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चुनार का किला, लखनऊ की छतर मंजिल, बरुआ सागर बनेंगे विरासत होटल, यूपी में शुरू होगा हेरिटेज टूरिज्म

उत्तर प्रदेश के प्राचीन धरोहर भवनों का कायाकल्प किया जाएगा. बरुआ सागर, चुनार का किला और लखनऊ की छतरमंजिल को विरासत होटलों में बदला जाएगा. कई बड़े होटल ग्रुप ने इस योजना में दिलचस्पी दिखायी है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश को हेरिटेज पर्यटन के लिए एक अनुकूल अंतरराष्ट्रीय गंतव्य के रूप में स्थापित करने के लिए सरकार जुट गयी है. सरकार ने यूपी के नौ महलों और हवेलियों में पर्यटकों के लिए सितारा सुविधा वाले होटल खोलने की तैयारी में है. इसके लिए सरकार की ओर से तीन कैटेगरी बनाई गई हैं. जिसकी कुल प्रस्तावित न्यूनतम निवेश धनराशि 180 करोड़ रुपए है.

पांच राज्यों के अध्ययन के बाद हुई तैयारी

कुछ माह पहले ही लगभग 41 हेरिटेज उद्यमियों ने पर्यटन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठकर प्रदेश के विरासत भवनों में अपनी रुचि प्रदर्शित की थी. वहीं पर्यटन विभाग की ओर से भी पांच राज्यों, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, ओडिशा और राजस्थान के विरासत भवनों का अध्ययन भी किया गया है.

ये बनेंगे विरासत होटल

यूपी पर्यटन विभाग ने लखनऊ के छत्तर मंजिल, मीरजापुर का चुनार का किला, झांसी का बरुआ सागर किला, लखनऊ की कोठी गुलिस्ता-ए-इरम, कोठी दर्शन विलास और कोठी रोशन, मथुरा के बरसाना जल महल, कानपुर का शुक्ला तालाब और बिठूर के टिकैतराय बारादरी को हेरिटेज होटल का रूप देने की तैयारी है. पर्यटन विभाग की ओर से विरासत संपत्तियों में वेलनेस सेंटर, हेरिटेज होटल, माइस एक्टिविटी सेंटर, रिजॉर्ट, म्यूजियम, हेरिटेज रेस्टोरेंट, बुटिक रेस्टोरेंट, बैंक्वेट हॉल, वेडिंग टूरिज्म, एडवेंचर टूरिज्म, होम स्टे, थीमैटिक पार्क और अन्य टूरिज्म एवं हॉस्पिटैलिटी यूनिट का निर्माण कराया जाएगा.

कई बड़े ग्रुप आए सामने

प्राचीन धरोहर भवनों के एडॉप्टिव रियूज और इसमें निवेश के लिए इच्छुक मुख्य होटल ग्रुप्स में लीला होटल्स, नीमराना होटल्स, इंडियन होटल्स कंपनी (ताज होटल्स), महिंद्रा होटल्स एंड रिजॉर्ट, ओबेरॉय होटल्स, दि एमआरएस ग्रुप एंड रिजॉर्ट, ललित होटल्स, हयात रिजेंसी, सरोवर होटल्स एंड रिजॉर्ट्स, एकोर ग्रुप, टीएचएफ होटल्स, लैंजेर होटल्स, रॉयल आर्किड होटल्स, रमाडा होटल, क्लार्क होटल, ब्रिजरमा ग्रुप्स ऑफ होटल्स शामिल हैं. इन सभी ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) में रुचि दिखाई है.

प्राचीन धरोहर में नहीं कर सकेंगे बदलाव

प्रमुख सचिव एवं महानिदेशक पर्यटन मुकेश मेश्राम के अनुसार परियोजना के लिए सफल निविदादाता का चयन गुणवत्ता और लागत प्रणाली (क्वालिटी एंड कॉस्ट बेस्ड सेलेक्शन) के आधार पर किया जाएगा. धरोहर भवनों के संरक्षण के लिए मापदंड और दायित्व भी तय किये गये हैं. इसमें पुरातत्विक भवन का विन्यास यथावत रखने, मूल स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं करना होगा

स्थानीय लोगों को देना होगा रोजगार

भवन का उपयोग उसके पौराणिक तथा ऐतिहासिक महत्व के अनुरूप किये जाने, विरासत भवन के इतिहास के संबंध में विकासकर्ता द्वारा इन्फॉमेटिक साईनेजेज की स्थापना करने, स्थानीय संस्कृति, खान-पान, कला, पोशाक, व्यंजन तथा सांस्कृतिक विधाओं का प्रदर्शन, सीएसआर के अंतर्गत चयनित विकासकर्ता द्वारा निकटवर्ती ग्रामों को अंगीकृत करते हुए विकसित किया जाएगा. इसके साथ ही 25 प्रतिशत स्थानीय नागरिकों को रोजगार दिया जाना शामिल है.

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