UP Assembly Monsoon Session 2023: उत्तर प्रदेश में विधायकों को आने वाले दिनों में सदन की कार्यवाही में शामिल होने के लिए नई नियमावली का पालन करना होगा. इसमें कई अहम बिंदु शामिल किए गए हैं, जिसमें तकनीक के इस्तेमाल पर जोर के साथ कुछ मामलों में सख्ती की गई है.
यूपी में माननीयों को लेकर बनाई गई इस नियमावली के तहत विधायक अब घर, कार्यालय या कार में बैठकर वर्चुअली विधानसभा की कार्यवाही में शामिल हो सकेंगे. खास बात है कि विधायक सदन में मोबाइल फोन, झंडे, बैनर, प्रतीक या कोई प्रदर्शन करने योग्य वस्तु नहीं ले जा सकेंगे. इसके साथ ही अध्यक्ष की पीठ के पास स्वयं नहीं जाएंगे. यदि आवश्यक हुआ तो पटल पदाधिकारी को पर्ची भेज सकेंगे.
उप्र. विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली-2023 में ई-विधान के तहत सदन की कार्यवाही को अधिक से अधिक ऑनलाइन करने का प्रावधान किया गया है. नियमावली का प्रतिवेदन विधानसभा में पेश कर दिया गया है. अब इस पर विधायक संशोधन प्रस्ताव देंगे.
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माना जा रहा है कि 9 अगस्त को नियमावली पर सदन में चर्चा कर मंजूरी दिलाएगी जाएगी. मंजूरी के बाद विधानसभा का शीतकालीन सत्र नई नियमावली के तहत संचालित होगा. विधायकों के सवालों के जवाब सहित अन्य सूचनाएं संबंधित विभाग से ऑनलाइन ली जा सकेंगी और ऑनलाइन ही विधायकों को दी जाएंगी.
नियमावली के मुताबिक सदस्य सदन में न शस्त्र ला सकेंगे न ही प्रदर्शित कर सकेंगे. इसके साथ ही ऐसे किसी भी साहित्य, प्रश्नावली, पुस्तिका, प्रेस टिप्पणी, पर्चों का वितरण नहीं कर सकेंगे जो सदन से संबंधित नहीं हो. धूम्रपान नहीं कर सकेंगे. लॉबी में इतनी तेज आवाज में न तो बात करेंगे न ही हंसेंगे, जो सदन में सुनाई दे. इस तरह नई नियमावली में कई सख्त बिंदु शामिल किए गए हैं.
इस तरह नियमावली में सदन में विधायकों के आचरण और व्यवहार तय किए गए हैं. प्रावधान है कि विधायक सदन में किसी दस्तावेज को फाड़ नहीं सकेंगे. भाषण करते समय दीर्घा में किसी अजनबी की ओर संकेत नहीं करेंगे. न ही उसकी प्रशंसा कर सकेंगे. विधायक अध्यक्ष की ओर पीठ करके न तो खड़े हो सकेंगे और न ही बैठ सकेंगे.
इसके साथ ही विधानसभा का सत्र अब सात दिन के नोटिस पर आहूत हो सकेगा. वर्तमान में 15 दिन के नोटिस पर यह व्यवस्था है. शासन की ओर से विधानसभा सचिवालय को सत्र आहूत करने की तिथि से सात दिन पहले सूचना देनी होगी.
विधानसभा के प्रमुख सचिव की ओर से प्रत्येक दिन के कार्य की सूची बनाकर उसकी एक प्रति विधायकों को ऑनलाइन या ऑफलाइन उपलब्ध करानी होगी. विधानसभा अध्यक्ष, नेता सदन या सदन की अनुमति से कार्य के क्रम में परिवर्तन कर सकेंगे. विधायकों को ईमेल व मोबाइल संदेश के जरिये भी सत्र आहूत होने की सूचना दी जाएगी.
इसके साथ ही विधायक उच्च प्राधिकार प्राप्त व्यक्तियों के आचरण पर तब तक आरोप नहीं लगा सकेंगे जब तक कि चर्चा उचित रूप से रखे गए मूल प्रस्ताव पर आधारित नहीं हो. सदस्य अपने भाषण के अधिकार का उपयोग सभा के कार्य में बाधा डालने के लिए नहीं कर सकेंगे.
सरकारी अफसरों के नाम को लेकर कोई उल्लेख नहीं करेंगे. वाद-विवाद पर प्रभाव डालने के उद्देश्य से राज्य के नाम का उपयोग नहीं करेंगे. अध्यक्ष या पीठ की अनुमति के बिना लिखित भाषण नहीं पढ़ सकेंगे. किसी भी दीर्घा में बैठे अजनबी के लिए निर्देश नहीं दे सकेंगे.
खास बात है कि नियमानुसार विधानसभा की नई नियमावली पर सदन में 14 दिन चर्चा होनी चाहिए. हालांकि मानसून सत्र केवल पांच दिन का होने के कारण नियमावली पर शुक्रवार तक ही चर्चा हो सकेगी. ऐसे में नियमों के मुताबिक पूरी चर्चा संभव नहीं हो सकेगी.
विधानसभा में अब किसी भी तारांकित प्रश्न पर दो पूरक प्रश्न ही पूछे जा सकेंगे. पूरक प्रश्न पूछने में पहली प्राथमिकता मूल प्रश्नकर्ता विधायक को मिलेगी. यदि प्रश्नकर्ता एक से अधिक हैं तो दूसरी प्राथमिकता दूसरे प्रश्नकर्ता को मिलेगी.
विधायक को अपने प्रश्न सत्र शुरू होने से तीन दिन पहले लिखित या ऑनलाइन विधानसभा के प्रमुख सचिव के समक्ष देना होगा. सचिव को उन पर 24 घंटे के भीतर अध्यक्ष की अनुमति प्राप्त करनी होगी. अतारांकित प्रश्नों के उत्तर उसी दिन सदन के पटल पर रखे जाएंगे.
जनता हित से जुड़े विषयों पर सदन का ध्यान आकर्षित करने के लिए सदस्यों को सदन की कार्यवाही शुरू होने से एक घंटे पहले ऑनलाइन या ऑफलाइन सूचना दो प्रति में विधानसभा के प्रमुख सचिव को देनी होगी. ध्यान आकर्षण से संबंधित सूचना शासन की ओर से अधिकतम 30 दिन में संबंधित सदस्य या विधानसभा सचिवालय में पेश करनी होगी.
नियमावली में विशेषाधिकार हनन के मामलों में भर्त्सना व जुर्माने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को देना प्रस्तावित है. विधानसभा के प्रश्नों का जवाब नहीं देने या आदेश का उल्लंघन करने पर अधिकारियों, कर्मचारियों या अन्य व्यक्ति की अध्यक्ष भर्त्सना कर सकेंगे या उन पर जुर्माना भी लगा सकेंगे. किसी अधिकारी या कर्मचारी की भर्त्सना करने या उन पर जुर्माना लगाने से उनकी वेतनवृद्धि और पदोन्नति प्रभावित होगी.
विशेषाधिकार भंग या अवमानना का आरोप निराधार पाये जाने पर शिकायत करने वाले पक्ष को आरोपित पक्ष को खर्च के रूप में पूर्व में निर्धारित अधिकतम राशि 500 रुपए के स्थान पर 50,000 रुपए देना होगा.
विधानसभा में नेशनल ई-विधान लागू होने के कारण नई नियमावली में सदस्यों की वर्चुअल उपस्थिति, सूचनाओं व प्रस्तावों को ऑनलाइन उपलब्ध कराने और टैबलेट पर विधानसभा की कार्यसूची को आनलाइन प्रदर्शित करने के लिए ई-बुक के लिए भी प्रविधान किये गए हैं.
अभी तक विधानसभा की कार्यवाही उत्तर प्रदेश विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन नियमावली, 1958 के तहत संचालित होती है. बीते 65 वर्षों के दौरान पुरानी नियमावली के कई प्रविधान अप्रासंगिक हो चुके हैं और कई अन्य में बदलाव की जरूरत महसूस की गई.