Lucknow: रामचरितमानस पर विवादित बयानों के कारण सुर्खियों में आए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य को जहां चौतरफा विरोध झेलना पड़ रहा है और उनके खिलाफ राजधानी में एफआईआर दर्ज हुई है, वहीं ऐसे में पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने उनके बयान का समर्थन कर सनसनी फैला दी है. सुलखान सिंह ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने मानस का अपमान नहीं किया है. मात्र कुछ अंशों पर आपत्ति जताई है, उन्हें इसका अधिकार है.
पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा कि रामचरितमानस पर जाति, वर्ग का विशेषाधिकार नहीं है. प्रदूषित,अमानवीय ग्रंथों की निंदा तो करनी ही होगी. भारतीय ग्रंथों ने समाज को गहराई से प्रभावित किया. ग्रंथों में जातिवाद, ऊंचनीच, छुआछूत स्थापित किया गया. पीड़ित व्यक्ति-समाज अपना विरोध तो व्यक्त करेगा ही. भारतीय ग्रंथों पर एकाधिकार नहीं जताना चाहिए. हिंदू एकता के लिए इनका विरोध करना जरूरी भी है. यह शोषित वर्ग हिंदू समाज में ही रहना चाहता है.
उन्होंने कहा कि कुछ अतिउत्साही उच्च जाति के हिंदू हर ऐसे विरोध को गालीगलौज और निजी हमले करके दबाना चाहते हैं. यह वर्ग चाहता है कि सदियों से शोषित वर्ग, इस शोषण का विरोध न करे, क्योंकि वे इसे धर्मविरोधी बताते हैं. हिंदू समाज की एकता के लिए जरूरी है कि लोगों को अपना विरोध प्रकट करने दिया जाये. भारतीय ग्रंथ सबके हैं. यह शोषित वर्ग हिंदू समाज में ही रहना चाहता है, इसीलिये विरोध करता रहता है. अन्यथा इस्लाम या ईसाई धर्म अपना चुका होता. अतीत में धर्मांतरण इसी कारण से हुये हैं.
पूर्व डीजीपी ने कहा कि राम और कृष्ण हमारे पूर्वज हैं. हम उनका अनुसरण करते हैं. हमें यह अधिकार है कि हम अपने पूर्वजों से प्रश्न करें. यह एक स्वस्थ समाज के विकास की स्वाभाविक गति है. राम और कृष्ण से उनके कई कार्यों के बारे में सदियों से आमलोग सवाल पूछते रहे हैं. यही उनकी व्यापक स्वीकार्यता का सबूत है.
Also Read: Caste Census: यूपी में गरमाएगा जातिगत जनगणना का मुद्दा, सपा आंदोलन की तैयारी में, इन्हें मिलेगी जिम्मेदारी…इस बीच स्वामी प्रसाद मौर्य के तेवर बरकरार हैं. उन्होंने सोमवार को ट्वीट किया कि हर असंभव कार्य को संभव करने का नौटंकी करने वाले एक धाम के बाबा की धूम मची है. आप कैसे बाबा हैं, जो सबसे सशक्त पीठ के महंत होने के बावजूद सिर तन से जुदा करने का सुपारी दे रहे हैं, श्राप देकर भी तो भस्म कर सकते थे. इस तरह 21 लाख रुपये भी बचता, असली चेहरा भी बेनकाब न होता.
इससे पहले मौर्य ने कहा कि वह धर्म की दुहाई देकर आदिवासियों, दलितों-पिछड़ों व महिलाओं को अपमानित किए जाने की साजिश का विरोध करते रहेंगे, जिस तरह कुत्तों के भौंकने से हाथी अपनी चाल नहीं बदलता, उसी प्रकार इनको सम्मान दिलाने तक मैं भी अपनी बात नहीं बदलूंगा.
वहीं सपा प्रवक्ता जूही सिंह ने रामचरितमानस की प्रतियां जलाने से लेकर उस पर सवाल उठाने वालों को नसीहत दी है. उन्होंने सोमवार को कहा कि रामचरितमानस मर्यादा पुरषोत्तम राम का जीवन चित्रण है, तत्कालीन सामाजिक अन्याय भी ग्रंथ में उल्लेखित हैं, तपस्वी राम ने महिलाओं, हर शोषित, वंचित वर्ग पर अत्याचार का सहज, मुखर विरोध किया, मानस पाठ मंदिरों में ही नहीं घर घर होता है, विरोध कुरीतियों का हो, होता रहा भी है मानस का क्यों ?