उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद मेट्रो एक्सटेंशन की बात करें तो इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद एनसीआर की पूरी तस्वीर बदल जाएगी. जीडीए के मुताबिक नोएडा सेक्टर 62 से साहिबाबाद मेट्रो रूट को प्राथमिकता के तौर पर आगे बढ़ाया जा रहा है. नोएडा सेक्टर 62 से साहिबाबाद तक आने वाली मेट्रो को रैपिड एक्स के साहिबाबाद स्टेशन से जोड़ दिया जाएगा. इससे दिल्ली और मेरठ से रैपिड एक्स में सवार होकर आ रहे लोग यहां से मेट्रो पकड़ कर नोएडा और अन्य स्थान आ जा सकेंगे.
बरेली में यातायात का आधुनिक संसाधन मुहैया कराने के लिए लाइट मेट्रो परियोजना आने वाले समय में आकार लेगी. बरेली में जंक्शन से लेकर एयरपोर्ट तक दो रूट पर मेट्रो दौड़ेगी. इसमें प्रथम कॉरिडोर में बरेली जंक्शन से चौकी चौराहा, सेटेलाइट, रुहेलखंड, यूनिवर्सिटी होते हुए फनसिटी तक मेट्रो दौड़ेगी. दूसरा कॉरिडोर चौकी चौराहे से कुतुबखाना, कोहाडापीर, डीडीपुरम होते हुए आईवीआरआई रोड का प्रस्ताव दिया गया है.
वाराणसी में पहले फेज में बीएचय से भेल तक मेट्रो लाइन बिछाई जाएगी. मेट्रो के पहले कॉरिडोर के लिए प्रदेश सरकार ने बजट का भी प्रावधान किया है. बजट में मेट्रो परियोजना के लिए 100 करोड रुपए आवंटित किए गए हैं. मेट्रो परियोजना के आकार लेने के साथ पुराने शहर में जाम की समस्या का स्थाई समाधान हो जाएगा. भेल से बीएचयू तक प्रस्तावित मेट्रो रूट को सबसे घनी आबादी वाले इलाके चौके, गोदौलिया, बेनिया बाग, बंगाली टोला आदि से गुजर जाएगा.
महाकुंभ के पहले संगमनगरी में लाइट मेट्रो चलाने की तैयारी तेज हो गई है. एयरपोर्ट और प्रयागराज जंक्शन वाले रूट पर पहले लाइट मेट्रो का संचालन किया जाएगा. लाइट मेट्रो पहले फेज में बमरौली से झूंसी कनिहार तक संचालित करने की योजना थी. इसकी दूरी लगभग 23 किलोमीटर निर्धारित है. शांतिपुरम से छिवकी तक दूसरा रूट प्रस्तावित है. इस रूट की दूरी 21 किलोमीटर तक है.
दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ को रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) कॉरिडोर के जरिए जोड़ने का काम अब रफ्तार पकड़ सकेगा. इसके लिए यूपी सरकार ने 350 करोड़ रुपए की धनराशि जारी की है. आरआरटीएस एक सेमी हाईस्पीड रेल कोरिडोर है जो दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ को जोड़ेगा. यह देश का अपनी तरह का पहला रैपिड ट्रांजिट प्रोजेक्ट है. इस परियोजना के तहत फेज वन स्टेज का कार्य हो रहा है.
मेट्रो रेल परियोजना के प्रथम कॉरिडोर के तहत आईआईटी-कानपुर से नौबस्ता का काम जारी है. इसमें निर्माणाधीन चुन्नीगंज-नयागंज भूमिगत सेक्शन के नवीन मार्केट भूमिगत स्टेशन से ‘तात्या’ टनल बोरिंग मशीन लॉन्च की जा चुकी है.यह टीबीएम नवीन मार्केट से लेकर बड़ा चौराहा तक लगभग 516 मीटर डाउन-लाइन टनल का निर्माण करते हुए बड़ा चौराहा भूमिगत मेट्रो स्टेशन से बाहर निकलेगी.
लखनऊ में मेट्रो से शहर के कई हिस्से और कनेक्ट होंगे. इसके साथ ही आने वाले दिनों में लखनऊ मेट्रो के स्टेशनों पर मल्टीप्लेक्स और कॉम्प्लेक्स बनेंगे. इनके बनने से मेट्रो स्टेशन पर जहां लोगों का आवागमन बढ़ेगा. वहीं किराए से आय भी बढ़ेगी. यूपी मेट्रो कॉरपोरेशन ने यूरोपीय इन्वेस्टमेंट बैंक से निर्माण के लिए 3502 करोड़ रुपए का लोन लिया है.
गोरखपुर लाइट मेट्रो चलाने के लिए कुल 4,672 करोड़ का बजट निर्धारित है. इसमें दो रूट तय किए गए हैं, जिसमें 15.14 किमी का पहला रूट श्यामनगर से लेकर मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय तक है.
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे पर दिसंबर तक आवागमन शुरू हो जाएगा. इसका काम करीब 80 फीसदी पूरा हो चुका है. इस एक्सप्रेसवे के शुरू होने से गोरखपुर क्षेत्र आसानी से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के जरिए लखनऊ, आगरा और दिल्ली से जुड़ जाएगा. इस रोड से गोरखपुर, अंबेडकरनगर, संतकबीरनगर और आजमगढ़ को सीधा लाभ मिलेगा. लिंक एक्सप्रेसवे के पूरा होने से इंडस्ट्रियल कॉरीडोर के निर्माण में मदद मिलेगी. एक्सप्रेसवे के दोनों ओर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने बजट में दो सौ करोड़ रुपए का आवंटन किया है.
लखनऊ कानपुर एक्सप्रेसवे बेहद मददगार साबित होगा. दोनों शहरों के बीच की दूरी कम करने के लिए बन रहा एक्सप्रेसवे आकार लेने लगा है. इस एक्सप्रेसवे से सफर करने के लिए लोगों को सिर्फ एक साल और इंतजार करना होगा. ये प्रोजेक्ट दिसंबर 2024 तक पूरा हो जाएगा. कानपुर रोड पर सैनिक स्कूल से पिलर खड़े करने का काम शुरू हो गया है. बनी क्षेत्र के करीब 12 किलोमीटर तक पिलर बनने लगे हैं.