लखनऊ. विपक्षी गठबंधन ‘ इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के सहयोगी दल के रूप में, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) ने उत्तर प्रदेश की घोसी सीट पर आगामी विधानसभा उपचुनाव के लिए एकजुटता की नजीर के रूप में एक चेहरा पेश किया है. कांग्रेस ने अपना खुद का उम्मीदवार उतारने की जगह सपा को समर्थन देने का फैसला किया है. हालांकि, सपा ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है , क्योंकि उसने उत्तराखंड में बागेश्वर विधानसभा उपचुनाव में भी अपना उम्मीदवार खड़ा किया है. हालांकि वहां (बागेश्वर ) कांग्रेस ने भाजपा के उम्मीदवार के खिलाफ अपना उम्मीदवार खड़ा किया है. इससे संकेत मिलता है कि ‘इंडिया’ गठबंधन को एकजुटता के लिए अभी काम करना बाकी है. आगामी लोकसभा चुनाव में सीट-बंटवारा इंडिया गठबंधन के सहयोगियों के लिए एक बड़ी बाधा होगी. सत्ता पक्ष वाले गठबंधन एनडीए के नेता अपने बयानों में इसकी भविष्यवाणी भी कर रहे है.
उत्तराखंड की बागेश्वर सीट और यूपी की घोसी सीट पर उपचुनाव पांच अन्य सीटों के साथ पांच सितंबर को होने वाला है. बागेश्वर सीट मौजूदा भाजपा विधायक चंदन राम दास की मृत्यु के बाद खाली हो गई थी. भाजपा ने चार बार विधायक रहे दिवंगत चंदन राम दास के समर्थकों तक पहुंचने की कोशिश में उनकी पत्नी पार्वती दास को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने बसंत कुमार को अपना टिकट दिया, वह 2022 में इस सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार थे. समाजवादी पार्टी ने भी 2014 के लोकसभा चुनाव में असफल रहे किसान भगवती प्रसाद त्रिकोटी को मैदान में उतारकर अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश की है.
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मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस नेताओं ने बताया कि वे बागेश्वर में “सपा से सहयोग की उम्मीद कर रहे थे” कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष (संगठन) मथुरा दत्त जोशी ने कहा, ”21 अगस्त नामांकन वापस लेने की तारीख थी. . हम उम्मीद कर रहे थे कि सपा अपनी उम्मीदवारी वापस ले लेगी.’ हमने बातचीत भी की. इस घटनाक्रम से घटकों की एकता के बारे में गलत संदेश गया है.
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वहीं, समाजवादी पार्टी पार्टी उम्मीदवार के नाम वापस नहीं लेने के लिए अलग तर्क देती है. सपा के उत्तराखंड अध्यक्ष एसपी पोखरियाल ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया था कि , ” इंडिया के तहत गठबंधन बरकरार है. लेकिन हम बागेश्वर में संगठन और आधार को मजबूत करने के लिए उपचुनाव लड़ रहे हैं. हम पूरी ताकत से लड़ेंगे. पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना था कि वे उपचुनाव लड़ रहे हैं क्योंकि “अभी तक गठबंधन का फॉर्मूला तैयार नहीं हुआ है”.
बागेश्वर में वर्षों से भाजपा और कांग्रेस प्रमुख खिलाड़ी रही हैं. न केवल इस सीट पर बल्कि पूरे उत्तराखंड में सपा की उपस्थिति नाममात्र ही रही है. 2022 के विधानसभा चुनाव में, भाजपा के चंदन दास ने 43.14% वोट पाकर कांग्रेस के रंजीत दास को हराकर सीट जीती थी. तब सपा को महज 508 वोट मिले थे.एसपी ने उन जिलों में कुछ विधानसभा सीटें जीती थीं जो वर्तमान उत्तराखंड का हिस्सा हैं, जब यह अविभाजित उत्तर प्रदेश का हिस्सा था. 2000 में राज्य के गठन के बाद से पार्टी को उत्तराखंड में कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है. राज्य में इसकी एकमात्र उल्लेखनीय जीत 2004 में हरिद्वार लोकसभा सीट थी.