24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

दिल का सलीके से रखें ख्याल, ‘एथेरोस्क्लेरोसिस’ ले सकता है जान, रिस्क फैक्टर पहचान कर इस तरह करें दूर…

एथेरोस्क्लेरोसिस हार्ट डिजीज की शुरुआत है. हृदय रोगों से सम्बन्धित समस्याओं की बात करें तो कम उम्र के लोगों में बीमारी देखने को मिल रही है. पहले ये बीमारी 50 या 60 साल में होती थी. वहीं अब 30 साल के युवाओं और उससे कम उम्र के लोगों में भी हृदयाघात हो रहा है.

Lucknow: शरीर स्वस्थ तरीके से काम करता रहे, इसके लिए दिल का सेहतमंद होना बेहद जरूरी है. दिल की सेहत में एथेरोस्क्लेरोसिस सबसे बड़ा रोड़ा है. इसके कारण हार्ट अटैक व पेरिफेरल वैस्कुलर डिजीज जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. हृदय रोग विशेषज्ञों के मुताबिक एथेरोस्क्लेरोसिस को लेकर लापरवाही जान पर भारी पड़ सकती है. आदतों में सुधार कर खतरे से बचा जा सकता है.

एथेरोस्क्लेरोसिस में शरीर की धमनियों के अंदर जमने लगता है ‘प्लाक’

एथेरोस्क्लेरोसिस में शरीर की धमनियों के अंदर ‘प्लाक’ जमने लगता है. धमनियां ऑक्सीजन युक्त रक्त को हृदय और शरीर के अन्य हिस्सों में ले जाती हैं. वसा, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और रक्त में पाए जाने वाले अन्य पदार्थों से प्लाक का निर्माण होता है. समय के साथ प्लाक धमनियों को कठोर और संकीर्ण बना देता है तथा यह शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त के प्रवाह को बाधित करता है. एथेरोस्क्लेरोसिस से हृदयाघात, मस्तिष्क आघात या फिर मौत भी हो सकती है.

धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा होने की शुरुआत है एथेरोस्क्लेरोसिस का प्रोसेस

राजधानी में आरएमएलआईएमएस में हृदय रोग विभागाध्यक्ष प्रो. भुवन चंद्र तिवारी के मुताबिक एथेरोस्क्लेरोसिस हार्ट डिजीज की शुरुआत है. धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा होने की शुरुआत एथेरोस्क्लेरोसिस का प्रोसेस है. एथेरोस्क्लेरोसिस में शरीर में मौजूद धमनियों के अंदर रुकावट पैदा होने लगती है. धमनियां दिल के साथ शरीर के अन्य अंगों तक ऑक्सीजन युक्त खून पहुंचाती हैं. वहीं इनमें जो रुकावट वसा, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और खून में मौजूद अन्य तत्वों के जमाव से होती है. समय के साथ-साथ यह जमाव धमनियों के अंदर का रास्ता संकरा कर देता है. इसकी वजह से ऑक्सीजन युक्त रक्त का शरीर के विभिन्न अंगों तक बहाव धीमा पड़ जाता है.

ब्‍लॉकेज होने तक नहीं देते दिखाई अधिकांश लक्षण

प्रो. तिवारी कहते हैं कि ब्‍लॉकेज होने तक एथेरोस्क्लेरोसिस के अधिकतर लक्षण दिखाई नहीं देते है. वहीं सामान्य तौर पर इसके लक्षणों में सीने में दर्द, टांग और बांह में दर्द और शरीर के किसी भी हिस्‍से में दर्द जहां की धमनी ब्‍लॉक हो चुकी हो. सांस लेने में दिक्‍कत, थकान, ब्‍लॉकेज के मस्तिष्‍क में रक्‍त प्रवाह को प्रभावित करने पर उलझन होना, रक्‍त प्रवाह की कमी के कारण पैर की मांसपेशियों में कमजोरी आना शामिल है.

युवाओं में तेजी से बढ़ रही समस्या

प्रो. तिवारी ने बताया कि हृदय रोगों से सम्बन्धित समस्याओं की बात करें तो कम उम्र के लोगों में बीमारी देखने को मिल रही है. पहले ये बीमारी 50 या 60 साल में होती थी. वहीं अब 30 साल के युवाओं और उससे कम उम्र के लोगों में भी हृदयाघात हो रहा है. मोटापा, धूम्रपान जैसे कारण युवाओं में हृदयाघात की बड़ी वजह हैं.

हार्ट अटैक और स्‍ट्रोक के लक्षणों को समझना जरूरी

हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.एके श्रीवास्तव के मुताबिक एथेरोस्क्लेरोसिस की समस्या अचानक जन्म नहीं लेती, यह शरीर में धीरे-धीरे पनपती है. जब तक धमनियों की रुकावट अंगों तक रक्त के बहाव को धीमा न करने लगे, तब तक एथेरोस्क्लेरोसिस सामान्य तौर पर नजर नहीं आती. कई बार थक्के पूरी तरह तरह से रक्त के बहाव को रोक देते हैं, जिसके वजह से दिल का दौरा पड़ता है. लोगों को हार्ट अटैक और स्‍ट्रोक के लक्षणों को समझना जरूरी है. ये दोनों ही एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण होते हैं और इनमें तुरंत मेडिकल सहायता की जरूरत होती है.

Also Read: मौनी अमावस्या पर यहां 2 करोड़ श्रद्धालु लगाएंगे आस्था की डुबकी, स्नान का अमृत बूंदों से है खास कनेक्शन…
इस तरह खतरे का कारण बनता है एथेरोस्क्लेरोसिस

चिकित्सकों के मुताबिक एथेरोस्क्लेरोसिस से कई प्रकार की जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. इनमें जब एथेरोस्क्लेरोसिस हृदय के निकट स्थित धमनियों को संकुचित कर देता है तो कोरोनरी धमनी रोग विकसित हो जाता है. यह एंजाइना, दिल का दौरा या हार्ट फेल का कारण बनता है. इसी तरह कैरोटिड धमनी रोग में जब एथेरोस्क्लेरोसिस मस्तिष्क के करीब स्थित धमनियों को संकीर्ण बनाता है, तो व्यक्ति कैरोटिड धमनी रोग से ग्रसित हो सकता है. यह एक ट्रांसिएंट इस्कीमिक अटैक या स्ट्रोक पैदा कर सकता है.

रिस्क फैक्टर पहचान कर दूर करने की जरूरत

  • डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की समस्या की अनदेखी न करें.

  • धूम्रपान हर स्थिति में खतरे का कारण है.

  • वसायुक्त भोजन से परहेज करें.

  • शरीर का वजन नियंत्रित रखें। मोटापा हावी न होने दें.

  • व्यायाम से दूरी बीमारी को आमंत्रित करती है. इसलिए इसे प्रतिदिन सैर करें, पैदल चलें.

  • तनाव से दूरी बनाकर पर्याप्त नींद लें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें