Old Pension UP: उत्तर प्रदेश में वर्ष 2005 के पहले चयनित लेखपालों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल कर दी गई है. इसे कर्मचारियों के हित में बड़ा कदम माना जा रहा है और उन्होंने इस पर खुशी जाहिर की है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस संबंध में कर्मचारियों की ओर से दायर याचिका को स्वीकार करते हुए उन्हें पुरानी पेंशन का हकदार माना है. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को पुरानी पेंशन का लाभ देने का आदेश दिया है. इस फैसले के बाद लेखपाल संघ बेहद उत्साहित है. न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव की एकल खंडपीठ ने लेखपाल संघ और अन्य की ओर से दाखिल याचिका को स्वीकार करते हुए ये फैसला सुनाया है. हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार सरकार की ओर से याचियों की दलील का विरोध करते हुए अपने तर्क दिए गए. लेकिन, हाईकोर्ट ने याचियों की दलीलों को सही माना और उनके पक्ष में आदेश दिया.
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी ने दलील दी कि याचियों की नियुक्ति 1 अप्रैल, 2005 या उसके बाद हुई है, इसलिए पुरानी पेंशन योजना इन पर लागू नहीं होती. इसके विरोध में याचियों की ओर कहा गया कि उनका चयन एवं प्रशिक्षण सत्र 2003-04 में हुआ था. इसके साथ ही अगस्त 2004 में प्रशिक्षण पूरा हो गया था. ऐसे में उनकी नियुक्ति में देरी उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से हुई. जाहिर तौर पर अगर प्रशिक्षण पूरा करने के बाद सरकार की ओर से नियुक्ति में देरी नहीं हुई होती तो याची पुरानी पेंशन के लिए निर्धारित अवधि के दायरे में होते. इसके साथ ही याचियाें ने नई पेंशन योजना के तहत वेतन से हो रही कटौती को पुरानी पेंशन योजना के अंतर्गत जीपीएफ में समायोजित करने की भी मांग की है.
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इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग ने एक अप्रैल, 2005 या उसके बाद नियुक्त उन कार्मिकों का ब्योरा मांगा है, जिनकी नियुक्ति के लिए विज्ञापन एक अप्रैल, 2005 के पहले प्रकाशित हुआ था. ऐसे में शिक्षकों व कर्मचारियों में लग रहा है कि केंद्र सरकार के कर्मियों की तर्ज पर उन्हें भी पुरानी पेंशन का विकल्प मिलेगा. संयुक्त शिक्षा निदेशक गणेश कुमार ने सभी बीएसए को इस संबंध में पत्र भेजा है. हालांकि, उन्होंने विशिष्ट बीटीसी 2004 में नियुक्त अभ्यर्थियों को नहीं शामिल करने की बात कही है.
संयुक्त निदेशक के इस पत्र के बाद शिक्षकों ने कड़ी नाराजगी जताई है. माना जा रहा है कि हाल में उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ की शासन में हुई बैठक में ऐसे शिक्षक जिनका चयन एक अप्रैल, 2005 से पूर्व हो गया था लेकिन, उनका कार्यभार ग्रहण 1 अप्रैल, 2005 के बाद हुआ है, उनको केंद्र की तरह पुरानी पेंशन का लाभ देने पर सहमति बन चुकी थी. अब इस पत्र की वजह से मामला बिगड़ सकता है.