के मामले बढ़ रहे हैं और ये बीमारी उनके लिए जानलेवा साबित हो रही है. जाड़े के इस मौसम में तो ये बीमारी मौत की बड़ी वजह बन रही है.
बीते कुछ सालों में उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure), निम्न रक्तचाप (Low Blood Pressure), स्ट्रोक (Stroke), हार्ट अटैक (Heart Attack) और कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) जैसी समस्या युवाओं के बीच बेहद बढ़ गई है. चिकित्सकों के मुताबिक अनियमित जीवन शैली, भोजन में लापरवाही और शारीरिक मेहनत से दूरी इसके प्रमुख कारणों में से है. इन्हे लेकर सतर्कता बरतना बेहद जरूरी है. वहीं अगर दिल का दौरा पड़ने की बात करें तो कई तरह के लक्षण इसका संकेत देते हैं. अगर इन्हें समय रहते समझ लिया जाए तो बड़े खतरे को टाला जा सकता है.
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के डॉ. अरविंद मिश्रा के मुताबिक अनियमित दिनचर्या, वसायुक्त ज्यादा भोजन खाने और नियमित व्यायाम नहीं करने के कारण हमारी रक्त धमनियों में कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ जाता है और रक्त का फ्लो प्रभावित होता है. दिल को रक्त पहुंचाने वाली धमनियां ज्यादा कोलेस्ट्रोल के कारण सिकुड़ने लगती हैं तो दिल पर ज्यादा दबाव आने लगता है और अंतत: परिणाम हार्ट अटैक के रूप में सामने आता है.
डॉ. अरविंद बताते हैं कि आजकल गलत खानपान के चलते अधिकांश लोग दिल की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं क्योंकि खानपान का दिल से सीधा संबंध होता है. दिल की बीमारियों से दूर रहना है तो खानपान में सुधार कर लें, जीवनशैली में अच्छी आदतों को शामिल करें. ये सबसे सस्ता उपाय है, जिसकी जानकारी सभी को है. लेकिन, पालन कुछ लोग ही करते हैं. इन उपायों को अपनाकर आप अपनी और अपनों की जान बचा सकते हैं.
दिल का दौरा आने से पहले सीने में जो दर्द होता है, उसे एंजाइना कहा जाता है. एंजाइना को मेडिकल भाषा में इस्केमिक चेस्ट पेन कहा जाता है. इससे मतलब ऐसे सीने के दर्द से है, जिसकी शुरुआत दिल तक पर्याप्त खून के न पहुंचने से होती है. इस दौरान व्यक्ति को दिल के दौरे पड़ने या फिर सीने में दबाव महसूस हो सकता है. एंजाइना दर्द तब होता है, जब दिल की नसों में रक्त प्रवाह ठीक तरह से नहीं हो पाता है. एंजाइना दर्द जबड़े, बांह और पीठ के ऊपरी हिस्से में होता है. यह इस बात का संकेत हो सकता है कि हृदय को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है.
एंजाइना मुख्य तौर पर चार प्रकार का होता है. इनमें स्टेबल एंजाइना, अनस्टेबल एंजाइना, माइक्रोवैस्कुलर एंजाइना और वेरिएंट एंजाइना है. इनमें स्टेबल एंजाइना का सबसे साधारण प्रकार है, जो शारीरिक कार्य, तनाव से सम्बन्धित होता है.
एंजाइना का दर्द वैसे तो अधिक उम्र में ही होता है. लेकिन, आजकल अनियमित दिनचर्या के कारण कम उम्र में भी देखने को मिल रहा है. एंजाइना से पीड़ित व्यक्ति को सीने, बांहों, जबड़े, कंधे या गर्दन में खिंचाव या दर्द महसूस होता है. सांस फूलना, उल्टी आना, पेट में दर्द, अधिक पसीना आना, अधिक थकान लगना, चक्कर या बेहोशी आना, घबराहट महसूस होना जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं. महिलाओं में पेट, गर्दन, गले या पीठ में दर्द की समस्या भी हो सकती है. लेकिन, कभी-कभी किसी को ये लक्षण भी महसूस नहीं होते हैं.
चिकित्सकों के मुताबिक एंजाइना का दर्द ज्यादा व्यायाम या ज्यादा काम करने पर हो सकता है. यह ज्यादा भोजन करने पर भी हो सकता है. एंजाइना का दर्द तापमान के अधिक गर्म या अधिक ठंडा होने पर या किसी भावनात्मक या तनावपूर्ण घटना होने पर भी हो सकता है. ध्रूमपान, नशीले पदार्थ का सेवन करने वाले लोगों में भी एंजाइना का खतरा काफी अधिक होता है. इसी तरह अधिक वजन वाले लोगों के एंजाइना के शिकार होने के मामले सामने आते रहते हैं.
जब भी एंजाइना के लक्षण महसूस हों तो तुरंत चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए.ध्यान रखें कि स्वयं अस्पताल न जाएं तो बेहतर है. परिजन या दोस्त के साथ ही अस्पताल जाएं, क्योंकि एंजाइना दर्द होने पर दिल का दौरा पड़ने की भी सम्भावना होती है. ऐसे में अकेले जाने पर समस्या बढ़ सकती है. इसके इलाज के लिए अब कई तरह की थैरेपी मौजूद हैं. यदि मरीज के दिल की नसें संकरी हो जाती हैं तो फिर एंजियोप्लास्टी के जरिए नसों को गुब्बारे की तरह फुलाकर चौड़ा किया जाता है. इससे मरीज ठीक हो जाता है. यदि कुछ और कारण हैं तो एंजाइना की विशेष दवाएं दी जाती हैं.
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हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. जेपी सिंह बताते हैं कि एंजाइना दर्द की अनदेखी दिल की सेहत पर भारी पड़ सकती है. यह दिल के दौरे का संकेत भी है. इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए. स्वस्थ आदमी में दिल शरीर के रक्त की आवश्यकताएं पूरी करता है. लेकिन, जब किसी वजह से दिल को रक्त सप्लाई करने वाले नलियां पतली या प्रभावित हो जाती हैं तो इसका असर देखने को मिला है.
ऐसे में सामान्य गतिविधि से अधिक मेहनत करने की स्थिति में दिल पर अधिक भार पड़ता है. लेकिन, उसके मुताबिक वह खून की सप्लाई नहीं कर पाता है. नतीजन दिल अपनी समस्या सीने में दर्द, डिस्पनिया आदि के रूप में व्यक्त करता है. इसी को एंजाइना कहते हैं. सही समय पर इसके लक्षण पहचान कर इलाज से दिल की गम्भीर समस्या से बचा जा सकता है.