Lucknow : उत्तर प्रदेश के दुधवा टाइगर रिजर्व में बीते दिनों चार बाघों की मौत हुई थी. जिसके चलते वहां तैनात कई बड़े अधिकारियों को हटाया गया था, जिसके बाद जांच के लिए समिति का गठन किया गया था. अब गठित की गई जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. रिपोर्ट के अनुसार घटना में दो बाघों की मौत को आपसी संघर्ष का परिणाम ठहराया गया है, जबकि दो अन्य बाघों की मौत का कारण शरीर में संक्रमण फैलने से हुई.
समिति ने दुधवा टाइगर रिजर्व में चल रही समस्याओं पर प्रकाश डाला जिसमें बताया गया कि रिजर्व में फील्ड स्टाफ की कमी और जंगल में ठीक से गश्त न होने के कारण यह सभी घटनाऐं हो रही है. ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए समिति ने सरकार से सिफारिशें भी की हैं. बीते अप्रैल से जून के बीच दुधवा और आसपास के क्षेत्र में चार बाघ मृत मिले थे.
जिसके कुछ ही समय बाद चार बाघों की मौत को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अरुण कुमार सक्सेना और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को तत्काल मौके पर जाकर घटना के कारणों का पता लगाने का निर्देश दिया था. उनके निर्देश पर वन मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों ने दुधवा जाकर जांच की थी.
गौरतलब है कि इस मामले दुधवा के डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर और खीरी के प्रभागीय वन अधिकारी सहित कई अधिकारियों और कर्मचारियों को हटाया गया था. मामले की विस्तृत जांच के लिए भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी और वन निगम के पूर्व एमडी संजय सिंह की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी. समिति के सदस्य अवकाश प्राप्त मुख्य वन संरक्षक आरके सिंह,लखनऊ प्राणि उद्यान के उप निदेशक डा. उत्कर्ष शुक्ला और गोरखपुर प्राणि उद्यान के चिकित्सक डा. योगेश प्रताप सिंह थे. समिति ने दुधवा जाकर जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है.
रिपोर्ट के अनुसार 21 अप्रैल को हुई बाघ की मौत की वजह सेप्टिक शाक (शारीरिक संक्रमण) रही, जबकि 31 मई को जो बाघ मृत पाया गया था, उसकी मौत आपसी संघर्ष के कारण हुई थी. तीन जून को बाघ की मृत्यु एक्यूट ब्रान्काइटिस के कारण हुई थी. वहीं नौ जून को हुई बाघ की मौत भी आपसी संघर्ष का नतीजा थी. समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि टाइगर रिजर्व फील्ड स्टाफ की कमी से जूझ रहा है. वहां पर फारेस्टर और फारेस्ट गार्ड के आधे से अधिक पद खाली हैं.
समिति ने इन पदों पर युद्ध स्तर पर भर्ती किये जाने की सिफारिश की है. समिति ने यह भी कहा है कि टाइगर रिजर्व या ऐलिफेंट रिजर्व के लिए प्रोजेक्ट टाइगर व प्रोजेक्ट ऐलीफेंट के अलावा कैंपा परियोजना से आर्थिक सहयोग मिलता है,लेकिन इनसे प्राप्त हुई धनराशि समय से जारी नहीं हो पाती है. इससे भी वन्यजीवों के संरक्षण में व्यावहारिक कठिनाइयां आ रही हैं.