Lucknow: सर्दी के इस मौसम में खान-पान का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. भयंकर शीतलहर के बीच ऐसे खाद्य पद्यार्थों का सेवन करना चाहिए जिनसे शरीर को गर्माहट मिले और वह ठंड से मुकाबला कर सके. न्यूट्रीनिस्ट इसके लिए ऐसी डाइट पर जोर देते हैं, जो सर्दी में असरदार होने के साथ-साथ सेहत के लिहाज से भी फायदेमंद हो. मडुआ या रागी का सेवन इस लिहाज से बेहद लाभदायक है. आमतौर पर लोग इसके फायदे से अंजान हैं. लेकिन आयुर्वेद में इसके सेवन से कई फायदे बताए गए हैं. इसके बाद अब डाइटिशियन और न्यूट्रीनिस्ट भी इसके सेवन की सलाह दे रहे हैं.
मडुआ और रागी को कई अलग-अलग स्थानीय नामों से जाना जाता है. उत्तराखंड के कुमांऊ में क्षेत्र में इसे मडुआ के नाम से जाना जाता है. वहीं तेलगु और कन्नड़ भाषा में इसे रागी के नाम से जाना जाता है. रागी या मडुआ के आटा पोष्टिक तत्वों से भरपूर अनाज की एक किस्म है जिसका इस्तेमाल रोटी, सूप, जूस, उपमा, डोसा, केक, चॉकलेट, बिस्किटस, चिप्स, और आर्युवेदिक दवा के रूप में होता है. कई घरों में मडुए के आटे को गेहूं के आटे के साथ मिलाकर रोटी बनाकर खाई जाती है. ये शरीर को कई बीमारियों से निजात दिलाता है. मडुआ के आटे में केल्शियम, प्रोटीन, ट्रिपटोफैन, आयरन, मिथियोनिन, रेशे, लेशिथिन जैसे पौष्टिक तत्व पाएं जाते हैं.
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. केएस सोनी बताते हैं कि आयुर्वेदिक ग्रंथों में मडुआ को लेकर कई फायदेमंद बातें बताई गई हैं. मडुआ के सेवन से अत्यधिक प्यास लगने की समस्या खत्म होती है, शारीरिक कमजोरी दूर हो सकती है और कफ दोष को ठीक किया जा सकता है. मडुआ का प्रयोग मूत्र रोग को ठीक करने, शरीर की गंदगी साफ करने के लिए भी कर सकते हैं। शरीर की जलन, त्वचा विकार, किडनी या पथरी की समस्या में भी मडुआ का सेवन लाभकारी होता है.
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मडुआ या रागी के आटे में 80 प्रतिशत कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है. इसका आटा हड्डियों में ऑस्टियोपोरोसिस होने से बचाने में सहायक है. मडुआ के आटे का सेवन त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद है. इसमें मौजूद एमिनो एसिड की मदद से स्किन टिश्यू झुकते नहीं है, जिससे झुर्रियां नहीं पड़ती हैं. इसके अलावा रागी या मडुआ विटामिन डी का भी अच्छा सोर्स है. मडुआ का आटा आयरन का मुख्य स्त्रोत है. एनिमिया से जूझ रहे और कम हिमोग्लोबिन वाले मरीजों के लिए यह लाभदायक है. खासकर महिलाओं को तो इसका सेवन करना चाहिए. अगर रागी को अंकुरित करके खाया जाए तो विटामिन सी का लेवल और बढ़ जाता है और आयरन शरीर में आसानी से पच जाता है और खून में आसानी से मिल जाता है.
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मडुआ ग्लूटन फ्री होता है, जिससे ग्लूकोज के स्तर में गिरावट आती है. इसके नियमित सेवन से डायबिटीज के मरीज को बहुत फायदा मिलता है. डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति अगर सुबह-शाम यह रोटी खाता है तो उसकी समस्या कम हो सकती है.
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मडुआ खाने से पेट की गैस कब्ज की समस्या कम होती है और पाचन शक्ति सुचारू होती है. रागी या मडुआ एक ऐसा अनाज है जो जल्दी पच जाता है.
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मडुआ के आटे में एमिनो एसिड, एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो प्राकृतिक तरीके से आपको तनाव मुक्त रखतें हैं.
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माइग्रेन की बीमारी में भी रागी बेहद फायदेमंद है. ये आपको स्ट्रेस फ्री भी रखता है.
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मडुआ के आटे में फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसे खाने के बाद पेट अधिक समय तक भरा-भरा रहता है, इससे भूख कम लगती है और वजन कम होने में मदद भी मिलती है.
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जो मां कम ब्रेस्टमिल्क की समस्या से जूझ रही हैं, उन महिलाओं को रोजाना मडुआ की रोटी का सेवन करना चाहिए. इसमें पाया जाने वाला फोलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर, विटामिंस से महिलाओं को पूरा मिनरल्स की पूर्ति आसानी होती है और ब्रेस्टमिल्क का उत्पादन होता है.
मडुआ या रागी के आटे के फायदे को देखते हुए अब बड़ी-बड़ी कंपनियां भी इसे ऑनलाइन बेच रही हैं. इसकी कीमत गेहूं के आटे से दोगुना है. जिन क्षेत्रों में इसकी पैदावार होती है, वहां इसकी कीमतें कम हैं. वहीं आसपास के क्षेत्र में यह 60 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिकता है. जबकि ऑनलाइन में अलग अलग ब्रांड में यह 85 से लेकर 100 रुपये तक उपलब्ध है