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हाथरस कांड: दो साल चली सुनवाई के बाद कोर्ट में एक दोषी करार, तीन बरी, पीड़ित पक्ष हाई कोर्ट में करेगा अपील

हाथरस कांड में एक आरोपी को दोषी करार करने के साथ तीन को बरी कर दिया गया. कोर्ट में दो साल से अधिक चली सुनवाई के दौरान कुल 68 तारीखों में 35 लोगों की गवाही हुई. दोनों पक्षों से जुड़े लोगों ने कोर्ट में जिरह की. घटना के बाद हाथरस पूरे देश में चर्चाओं में आ गया था.

हाथरस कांड: प्रदेश में बहुचर्चित हाथरस के बूलगढ़ी कांड में गुरुवार को कोर्ट ने फैसला सुनाया. इसमें एक आरोपी को दोषी करार करने के साथ तीन को बरी कर दिया गया. एससी-एसटी कोर्ट ने अभियुक्त संदीप को दोषी पाया है. वहीं लवकुश, रामू और रवि को दोषमुक्त कर दिया गया है. आरोपी संदीप को आईपीसी की धारा 304 एससी-एसटी एक्ट के लिए दोषी माना है. दुष्कर्म का आरोप सिद्ध नहीं हुआ है.

दो साल से अधिक चली सुनवाई

हाथरस कांड में कोर्ट में दो साल से अधिक चली सुनवाई के दौरान कुल 68 तारीखों में 35 लोगों की गवाही हुई. दोनों पक्षों से जुड़े लोगों ने कोर्ट में जिरह की. घटना के बाद हाथरस पूरे देश में चर्चाओं में आ गया था. एसआईटी के बाद सीबीआई ने इस प्रकरण की जांच की थी.

फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेगा पीड़ित पक्ष

पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता महीपाल सिंह के मुताबिक 14 सितंबर 2020 को हुए हाथरस कांड में एससी-एसटी कोर्ट ने अभियुक्त संदीप को दोषी पाया है. वहीं लवकुश, रामू और रवि को दोषमुक्त कर दिया गया है. आरोपी संदीप को आईपीसी की धारा 304 एससी-एसटी एक्ट के लिए दोषी माना है. दुष्कर्म का आरोप सिद्ध नहीं हुआ है. पीड़ित पक्ष ने न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने की बात कही है. सीबीआई ने सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामलों में चार्ज शीट दाखिल की थी.

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एसआईटी जांच में इन अफसरों पर गिरी गाज, हुए बहाल

मामले में तीन अक्टूबर 2021 को विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया गया. इसमें सचिव गृह भगवान स्वरूप की अध्यक्षता में गठित कमेटी की प्राथमिक जांच रिपोर्ट के आधार पर पांच पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की गई. घटना में लचर पर्यवेक्षण का दोषी मानते हुए एसपी विक्रांत वीर, डीएसपी राम शब्द, प्रभारी निरीक्षक दिनेश कुमार वर्मा, वरिष्ठ उप निरीक्षक जगवीर सिंह और हेड मुहर्रिर महेश पाल को निलंबित किया गया. हालांकि अब सभी पुलिस कर्मी बहाल हो चुके हैं.

राहुल, प्रियंका सहित विपक्ष का नेताओं को लगा रहा जमावड़ा

यह कांड बेहद सुर्खियों में रहा था. इस प्रकरण में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा बूलगढ़ी पहुंची थीं. इनके अलावा केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, संदीप पांडेय, भाकपा नेता सीताराम येंचुरी, डीके राजा, रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी, भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद के अलावा सपा का प्रतिनिधिमंडल भी मृतक युवती के परिजनों से मिला था. सभी दलों के नेताओं ने इस कांड को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे.

सीबीआई की चार्जशीट के बाद से कोर्ट में सुनवाई

सीबीआई ने इस मामले में चारों आरोपियों के खिलाफ 376 डी, 302, एससीएसटी एक्ट सहित अन्य धाराओं में आरोप पत्र दाखिल किया था. सीबीआई की चार्जशीट के बाद से कोर्ट में पूरे प्रकरण की सुनवाई चल रही है. इसमें 104 गवाहों में से सीबीआई ने 35 लोगों की गवाही करा दी है.

कड़ी सुरक्षा के किए गए इंतजाम

इसे लेकर पुलिस प्रशासन पूरी सतर्कता बरत रहा है. फैसले के बाद राजनैतिक पार्टी के लोगों के बूलगढ़ी गांव पहुंचने की संभावना है. इसलिए पुलिस कानून व्यवस्था को लेकर सतर्कता बरत रही है. आईजी दीपक कुमार के मुताबिक हाथरस में पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए जाने के निर्देश दिए गए हैं और फोर्स भी मुहैया कराई गई है. हर गतिविधि पर नजर रखी जाएगी.

14 सितंबर 2020 को हुई थी वारदात

हाथरस के थाना चंदपा क्षेत्र के एक गांव में 14 सितंबर 2020 को 19 वर्षीय लड़की के साथ खेत में सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया था. पीड़िता बेहोशी की हालत में खेत में पड़ी हुई मिली. गंभीर अवस्था में उसे जिला संयुक्त चिकित्सालय लाया गया, जहां से उसे जेएन मेडिकल अलीगढ़ रेफर किया गया.

29 सितंबर को सफदरगंज में युवती ने तोड़ा दम

इसके बाद युवती ने अपने बयान में गांव के चार युवक संदीप ठाकुर, रामू, लवकुश और रवि पर सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया था. इसके बाद पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी कर उन्हें जेल भेज दिया. वहीं 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरगंज में युवती की मौत हो गई थी. इसके बाद पुलिस-प्रशासन ने उसी दिन आधी रात में युवती का शव गांव लाकर अंतिम संस्कार करा दिया. इसकी वजह से प्रशासन, पुलिस और सरकार का काफी विरोध झेलना पड़ा था.

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