CM Yogi Adityanath In Naimisharanya: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य पहुंचे. उन्होंने चक्रतीर्थ पहुंचकर दर्शन पूजन किया और संतों व पुरोहितों के साथ वार्ता की. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीर्थस्थल पर झाड़ू लगाकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक रहने का संदेश दिया. इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि नैमिषारण्य के विकास के लिए रुपए की कमी नहीं है. हम लोग यहां इतना रुपए देना चाहते हैं कि नैमिषारण्य की वैदिक और पौराणिक काल से जो पहचान है, वह फिर से स्थापित हो सके. उन्होंने कहा कि राजधानी लखनऊ के नजदीक होने के बाद भी पहले नैमिषारण्य की स्थिति दीपक तले अंधेरा जैसे थी. हम लोगों ने यहां कई कार्य कराए. अब लखनऊ से नैमिषारण्य के कारण इलेक्ट्रिक बस सेवा प्रारंभ होने जा रही है. इसके साथ ही लखनऊ से यहां के लिए हेलिकॉप्टर सेवा भी शुरू कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधी जयंती पर पूज्य बापू के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करने के लिए स्वच्छांजलि का आह्वान किया है. इस कार्य की शुरुआत के लिए प्रदेश सरकार ने नैमिषारण्य को चुना है. सभी पूज्य संत, श्रद्धालुजन स्वच्छांजलि कार्यक्रम में सहभागी बनें. स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) द्वितीय चरण के तहत नए भारत के नए उत्तर प्रदेश के 100 प्रतिशत गांवों ने ओडीएफ प्लस का दर्जा प्राप्त कर लिया है. इसके लिए प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर उत्तर प्रदेश की जनता को बधाई दी है. गांधी जयंती से पूर्व प्रदेश के नाम स्वच्छता की एक और उपलब्धि जुड़ी है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम नैमिषारण्य का विकास कर रहे हैं. यहां की सड़कों चौड़ीकरण कराया जा रहा है. जनसुविधाओं को तेजी से बढ़ाने का काम जारी है. जन सुविधाओं के बढ़ने से आसपास के लोग तो यहां के बारे में और जानेंगे, वहीं पूरे देश से लोग नैमिषारण्य पहुंचेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे देश से लोग नैमिषारण्य आना चाहते हैं. अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण के बाद यह संभावनाएं और तेजी से आगे बढ़ सकेंगी. नैमिषारण्य के लिए यह अहम अवसर है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए हमें मिलकर स्वच्छता संबंधी बेहतर माहौल बनाना होगा. सबको मिलकर इसकी शुरुआत करनी होगी. नैमिषारण्य में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाना चाहिए. किसी भी श्रद्धालु और पर्यटक के साथ कोई छल-कपट नहीं किया जाना चाहिए. सद्व्यवहा से लोगों के मन में अच्छी धारणा बनती है. इससे वह अन्य लोगों को भी परिचित कराते हैं.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि आज पहली आवश्यकता स्वच्छता है. स्वच्छ प्रदेश होगा तो लोग आकर देखेंगे, उनको अच्छा अनुभव होगा. प्रदेश के आध्यात्मिक स्थलों, तीर्थ स्थानों को स्वच्छ बनाना हमारी पहली प्राथमिकता होनीा चाहिए. नदी के तट से लेकर सार्वजनिक स्थल, सरकारी कार्यालय, भीड़ भाड़ वाले स्थान आदि सभी जगह स्वच्छता के प्रति सभी लोगों को जागरूक होना पड़ेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्लास्टिक को पूरी तरह मुक्त करना होगा, इससे हमें दूरी बनानी होगी. इसके बहुत विकल्प आ चुके हैं, उसे हमें स्वीकार करना होगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मां ललिता देवी मंदिर में पूजन अर्चन के साथ स्वच्छता श्रमदान किया. इसके बाद उन्होंने जनसभा को संबोधित किया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि भक्ति और योग की प्रक्रिया में भी स्वच्छता को प्राथमिकता दी गई है. भौतिक रूप से स्वच्छता की शुरुआत नैमिषारण्य तीर्थ की स्वच्छता के माध्यम से की जा रही है. हम सबको स्वच्छता को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए. जीवन की पहली आवश्यकता स्वच्छता है. इसे जन आंदोलन के रूप में अंगीकार करना चाहिए. स्वच्छ परिवेश में लोगों को आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति होगी. स्वच्छता रहेगी तो विकास की आगे की धाराएं स्वयं खुलती हुई दिखाई देंगी.
लोकसभा चुनाव की तैयारियों और विपक्षी दलों की सक्रियता के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नैमिषारण्य दौरा अहम माना जा रहा है. इसके जरिए कई समीकरण साधने का प्रयास किया गया है. एक तरफ प्रदेश सरकार के तीर्थ क्षेत्रों के विकास के एजेंडे को धार देने की कोशिश की गई है, वहीं गांधी जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान पर भी फोकस किया गया है. इसके साथ ही सीएम योगी की नजर लोकसभा चुनाव 2024 पर भी है. इसलिए उन्होंने जनसभा के जरिए लोगों के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार की उपलब्धियों को रखा.
सीएम योगी आदित्यनाथ का ये दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि सपा जून माह में यहां प्रशिक्षण शिविर लगा चुकी है और कांग्रेस तीन अक्टूबर को सीतापुर में जोनल अधिवेशन करने जा रही है. ऐसे में मुख्यमंत्री के इस कार्यक्रम को विपक्षी दलों को जवाब देने से भी जोड़कर देखा गया. मुख्यमंत्री का करीब पौने तीन घंटे तक तीर्थनगरी में प्रवास का कार्यक्रम रहा. इसमें उन्होंने सबसे अधिक समय तीर्थ के विकास कार्यों की समीक्षा व धार्मिक-आध्यात्मिक गतिविधियों पर दिया. इसमें दर्शन-पूजन से लेकर संत-महंतों से मुलाकात पर करीब चालीस मिनट का समय रखा गया.