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UP News: यूपी को वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनाने में माइक्रो फाइनेंस संस्थाएं भी कर रही मदद

माइक्रो फाइनेंस जिसे माइक्रो क्रेडिट भी कहा जाता है, एक प्रकार की बैंकिंग सेवा है, जो कम आय वाले व्यक्तियों या समूहों को दी जाती है. माइक्रो फाइनेंस एसोसिएशन ऑफ उत्तर प्रदेश (उपमा) यूपी में इस क्षेत्र में कार्यरत लगभग 30 संस्थाओं का एक संगठन है,

लखनऊ: यूपी की एक खरब डॉलर अर्थ व्यवस्था (वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी) में अपना योगदान सुनिश्चित करने माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं का भी योगदान है. इस योगदान को बढ़ाने के लिये सरकार से सहयोग की जरूरत है. इससे माइक्रो फाइनेंस संस्थाएं यूपी के विकास में और बढ़ चढ़ के योगदान कर सकेंगी. माइक्रो फाइनेंस एसोसिएशन ऑफ उत्तर प्रदेश (उपमा) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधीर सिन्हा ने ये बातें कही.

सुधीर सिन्हा ने कहा कि माइक्रोफाइनेंस जिसे माइक्रो क्रेडिट भी कहा जाता है, एक प्रकार की बैंकिंग सेवा है, जो कम आय वाले व्यक्तियों या समूहों को दी जाती है. माइक्रो फाइनेंस एसोसिएशन ऑफ उत्तर प्रदेश (उपमा) यूपी में इस क्षेत्र में कार्यरत लगभग 30 संस्थाओं का एक संगठन है, जो माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं को क्षमता संवर्धन प्रशिक्षण और पॉलिसी एडवोकेसी मे मदद करता है. संस्था प्रति वर्ष अपना वार्षिक सम्मेलन आयोजित करती है. संस्था इस वर्ष अपनी स्थापना के दस वर्ष पूरी कर रही है. यह उपमा का छठवां अधिवेशन है।

समारोह के मुख्य अतिथि राज्य मंत्री लोक निर्माण विभाग कुंवर ब्रजेश सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये अधिवेशन का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं के सहयोग और उनके योगदान से महिलाओं के जीवन स्तर में हो रहे सुधार सराहनीय है. विशिष्ट अतिथि और आईएएस नवनीत सहगल ने कहा कि सम्मलेन में परिचर्चा के बाद एक ऐसी कार्य योजना बनेगी, जो राज्य के विकास मे सहयोगी होगी. माइक्रो फाइनेंस एक खरब डॉलर अर्थ व्यवस्था के लक्ष्य को पूर्ण करने में एक अहम् भूमिका निभाएगा.

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रिजर्व बैंक के नये नियम ऋण पोर्टफोलियो को बढ़ाने में करेगी मदद

मुख्य वक्ता पूर्व डिप्टी गवर्नर भारतीय रिजर्व बैंक एचआर खान ने कहा कि रिजर्व बैंक के नए नियमों से माइक्रो फाइनेंस के क्षेत्र में कार्य कर रही संस्थाओं को अपने ऋण पोर्टफोलियो को बढ़ाने मे मदद मिलेगी. साथ ही अपने ग्राहकों को और अधिक राशि ऋण के रूप में उपलब्ध करा सकेंगी. उन्होंने आगे कहा कि किस तरह से माइक्रोफाइनांस राज्य की अर्थ व्यवस्था में तथा ग्रामीण क्षेत्र मे रोजगार सृजन कर सिड़बी के डीएमडी प्रकाश कुमार और आरबीआई के रीजनल डायरेक्टर डॉ. बालू केनचप्पा ने भी अपने अपने विचार रखे. सिडबी के तहत नाबार्ड माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं को समाज के कमजोर वर्ग के लिए रोज़गार परक ऋण उपलब्ध करने मे आर्थिक मदद करता है.

कई बैंकों के प्रतिनिधि हुए शामिल

समारोह में तीन सत्रों में माइक्रो फाइनेंस का राज्य की एक खरब डॉलर अर्थव्ययवस्था में हिस्सेदारी, व्यक्तिगत डाटा प्रोटेक्शन एक्ट के तहत माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं की तैयारी, माइक्रो फाइनेंस एक सामाजिक उपयोगिता पर परिचर्चा हुई. मुंबई से आए जना बैंक के सलाहकार तमाल बंद्योपाध्याय, एक्वीफाक्स (Equifax) के पूर्व एमडी केएम ननैयाह (KM Nanaiah), उत्कर्ष बैंक के एमडी गोविंद सिंह, सोनाटा फाइनेंस के एमडी अनूप सिंह, सत्या माइक्रोकैपिटल के एमडी विवेक तिवारी, एएसए इंटरनेशनल के सीईओ अंजन दासगुप्ता, पहल फाइनेंस की एमडी पूर्वी भवसार ने भाग लिया. इस अवसर पर विभिन्न कंपनियों से आए हुए लगभग 250 प्रतिनिधि मौजूद रहे. इस मौके पर क्रिकेट टीम के विजेताओं को ट्रॉफी और क्विज कम्पटीशन के विजेताओं को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया.

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