नागपुर : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बीती 19 मई को बड़े मूल्यवर्ग के 2000 रुपये के नोट को वापस लेने का ऐलान किया था. अब महाराष्ट्र पुलिस का दावा है कि आरबीआई के इस कदम से नक्सलियों को भारी चोट पहुंची है. उसका कहना है कि नक्सलियों द्वारा जबरिया लेवी के तौर पर वसूली जाने वाली रकम में जिन नोटों का भुगतान किया था, उनमें 2000 रुपये के बड़े नोट ही हुआ करते थे. अब जबकि आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने का फैसला किया है, तो नक्सली अब लेवी के तौर पर 2000 रुपये का नोट नहीं वसूल पाएंगे और इस प्रकार अब वे पहले की तरह 2000 रुपये के नोट के जरिए बड़ी धनराशि एकत्र नहीं कर पाएंगे.
2000 रुपये के नोट बदलवाने के लिए नक्सली सक्रिय
गढ़चिरौली के उप महानिरीक्षक संदीप पाटिल ने मंगलवार को दावा किया है कि आरबीआई द्वारा 2,000 रुपये के नोट चलन से वापस लेने ऐलान से नक्सलियों को झटका लगा है, क्योंकि जबरन वसूली के जरिए एकत्र किया गया धन मुख्य रूप से इसी मूल्य का है. उन्होंने बताया कि नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली जिले में पुलिस सतर्क है, क्योंकि नक्सली अपने पास पड़े 2,000 रुपये के नोट बदलने के लिए सक्रिय हो गए हैं.
नक्सलियों ने तेंदू पत्ता ठेकेदारों से वसूली लेवी
गढ़चिरौली के उप महानिरीक्षक संदीप पाटिल के अनुसार, महाराष्ट्र के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में दो लोगों के पास से पिछले गुरुवार को छह लाख रुपये मूल्य के 2,000 रुपये के नोट बरामद किए गए थे, जो कथित तौर पर एक नक्सली कमांडर के थे. उन्होंने बताया कि 2,000 रुपये के नोट वापस लेना नक्सलियों के लिए एक झटका है, क्योंकि उनके द्वारा तेंदू पत्ते के ठेकेदारों और पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) से वसूला गया पैसा मुख्य रूप से इसी मूल्य में है, जिसे जंगलों में विभिन्न स्थानों पर छिपाया गया है.
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2016 में जारी किया गया था 2000 रुपये का नोट
गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने 19 मई 2023 को बाजार के चलन से 2,000 रुपये के नोट वापस लेने की घोषणा की है, और लोगों से उन्हें बैंकों में जमा करने या 30 सितंबर तक उन्हें बदलने को कहा है. 8 नवंबर, 2016 की रात आठ बजे जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने का ऐलान किया था, तो उसके बाद आरबीआई की ओर से सबसे पहले बड़े मूल्य के 2000 रुपये के नोट को ही जारी किया गया था. हालांकि, इस नोट को बाजार में उतारने को लेकर सरकार आरबीआई से सहमत नहीं थी.