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राज्य सभा चुनाव: यूपी की रिक्त होने वाली 10 सीटों पर भाजपा-विपक्ष के सियासी कौशल की होगी परीक्षा, जानें समीकरण

इस बीच उत्तर प्रदेश विधानसभा ने लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट रिक्त घोषित कर दी है. विधानसभा सचिवालय ने इससे संबंधित अधिसूचना भी जारी कर दी है. अब इस सीट पर उपचुनाव कराया जाएगा, जिसके लिए चुनाव आयोग जल्द ही कार्यक्रम का जारी करेगा.

Rajya Sabha Election 2024: यूपी में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सियासी दल रणनीति बनाने में जुट गए हैं. हर सीट पर नफा नुकसान की गणित को लेकर मंथन किया जा रहा है. सत्तारूढ़ दल भाजपा की ओर से कई सांसदों के टिकट काटे जाने की अटकलें हैं तो विपक्ष भी मजबूत चेहरों की तलाश में जुट गया है. चुनाव से पहले कई नेता अपने दलों को छोड़कर दूसरे ​दलों में अभी से संभावना तलाशने में जुट गए हैं. सतारूढ़ दल से लेकर विपक्ष की ओर से एक दूसरे के नेताओं के उनके संपर्क में होने की बात कही जा रही है. इस बीच राज्यसभा के लिए भी सियासी दल जोर आजमाइश करते नजर आएंगे. राज्यसभा में यूपी के कोटे की 10 सीटों का कार्यकाल 2 अप्रैल, 2024 को खत्म हो रहा है. वहीं, विधान परिषद में भी विधायक कोटे की 13 सीटें 5 मई को खाली हो जाएंगी. इसलिए, लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाने के साथ दलों को इन सीटों का गुणा-गणित साधने के लिए भी कड़ी मशक्कत करनी होगी. राज्यसभा की जो 10 सीटें खाली हो रही हैं, उसमें 9 सीटें भाजपा के पास हैं. सपा से एकमात्र सीट जया बच्चन की रिक्त हो रही है. संभावना जताई जा रही कि निर्वाचन आयोग मार्च में चुनाव कार्यक्रम घोषित कर सकता है. वहीं, उत्तर प्रदेश विधान परिषद में खाली हो रही 13 सीटों में 10 भाजपा, 1 उसके सहयोगी अपना दल और 1-1 सपा और बसपा के पास है. 5 मई के पहले इन सीटों पर भी चुनाव प्रस्तावित है.

राज्यसभा-विधान परिषद में इन सदस्यों का कार्यकाल होगा समाप्त

राज्यसभा में इन सदस्यों का कार्यकाल होगा समाप्त

भाजपा

  • अशोक वाजपेयी

  • अनिल जैन

  • अनिल अग्रवाल

  • कांता कर्दम

  • सकलदीप राजभर

  • जीवीएल नरसिम्हा राव

  • सुधांश त्रिवेदी

  • हरनाथ सिंह यादव

  • विजय पाल तोमर

सपा

  • जया बच्चन

विधान परिषद में इन सस्यों का कार्यकाल होगा पूरा

भाजपा

  • विद्या सागर सोनकर

  • सरोजनी अग्रवाल

  • यशवंत सिंह

  • विजय बहादुर पाठक

  • अशोक कटारिया

  • अशोक धवन

  • बुक्कल नवाब

  • मोहसिन रजा

  • निर्मला पासवान

  • महेंद्र कुमार सिंह

अपना दल (एस)

  • आशीष पटेल

सपा

  • नरेश चंद्र उत्तम

बसपा

  • भीमराव आंबेडकर

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सपा के पास राज्यसभा में ताकत बढ़ाने का अवसर

राज्यसभा की सियासी समीकरणों पर नजर डालें तो मार्च 2018 में 10 सीटों के लिए हुए राज्यसभा चुनाव में सपा ने जया बच्चन को उम्मीदवार बनाया था. 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले सपा ने बसपा उम्मीदवार भीमराव आंबेडकर को समर्थन दिया था. हालांकि, क्रॉस वोटिंग और संख्या गणित में भाजपा भारी पड़ी और अपने 9 उम्मीदवार को जीत दिलाने में सफल हुई. सपा से जया बच्चन ने जरूर जीत दर्ज की लेकिन, बसपा से भीमराव को शिकस्त का सामना करना पड़ा. इसे लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा के राजनीतिक फैसले पर सवाल भी उठाए थे. वहीं 2022 के चुनाव के बाद विधानसभा के बदले समीकरण के बाद भाजपा के लिए सभी सीटों पर जीत दर्ज करना मुश्किल माना जा रहा है. वहीं सपा के पास राज्यसभा में संख्या बढ़ाने का मौका है, ऐसे में वह अभी से इसके लिए रणनीति बनाने में जुट गई है.

विधानसभा में दलों के सदस्यों की संख्या, क्रॉस वोटिंग की संभावना

यूपी विधानसभा में 403 सदस्य हैं. प्रदेश से एक सदस्य को राज्य सभा भेजने के लिये 37 विधायकों का वोट चाहिए. सपा के पास 109 और रालोद के पास 9 विधायक हैं. ऐसे में 118 विधायकों के साथ सपा कम से कम तीन सीटें जीतने की स्थिति में होगी. सत्तारूढ़ गठबंधन के पास कुल 279 विधायक हैं. इनमें भाजपा के 254, अपना दल (एस) के 13, निषाद पार्टी और सुभासपा 6-6 विधायक हैं. ऐसे में 7 सीटों पर सत्तापक्ष की जीत तय मानी जा रही है. वहीं कांग्रेस के पास 2, जनसत्ता दल के पास 2 व बसपा के पास 1 विधायक है. इन दलों का क्या रुख हो, इस पर भी सभी की नजरें टिकी हुई हैं. वहीं क्रॉस वोटिंग की भी संभावना जताई जा रही है. देखा जाए तो रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया के जनसत्ता दल का समर्थन आम तौर पर भाजपा को रहता है. पिछले एमएलसी चुनाव में कांग्रेस व बसपा ने किसी का समर्थन नहीं किया था. हालांकि, लोकसभा चुनाव के लिए पक्ष और विपक्ष दोनों ओर नए दोस्तों को जोड़ने-तोड़ने की कोशिशें चल रही हैं. ऐसे में चुनाव के समय तक नई तस्वीर सामने आ सकती है.

विधान परिषद में शून्य होगी बसपा

यूपी के बदले सियासी समीकरणों के कारण पिछले साल जुलाई में कांग्रेस पहली बार यूपी के विधान परिषद में शून्य पर पहुंच गई. वहीं अगर मदद नहीं मिली तो विधानसभा में एक संख्या पर पहुंची चुकी बसपा मई में विधान परिषद में शून्य हो जाएगी. उसके पास केवल एक विधायक है और इस आधार पर उसका उम्मीदवार पर्चा भी नहीं भर सकता, क्योंकि नामांकन के लिए भी 10 प्रस्तावक की जरूरत होती है. विधानसभा के मौजूदा गणित के हिसाब से विधान परिषद में एक प्रत्याशी जिताने के लिए 29 विधायक की जरूरत होगी. अगर सत्ता और विपक्ष अपने मौजूदा सभी सहयोगियों को तब तक साथ रखने में सफल रहे तो भाजपा गठबंधन कम से कम 9 और सपा-रालोद गठबंधन 4 सीटें जीतने की स्थिति में होगा. क्रास वोटिंग होने की स्थिति में समीकरण बदल भी सकते हैं.

सपा को विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का पद मिलेगा वापस

इसका एक बड़ा फायदा सपा के लिए यह होगा कि एक बार फिर वह विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की सीट की दावेदार हो जाएगी. विधान परिषद में अभी उसके 9 सदस्य हैं और नेता प्रतिपक्ष के लिए जरूरी 1/10 सदस्य के मानक से वह एक पीछे है. सीटों के गणित पर नजर डालें तो 5 मई को खाली हो रही सीटों के हिसाब से सपा की सदस्य संख्या घटकर 8 रह जाएगी. सपा के पास अपने 109 विधायक हैं. ऐसे में कम से कम 3 सीट वह अपने दम पर भी जीतने की स्थिति में है. जाहिर है कि विधान परिषद में उसके सदस्यों की संख्या दहाई में हो जाएगी. इस तरह उसे नेता प्रतिपक्ष का पद वापस मिल जाएगा. इस तरह उच्च सदन में सपा की मजबूत स्थिति होगी.

लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट रिक्त घोषित, अधिसूचना जारी

इस बीच उत्तर प्रदेश विधानसभा ने लखनऊ पूर्वी विधानसभा सीट रिक्त घोषित कर दी है. विधानसभा सचिवालय ने इससे संबंधित अधिसूचना भी जारी कर दी है. अब इस सीट पर उपचुनाव कराया जाएगा, जिसके लिए चुनाव आयोग जल्द ही कार्यक्रम का जारी करेगा. भाजपा विधायक आशुतोष टंडन उर्फ गोपालजी का 9 नवंबर को निधन हो गया था. जिसके चलते यह सीट रिक्त घोषित हो गई. पिछले विधानसभा चुनाव में आशुतोष टंडन इस सीट से भारतीय जनता पार्टी से विधायक चुने गए थे.

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