Lucknow: यूपी में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल होने के बाद सभी की निगाहें अब्बास अंसारी पर टिकी हुई हैं. सुभासपा के टिकट पर मऊ सदर से विधायक अब्बास अंसारी भी तकनीकी तौर पर भाजपा के खेमे में शामिल हो गए हैं.
अब्बास अंसारी भाजपा पर हमलावर रहे हैं. यूपी की सियासत में ओमप्रकाश राजभर के फैसले से बदले घटनाक्रम के बाद अभी तक अंसारी की ओर से सुभासपा छोड़ने या एनडीए में शामिल होने का समर्थन करने से संबंधित कोई बयान नहीं आया है.
दरअसल उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के आने के बाद से ही अंसारी परिवार पर शिकंजा कसता जा रहा है. मुख्तार अंसारी, उनके भाई अफजाल अंसारी और बेटा अब्बास अंसारी तीनों जेल में है. शनिवार को ही हेट स्पीच के मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अब्बास अंसारी की कोर्ट में पेशी हुई. वहीं रविवार को गृह मंत्री अमित शाह ने सुभासपा के एनडीए में शामिल होने की जानकारी ट्वीट के जरिए दी.
इसके बाद सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने पहले ट्वीट और फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी पुष्टि की. वहीं सुभासपा से ही अब्बास अंसारी ने विधानसभा चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. ऐसे में वह न चाहते भी भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन का हिस्सा हो गए हैं.
अब्बास अंसारी इस समय कासगंज जेल में है. अब्बास अंसारी पर मऊ विधानसभा चुनाव के दौरान एक चुनावी सभा में भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा है. अपने भाषण में अब्बास अंसारी ने अधिकारियों से हिसाब-किताब कर लेने की धमकी दी थी. इसे आचार संहिता का उल्लंघन माना गया था. मामले को लेकर उन पर केस भी दर्ज कराया गया था. लंबे समय तक फरार रहने के बाद उन्होंने सरेंडर कर दिया था, जिसके बाद से वह जेल में हैं.
अब्बास अंसारी पूर्वांचल के कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे हैं. मुख्तार अंसारी मऊ सदर विधानसभा से विधायक हैं. विधानसभा चुनाव सपा और सुभासपा ने मिलकर लड़ा था. इसमें मऊ सदर की सीट सुभासपा के हिस्से में आई थी. सुभासपा ने यहां से मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को अपना उम्मीदवार बनाया था. अब्बास ने यहां से जीत दर्ज की थी. हालांकि चुनाव के बाद सपा और सुभासपा की जोड़ी टूट गई. अब्बास अंसारी को सुभासपा के सिंबल पर सपा का ही उम्मीदवार माना जा रहा था.
हालांकि गठबंधन टूटने के बाद भी अब्बास अंसारी की ओर से सुभासपा छोड़ने या पार्टी से इस्तीफा देने की पहल नहीं की गई. वह अभी भी सुभासपा के विधायक बने हुए हैं. अब पार्टी अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के फैसले के बाद अंसारी परिवार पार्टी में रहने या न रहने को लेकर क्या फैसला करता है, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं.
इससे पहले जब अब्बास अंसारी फरार थे और ओमप्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव के साथ अपनी दोस्ती से किनारा कर लिया था, तब राजभर ने अब्बास से आत्मसमर्पण करने की अपील की थी. इस दौरान ओमप्रकाश राजभर ने अब्बास के पार्टी छोड़ने के सवाल पर कहा था कि यह सवाल अब्बास अंसारी से पूछना चाहिए. उनकी अब्बास अंसारी से बात नहीं होती.
इस बार भी गेंद अब्बास अंसारी के पाले में है. ओमप्रकाश राजभर अपनी ओर से कोई पहल नहीं करने जा रहे हैं. हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक इस बात से हर कोई अवगत है कि अंसारी परिवार और भाजपा दोनों को एक दूसरे का साथ बर्दाश्त नहीं है.
ऐसे में अब्बास अंसारी के एनडीए के साथ होने का सवाल नहीं उठता. ये अलग बात है कि अब्बास अंसारी सुभासपा अध्यक्ष के इस फैसले के खिलाफ पार्टी और विधानसभा सीट से त्यागपत्र देने का जोखिम नहीं उठाएंगे. ऐसे में उनके इस संबंध में फैसला करने की उम्मीद बेहद कम है.
इस बीच ओमप्रकाश राजभर ने विपक्षी एकता को लेकर दिए अपने पूर्व में दिए बयान पर भी प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने कहा कि हमारी ओर से लगातार इंतजार किया जा रहा था कि ये लोग साथ आएं. लेकिन अखिलेश यादव सोचते हैं कि हम बड़े, मायावती सोचती हैं कि हम बड़े. आखिर हम कितने दिन इंतजार करते.
उन्होंने कहा कि उधर से कोई रिस्पॉन्स नहीं आया. हम लोग देश हित में गरीब, कमजोर, वंचित, शोषितों की लड़ाई लड़ने वाले लोग हैं. इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इसके लिए साथ आए हैं.
सुभासपा अध्यक्ष ने कहा कि विपक्ष को भाजपा से सीखना चाहिए. भाजपा देश में छोटी-छोटी जातियों की लीडरशिप को पकड़कर सत्ता में आगे बढ़ रही है और विपक्ष के नेता अकेले लड़ने की बात कर रहे हैं. ऐसे में मुकाबला संभव नहीं है.