UP Air Quality Index: यूपी में दिवाली के मौके पर प्रकृति मेहरबान है और लोगों को प्रदूषण से राहत मिली है. कुछ दिनों पहले तक नोएडा, गाजियाबाद, लखनऊ, मेरठ, हापुड़, बरेली, पीलीभीत, बदायूं और सहारनपुर समेत 24 से अधिक जिलों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) काफी खराब स्थिति में रहा. हवा के जहरीली होने से लोगों को काफी समस्याओं से जूझना पड़ा. सुबह के वक्त बाहर निकलने वाले लोग आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ सहित अन्य समस्याओं को लेकर चिकित्सकों के वहां पहुंचे, वहीं बीते दिनों बारिश के बाद इसमें सुधार देखने को मिला है. दिवाली की सुबह भी कई शहरों की आबोहवा साफ रही. प्रकृति के साथ देने की वजह से यूपी के लोगों को फिलहाल दमघोंटू हवा से निजात मिली है. AQI में सुधार की वजह से बड़ी राहत की स्थिति है. हालांकि रात में आतिशबाजी के बाद एक बार फिर वायु प्रदूषण में इजाफा होने की संभावना है. प्रदेश में रविवार के मौसम की बात करें तो सुबह आठ बजे बरेली समेत सभी जिलों में साफ और नीला आसमान है. बरेली का AQI रविवार सुबह 8 बजे 79 था, जो काफी बेहतर है. हालांकि, यह पिछले दिनों 300 तक आ गया था. शहर के सिविल लाइंस का 78, राजेंद्र नगर और सुभाषनगर का AQI 80 है. बरेली, नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ की हवा दो हफ्ते से काफी खराब थी. यहां का AQI बढ़ने से यह सभी जिले दुनिया के 100 प्रदूषित शहरों में शामिल हो गए थे.
दुनिया के 100 प्रदूषित शहरों में दूसरे नंबर पर मेरठ आ गया था. प्रदूषण के कारण स्थिति खराब हो रही थी. बारिश से पहले 9 नवंबर की सुबह मेरठ का AQI 463 था.मगर, रविवार सुबह 222 रह गया है. हरियाणा के भिवाड़ी का AQI 698 था. यह पहले स्थान पर था. अब यह घटकर 66वें स्थान पर आ गया है. 9वें स्थान पर हापुड़ था. हापुड़ का AQI 399 से घटकर 145 रह गया है. 11वें स्थान पर गाजियाबाद का AQI 388, 18वें स्थान पर मुजफ्फरनगर का AQI 339, 21 वें स्थान पर कैराना का AQI 336, 67वें स्थान पर सहारनपुर का AQI 307, 72वें स्थान पर यूपी की राजधानी लखनऊ का AQI 302, 83वें स्थान पर इलाहबाद का 281, 85वें स्थान पर फैजाबाद का AQI 276, और 97वें स्थान पर बुलंदशहर का AQI 250 है. इन सभी शहरों का AQI काफी नीचे आ गया है.
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हर इंसान के लिए ऑक्सीजन काफी जरूरी है.इसकी कमी से सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है.सांस लेने वाली हवा का ऑक्सीजन स्तर 19.5 प्रतिशत ऑक्सीजन होना चाहिए.इसके नीचे ऑक्सीजन जाने से नुकसान होता है.
0 से 50 AQI तक ठीक होता है. इसका सेहत पर कम असर होता है. 51-100 AQI भी ठीक है. लेकिन, संवेदनशील लोगों को सांस की हल्की दिक्कत हो सकती है.101 के बाद ठीक नहीं है.101 से 200 AQI से फेफड़ा, दिल और अस्थमा मरीजों को सांस में दिक्कत होती है. मगर, अब यूपी के शहरों का AQI बेहतर स्थिति में है.
यूपी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सरकार चिंतित है. इसका स्थायी समाधान निकालने के लिए पहली बार प्रदूषण के खात्मे को प्रोजेक्ट बनाया जा रहा है. प्रत्येक इलाके में प्रदूषण के मुख्य कारणों की खोज के लिए शोध करने का प्लान है. प्रत्येक क्षेत्र की रिपोर्ट तैयार होगी. विज्ञान, एवं प्रौद्योगिकी विभाग गांव से लेकर शहरों तक के प्रदूषण को विभिन्न श्रेणी में बांटेगा. प्रदूषण में किस कारक का कितना योगदान है और किस शहर में किस तरह का प्रदूषण है. इस पर विश्वविद्यालयों के पर्यावरण विभाग प्रोजेक्ट तैयार करेंगे. इसके बाद डाटा को मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी से तैयार कर जिले वार प्रदूषण की रिपोर्ट तैयार होगी, जिससे जड़ से खात्मा हो सके.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली